Makar Sankranti: आस्था का प्रतीक बराकर का नंदानाथ मंदिर व खिचड़ी मेला, टुंडी के राजा करते थे शिव का अभिषेक

मकर संक्रांति फसलों से जुड़ा त्योहार है. प्रतिवर्ष धान की कटाई के बाद कई किसान पहला चढ़ावा बाबा को चढ़ाते हैं. ग्रामीणों की मानें, तो गुड़ाई के समय धान की एक पोटली बनाकर अलग से रख लेते हैं और खिचड़ी मेला के दिन पूजन के बाद बाबा को अर्पित कर देते हैं. यह परंपरा वर्षों चली आ रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2023 1:03 PM

गिरिडीह, समशुल अंसारी. झारखंड के गिरिडीह व धनबाद जिला की सीमा पर बराकर नदी किनारे स्थित बाबा नंदानाथ महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है. मकर संक्रांति के दिन यहां प्रत्येक वर्ष मेला लगता है. इसमें आसपास के अलावा दूर-दराज से भी लोग मेला का आनंद लेते लेने आते हैं.

शिवलिंग पर लोग करते हैं जलार्पण और पूजा-अर्चना

बराकर नदी में स्नान करने के बाद श्रद्धालु यहां स्थित शिवलिंग पर जलार्पण और पूजा करते हैं. पूजन के बाद बराकर नदी के किनारे बैठकर चूड़ा, दही, गुड़ आदि प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. पूजा के बाद यहां लगने वाले मेले का भी आनंद लोग उठाते हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिवर्ष यहां दूध, दही, तिल, गुड़ आदि का भोग भी लगता है.

बाबा को चढ़ता है धान का चढ़ावा

मकर संक्रांति फसलों से जुड़ा त्योहार है. प्रतिवर्ष धान की कटाई के बाद कई किसान पहला चढ़ावा बाबा को चढ़ाते हैं. ग्रामीणों की मानें, तो गुड़ाई के समय धान की एक पोटली बनाकर अलग से रख लेते हैं और खिचड़ी मेला के दिन पूजन के बाद बाबा को अर्पित कर देते हैं. यह परंपरा वर्षों चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. मनोकामना पूरी होने के बाद बाबा को विभिन्न प्रकार का चढ़ावा भक्त चढ़ाते हैं.

Also Read: Tusu Festival in Jharkhand: मकर संक्रांति के साथ मनाया जाता है टुसू पर्व, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी

टुंडी के राजा भी आते थे मंदिर में अभिषेक करने

कहा जाता है कि पुरातन समय से ही यहां शिवलिंग स्थापित है. इस धार्मिक स्थल को टुंडी के राजा का भी संरक्षण प्राप्त था. वे मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिवर्ष यहां अभिषेक भी करवाते थे. काफी लोकप्रिय होने के बावजूद आज भी यहां का शिवलिंग खुला ही है. अब तक मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया है. ग्रामीण कहते हैं कि जब भी यहां मंदिर के निर्माण का प्रयास किया गया, कोई न कोई विघ्न उत्पन्न हुआ और मंदिर का निर्माण बंद करना पड़ा.

Makar sankranti: आस्था का प्रतीक बराकर का नंदानाथ मंदिर व खिचड़ी मेला, टुंडी के राजा करते थे शिव का अभिषेक 2

जब भी मंदिर का शुरू होता है निर्माण, उत्पन्न हो जाता है विघ्न

यह भी कहा जाता है कि जब मंदिर के निर्माण का काम शुरू किया जाता है, शिवजी भक्तों के सपने में आकर कहते हैं कि मैं खुले आसमान में ही रहूंगा. मंदिर बनाने का प्रयास न करो. इसकी सत्यता के बारे में तो कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन यह सच है कि मकर संक्रांति के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.

Next Article

Exit mobile version