दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस बार ये आज यानि 03 नवंबर को है. इस दिन यम देवता के निमित्त तर्पण और दीपदान का भी विधान है.
नरक चौदस के दिन दीये जलाने की परंपरा है. मान्यता है कि आज के दिन दीये जलाने से जिंदगी की सारी दुख-परेशानियां खत्म हो जाती हैं. धर्म और ज्योतिष में घर में इन दीपकों (Diyas) को रखने की खास जगहें भी बताई गईं हैं. यदि घर की इन जगहों पर आज के दिन दीपक रखे जाएं तो बहुत लाभ होता है.
घर की इन जगहों पर रखें दीये
1. एक दीया शाम को ही घर के मुख्य दरवाजे के बाहर रख दें.
2. कर्ज मुक्ति के लिए एक दीया सुनसान मंदिर में रखें.
3. एक दीया मां लक्ष्मी के सामने रखें.
4. एक दीया तुलसी कोट के नीचे रखें.
5. एक दीया पीपल के पेड़ के नीचे रखें.
पुराणों के अनुसार इस दिन यमराज के 14 नाम लेकर यमराज को नमस्कार करने से नर्क नहीं जाना पड़ता है. मदन पारिजात नामक ग्रंथ के पृष्ठ 256 पर वृद्ध मनु के हवाले से यमराज के 14 नाम इस तरह बताए गये हैं-
यमाय धर्मराजाय मृत्यवे चांतकाय च, वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय च।
औदुम्बराय दध्नाय नीलाय परमेष्ठिने, व्रकोदराय चित्राय चित्रगुप्ताय वै नम:।।
3 नवंबर के शुभ मुहूर्त
अमृत काल– सुबह 1 बजकर 55 मिनट से लेकर 4 नवंबर सुबह 3 बजकर 22 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त– सुबह 5 बजकर 2 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से 2 बजकर 17 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 5 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट तक
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 5 बजकर 16 मिनट से 6 बजकर 33 मिनट तक
निशिता मुहूर्त : रात 11 बजकर 16 मिनट से 12 बजकर 7 मिनट तक
इन उपायों से भी होता है लाभ-
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व पहले तिल के तेल से शरीर की मालिश करने से रूप-सौंदर्य बढ़ता है. नरक चतुर्दशी के दिन स्नान आदि करने के बाद माथे पर रोली का तिलक लगाना चाहिए और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तिल वाले जल से यमराज का तर्पण करें। मान्यता है कि ऐसा करने से नरक में होने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती है.
न करें ये काम-
नरक चतुर्दशी के दिन मंदिर, रसोई घर, तुलसी, पीपल, बरगद, आंवला और आम के पेड़ के किनारे या बगीचे को गंदा न करें. यहां सफाई करने के बाद दीपक अवश्य जलाएं. मान्यता है ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन सुबह 6 बजे से पहले स्नान करना उत्तम रहेगा. छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन सुबह तर्पण और शाम के वक्त दीपदान का महत्व है.
Posted By: Shaurya Punj