गोरखपुर जंक्शन पर आने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी, इससे पहले इंदिरा गांधी आ चुकी हैं यहां
पूर्वोत्तर रेलवे (NER) के मुख्यालय गोरखपुर जंक्शन की नींव 15 जनवरी 1885 को पड़ी थी. गोरखपुर रेलवे स्टेशन सोनपुर से मनकापुर तक मीटर गेज रेल लाइन के निर्माण के साथ ही अस्तित्व में आया था. वर्तमान में गोरखपुर प्लेटफार्म विश्व में दूसरे स्थान पर है.
गोरखपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर जंक्शन पर आने वाले देश के दूसरे प्रधानमंत्री है. इससे पहले 21 अप्रैल 1973 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गोरखपुर के रास्ते बाराबंकी से समस्तीपुर 587 किलोमीटर मार्ग के आमान परिवर्तन की आधारशिला रखने गोरखपुर जंक्शन आई थीं. नरेंद्र मोदी गोरखपुर जंक्शन पहुंचकर पूर्वोत्तर रेलवे और पूर्वांचल को उपहार देने वाले देश के दूसरे प्रधानमंत्री हैं. 50 वर्ष बाद नरेंद्र मोदी ने पुनर्विकास की आधारशिला रखकर पूर्वोत्तर रेलवे के विकास की गति का मार्ग प्रशस्त किया है.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों गोरखपुर जंक्शन के आमान परिवर्तन की आधारशिला रखे जाने के लगभग 8 से 9 साल के बाद आमान परिवर्तन पूरा हो गया था. वर्ष 1981 के बाद पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य मार्ग बाराबंकी, गोंडा, गोरखपुर, छपरा, समस्तीपुर, रूट पर बड़ी रेल लाइन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया. जिसके कारण गोरखपुर देश के महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ गया.
7 जुलाई शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 वर्ष बाद पूर्वोत्तर रेलवे की विकास की गति को आगे बढ़ाने का कार्य किया है. प्रधानमंत्री ने वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के अलावा गोरखपुर जंक्शन के पुनर्विकास की नींव भी रखी है. गोरखपुर जंक्शन 693 करोड़ रुपए से सिटी सेंटर के रूप में विकसित होगा.
15 जनवरी 1885 को पड़ी थी पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर जंक्शन की नींव
15 जनवरी 1885 को पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर जंक्शन की नींव पड़ी थी. गोरखपुर रेलवे स्टेशन सोनपुर से मनकापुर तक मीटर गेज रेल लाइन के निर्माण के साथ ही अस्तित्व में आया था. गोरखपुर जंक्शन का निर्माण वर्ष 1986 में गोरखपुर से उसका बाजार लाइन के निर्माण के साथ हुआ. 1981 में छपरा से मल्हार तक का आमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण हुआ और गोरखपुर जंक्शन देश की महानगरों से रेल लाइन के माध्यम से जुड़ गया. बताते चलें कि गोरखपुर जंक्शन का प्लेटफॉर्म विश्व का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म है. जिसकी लंबाई 366.33 मीटर है. लेकिन वर्तमान में गोरखपुर प्लेटफार्म विश्व में दूसरे स्थान पर आ गया है.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप, गोरखपुर