चेन्नई कमाने गया नरेश सिंह 14 साल बाद शंभुनाथ बनकर लौटा गढ़वा, देखते ही पत्नी का हुआ ये हाल

उमा देवी ने आगे कहा कि एक दिन उसके पति ने उससे कहा था कि उन्हें कुछ साधु नशीला पदार्थ खिलाकर बहकाकर संन्यासी बनाना चाहते हैं. इसके कुछ महीने बाद उनके पति का फोन आना बंद हो गया. इसके बाद उसने उनकी काफी खोजबीन की, लेकिन कहीं भी कोई अता-पता नहीं चला.

By Mithilesh Jha | November 19, 2022 10:16 PM
an image

झारखंड के गढ़वा जिले के केतार प्रखंड के आदिवासी बहुल मायर गांव में उस समय अजीब स्थिति बन गयी, जब उस गांव की महिला उमा देवी भिक्षाटन करने आये एक संन्यासी को अपना पति बताकर रोने लगी. उमा देवी ने बताया कि उसके पति नरेश सिंह 14 वर्ष पूर्व उसे तथा उसके दो बच्चों एवं गर्भ में पल रही एक बच्ची को छोड़कर मजदूरी करने चेन्नई गये थे. वहां से कुछ दिनों तक घर में पैसा भी भेजा.

…और तब से फोन आना भी हो गया बंद

उमा देवी ने आगे कहा कि एक दिन उसके पति ने उससे कहा था कि उन्हें कुछ साधु नशीला पदार्थ खिलाकर बहकाकर संन्यासी बनाना चाहते हैं. इसके कुछ महीने बाद उनके पति का फोन आना बंद हो गया. इसके बाद उसने उनकी काफी खोजबीन की, लेकिन कहीं भी कोई अता-पता नहीं चला. पता नहीं चलने पर कुछ वर्षों बाद वह उनके आने की आस छोड़ बैठी.

Also Read: गढ़वा में नौ वर्ष बाद भी शहरी जलापूर्ति योजना अधूरी, घरों तक कनेक्शन देने और पाइप बिछाने का काम बाकी

भीख मांगने आये पति को पत्नी ने पहचान लिया

शनिवार को अचानक अपने गांव में भिक्षाटन करते अपने पति को देखा, तो वह देखते ही पहचान गयी. नरेश सिंह, जो अब शंभुनाथ बन चुके थे, ने भी पत्नी तथा बच्चे को पहचान लिया. पहचानने के बाद उन्होंने पूर्व में उनके साथ जो कुछ भी हुआ था, उसके बारे में पत्नी उमा देवी और वहां उपस्थित अन्य ग्रामीणों को भी बताया.

चेन्नई कमाने गया नरेश सिंह 14 साल बाद शंभुनाथ बनकर लौटा गढ़वा, देखते ही पत्नी का हुआ ये हाल 2

14 साल बाद पति को सामने देख रोने लगी उमा देवी

पति की आपबीती सुनकर और 14 साल बाद अपने सामने देखकर उमा देवी रोने लगी. उसके तीनों बच्चे भी रोने लगे. उनके रोने के कारण गांव का माहौल करुणामय हो गया. मायर प्राथमिक विद्यालय, जहां उमा देवी के पति नरेश सिंह और उसके साथी संन्यासियों की टोली रुकी है, वहां सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी.

Also Read: Prabhat Khabar Special: गढ़वा में खेतों की सूख रही नमी, सरकारी गोदामों में महीनों से पड़े हैं सरसों बीज

गृहस्थ आश्रम में लौटने को तैयार नहीं नरेश उर्फ शंभुनाथ

गांव के लोगों ने नरेश सिंह को समझा-बुझाकर घर लौटाने का प्रयास किया. लोगों के लाख समझाने और मनाने के बावजूद संन्यासी शंभुनाथ बन चुका नरेश सिंह फिर से गृहस्थ जीवन में लौटने को तैयार नहीं हुआ. इस दौरान वहां उपस्थित नरेश सिंह के साथ आये संन्यासियों ने बताया कि अब नरेश सिंह हमलोगों की टोली में शंभुनाथ के नाम से जाने जाते हैं. कुछ दिन बाद हमलोग यहां से भिक्षाटन करके दूसरे स्थान पर चले जायेंगे. खबर लिखे जाने तक नरेश सिंह गांव में ही साथी संन्यासियों के साथ रुके हुए हैं. उधर, घर में सबका रो-रोकर बुरा हाल है.

केतार (गढ़वा) से संदीप कुमार की रिपोर्ट

Exit mobile version