National Science Day Special: भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है. यह दिन ‘रमन प्रभाव’ के रूप में प्रसिद्ध है. भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन ने सन 1928 में इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जिसके लिए 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. विज्ञान में भविष्य की एक विस्तृत शृंखला मौजूद है, इसलिए बड़े पैमाने पर छात्र इस विषय को चुनते हैं. साइंस स्ट्रीम में पारंपरिक करियर विकल्पों से इतर कई नयी राहें लगातार बनती रहती हैं. जानें ऐसी ही पांच बेहतरीन राहों के बारे में…
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वह एडवांस टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से मशीनों को इंसान जैसा सोचने व उन्हें निर्धारित टास्क काे पूरा करने के लिए तैयार किया जा रहा है. एआइ को मशीन इंटेलिजेंस के नाम से भी जाना जाता है. एआइ की मदद से मशीनें इंसानों की तरह बात कर सकती हैं और कई मुश्किल कामों को आसानी से पूरा कर सकती हैं. गूगल, एलेक्सा और सिरी इसका बेहतरीन उदाहरण हैं. आज विभिन्न सेक्टरों में एआइ की बढ़ती मांग के चलते इस क्षेत्र में युवाओं के लिए अनेकों संभावनाएं विकसित हो रही हैं. आप विज्ञान के छात्र हैं, तो थोड़ी-सी तैयारी के साथ बेहतरीन आय का मौका देनेवाले एआई सेक्टर का रुख कर सकते हैं.
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आप के लिए है यह करियर : कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन में बीटेक कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एमटेक कर सकते हैं. आप चाहें तो बीटेक के बाद एआइ में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं. आपको पायथन, जावा, डेटा एनालिसिस, बिग डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, आर आदि प्रोग्रामिंग भाषाओं का ज्ञान भी प्राप्त करना होगा.
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कोर्स एवं संस्थान : एडवांस्ड सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग-आइआइटी हैदराबाद. बीटेक इन कंप्यूटर साइंस (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग)-नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, नयी दिल्ली. एमटेक इन एआइ-इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु. बीटेक इन कंप्यूटर साइंस एंड एआइ और एमटेक इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-इंद्रप्रस्थ इंस्टिट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी आदि.
टेक्नोलॉजी के बढ़ते कदमों के साथ सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय करियर विकल्प के रूप में उभरा है. प्रति वर्ष लगभग 20,000 छात्र डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट व पोस्टग्रेजुएट कोर्स के माध्यम से इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. गिटहब के अनुसार दुनिया भर में 26.9 मिलियन सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं, जिसमें से 5.8 मिलियन से अधिक भारत में हैं. सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के क्षेत्र में आप फुल स्टैक डेवलपर, वेब डेवलपर, डेस्कटॉप डेवलपर, मोबाइल डेवलपर, ग्राफिक्स डेवलपर, गेम डेवलपर, बिग डेटा डेवलपर, सिक्योरिटी डेवलपर आदि के रूप में करियर बना सकते हैं.
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आपके लिए है यह करियर : साइंस स्ट्रीम (मैथ्स) से बारहवीं पास करने के बाद कंप्यूटर साइंस, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, डेटा साइंस, मैथमेटिक्स, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी आदि में स्नातक कर आप सॉफ्टवेयर डेवलपर बनने की पहल कर सकते हैं. आपको जावा, पायथन व सी++ जैसी प्रोग्रामिंग भाषाएं भी सीखनी होंगी.
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कोर्स एवं संस्थान : एडवांस सर्टिफिकेट इन फुल स्टैक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग-आईआईटी मद्रास, कानपुर. एमई/एमटेक इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग-बिट्स पिलानी. बीटेक इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग-डीटीयू, दिल्ली. एमटेक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इंटीग्रेटेड- वीआईटी वेल्लोर आदि.
विज्ञान की इस शाखा में किसी अपराध की जांच करने एवं उसे अंजाम देनेवाले मुजरिम तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों की मदद ली जाती है. मौजूदा दौर में आपराधिक घटनाओं में हो रही वृद्धि के चलते फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है. फॉरेंसिक एक्सपर्ट के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में जॉब के मौके उपलब्ध हैं. गवर्नमेंट सेक्टर में आप इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई), स्टेट पुलिस फोर्स के क्राइम सेल, गवर्नमेंट व स्टेट फॉरेंसिक लैब में काम कर सकते हैं. वहीं, प्राइवेट सेक्टर में प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी में फॉरेंसिक एक्सपर्ट बन सकते हैं. आप चाहें तो फॉरेंसिक टीचर के रूप में भी करियर बना सकते हैं.
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आपके लिए है यह करियर : फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में प्रवेश के लिए साइंस स्ट्रीम से बारहवीं पास होना आवश्यक है, जिसके बाद आप फॉरेंसिक साइंस में स्नातक कर सकते हैं. स्नातक करने के बाद फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनोलॉजी में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं. मास्टर्स करने के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, बी फार्मा या अप्लाइड साइंस में से किसी एक विषय के साथ न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों से स्नातक पास करना होगा. आप अगर फॉरेंसिक स्पेशलिस्ट बनना चाहते हैं, तो आपको एमबीबीएस डिग्री प्राप्त करनी होगी, इसके बाद एमडी भी करना होगा.
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कोर्स एवं संस्थान : नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, दिल्ली. सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, हैदराबाद एवं चंडीगढ़. इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस, मुंबई. डिपार्टमेंट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, सागर यूनिवर्सिटी आदि संस्थानों से आप बीएससी इन फॉरेंसिक साइंस, डिप्लोमा इन फाॅरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी, डिप्लोमा इन फॉरेंसिक साइंस एंड लॉ, एमएससी इन क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, एमएससी इन साइबर फॉरेंसिक्स एंड इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी, एमए क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनल जस्टिस आदि कोर्स कर सकते हैं.
एस्ट्रोफिजिक्स अंतरिक्ष विज्ञान की एक शाखा है, जो सितारों, ग्रहों, आकाशगंगाओं व ब्रह्मांड से संबंधित व्याख्या करने के लिए भौतिक व रसायन विज्ञान के नियमों को लागू करती है. एस्ट्रोफिजिक्स में खगोलीय पिंडों के व्यापक स्पेक्ट्रम का अध्ययन शामिल है. आप अगर अंतरिक्ष, खगोलीय पिंडों, सितारों आदि में रुचि रखते हैं, तो यह आपके लिए एक आशाजनक क्षेत्र है.
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आपके लिए है यह करियर : फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स के साथ बारहवीं करने के बाद आप एस्ट्रोफिजिक्स से संबंधित बैचलर प्रोग्राम में दाखिला ले सकते हैं. स्नातक के बाद आप मास्टर्स कर सकते हैं. आप अगर स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं, तो आपको पीएचडी करना होगा.
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कहां से करें कोर्स : इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, भुवनेश्वर. आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंसेज, नैनीताल. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु.
अर्बन प्लानिंग के तहत नये शहरों की रूपरेखा बनायी जाती है, जिसमें कम्युनिकेशन नेटवर्क एवं ट्रांसपोर्टेशन को ध्यान में रखते हुए शहर के अर्बन एनवायर्नमेंट का डिजाइन तैयार किया जाता है. कई बार पहले से बसे शहरों के ढांचे में बदलाव करने के लिए भी अर्बन प्लानिंग की जरूरत पड़ती है. इस क्षेत्र में आप सरकारी एजेंसी, हाउसिंग बोर्ड, शहरी विकास प्राधिकरण, जिला व ग्रामीण नियोजन विभाग आदि के साथ काम कर सकते हैं. आपको निजी कंपनियों या प्रॉपर्टी फर्म्स, रियल एस्टेट फर्म्स, नॉन प्रॉफिट हाउसिंग ग्रुप आदि में भी अवसर मिलेंगे.
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आपके लिए है यह करियर : फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स से बारहवीं पास करनेवाले छात्र अर्बन व रूरल प्लानिंग में बीटेक या बैचलर ऑफ प्लानिंग का कोर्स कर सकते हैं. बैचलर्स के बाद आप सिटी प्लानिंग, रीजनल प्लानिंग, अर्बन एंड रूरल प्लानिंग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में मास्टर्स कर सकते हैं. चाहें तो पीएचडी भी कर सकते हैं.
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इन संस्थानों से करें पढ़ाई : आइआइटी खड़गपुर/ रुड़की. स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नयी दिल्ली/ भोपाल/ विजयवाड़ा. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग. मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल. सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद. सरदार वल्लभभाई नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत.