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अनुशासन अविराम कॉलेज की पहचान, प्रो० फिरोज अहमद ने कहा, ‘सोशल मीडिया से लाभ के साथ-साथ नुकसान भी’

सभी अतिथियों का अभिनंदन शॉल, पगड़ी, बैच, बुके, झारखंडी पारंपरिक गमछा, पत्ता टोपी पहना कर किया गया. अविराम महाविद्यालय के प्रशिक्षुओ के द्वारा निर्मित वर्मी कंपोस्ट भेंट सचिव इंद्रजीत कुमार के द्वारा अतिथियों को दिया गया.

अमित कुमार राज, कुड़ू लोहरदगा. अविराम कॉलेज ऑफ एजुकेशन टिको कुड़ू में उच्च शिक्षा परिदृश्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव विषय पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ शनिवार से हो गया. राष्ट्रीय सेमिनार के मुख्य अतिथि नीलंबर – पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ फिरोज अहमद विशिष्ट अतिथि स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के निदेशक रेडियो खांची, रांची विश्वविद्यालय के डॉक्यूमेंट्री के निर्माता डॉ बिनोद कुमार, रांची विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ गौरी शंकर झा राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ बृजेश कुमार कालेज के सचिव इंद्रजीत कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करते हुए किया.

सभी अतिथियों का अभिनंदन शॉल, पगड़ी, बैच, बुके, झारखंडी पारंपरिक गमछा, पत्ता टोपी पहना कर किया गया. अविराम महाविद्यालय के प्रशिक्षुओ के द्वारा निर्मित वर्मी कंपोस्ट भेंट सचिव इंद्रजीत कुमार के द्वारा अतिथियों को दिया गया. मौके पर कालेज के प्रशिक्षुओ ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में योग से होने वाले लाभ से संबंधित योगासन नृत्यकरण व साथियों के द्वारा पेश किया गया. सुंदर झारखंड पर अनुपा तथा साथियों के द्धारा सामुहिक नृत्य पेश करते हुए समाज बांध दिया गया. महिला सशक्तिकरण पर स्किट रश्मि व साथियों के द्वारा अदभुत रूप से प्रस्तुति दी गई.

अतिथियों का स्वागत करते हुए कालेज के सचिव इंद्रजीत कुमार ने महाविद्यालय की यात्रा को साझा करते हुए कहा कि अविराम कालेज की स्थापना जिन उद्देश्यों के तहत की गई थी आज वह फलीभूत होता नजर आ रहा है. आने वाले समय में अविराम कालेज की पहचान अविराम विश्वविद्यालय के रूप में होगी . राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ फिरोज अहमद ने कहा कि सोशल मीडिया के नकारात्मक पक्ष है परंतु ऐसा ही कुछ जब रेडियो,टेलीविजन आया था तब भी सोचा जाता था क्योंकि समाज परिवर्तन को जल्दी आत्मसात नहीं करता है, पर यह वर्तमान की आवश्यकता है.

डॉ बिनोद कुमार ने कहा कि प्राचीन काल में पत्थर, दीवाल, चेहरे व शरीर पर गोद कर संप्रेषण किया जाता था बाद में अखबार, रेडियो, फिल्म, टेलीविजन, फोन, पेजर,मोबाइल, ओटीटी व सोशल मीडिया तक का सफर हम सभी ने तय किया है, पर इनमे से अधिकांश आज भी प्रासंगिक हैं अतः परिवर्तन से डरने की अपेक्षा उसके कुप्रभावो से बचने की आवश्यकता है. डॉ गौरीशंकर झा ने कहा कि सोशल मीडिया शिक्षा ही नहीं सभी क्षेत्रों के लिए उपयोगी है हमें सोशल मीडिया को नकल करने के लिए प्रयुक्त नहीं करना चाहिए अपितु इसके साथ- साथ प्राथमिक ज्ञान श्रोत पुस्तकों को नही भूलना चाहिए.

डॉ बृजेश कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया ने आमजनों का जीवन काफी सरल कर दिया है, सूचनाओं का आदान – प्रदान हमे स्वयं समझदारी से इसके दुष्परिणामों से बचना चाहिए सेमिनार के तकनीकी सत्र में पंकज,रोजमेरी,शशि, चिनिबास, पवन आदि के द्वारा पेपर प्रस्तुतिकरण दिया गया व प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए. राष्ट्रीय सेमिनार के प्रथम दिन का सत्र बहुत उपयोगी रहा . इससे पहले मुख्य तथा विशिष्ट अतिथियों को कॉलेज पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया. परछन दल के द्धारा अतिथियों को पारंपरिक परछन के साथ सेमिनार हाल तक ले जाया गया.

इसके बाद कॉलेज के सचिव इंद्रजीत कुमार तथा कालेज की प्राचार्य डॉ प्रतिमा त्रिपाठी ने सभी अतिथियों को मोमेंटो तथा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. कालेज के प्रशिक्षुओ ने एक से बढ़कर एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए समा बांध दिया . मौके पर कॉलेज परिवार के द्धारा तैयार शोध स्मारिका का अतिथियों के द्धारा विमोचन किया गया. राष्ट्रीय सेमिनार के प्रथम दिन कालेज के प्रशिक्षुओ ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का मन मोह लिया. मौके पर पंकज कुमार भारती, रेणुका, कुंदन गिद्ध, आफताब, रोजमेरी, ममता, लक्ष्मण मुंडा, वीरेंद्र बाधवार तथा अन्य शामिल थे.

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