राष्ट्रीय खेल दिवस : फिर से लौट रहे हैं झारखंड में हॉकी के सुनहरे दिन

एक जमाना था जब खेलों की दुनिया में झारखंड की शान हॉकी हुआ करती थी. यहां की मिट्टी से हॉकी का अभी भी गहरा नाता है. 80 और 90 के दशक में जब भारतीय महिला टीम की घोषणा होती थी तो उसमें झारखंड की चार-पांच खिलाड़ी एक साथ शामिल होती थी.

By Prabhat Khabar News Desk | August 29, 2020 6:31 AM

एक जमाना था जब खेलों की दुनिया में झारखंड की शान हॉकी हुआ करती थी. यहां की मिट्टी से हॉकी का अभी भी गहरा नाता है. 80 और 90 के दशक में जब भारतीय महिला टीम की घोषणा होती थी तो उसमें झारखंड की चार-पांच खिलाड़ी एक साथ शामिल होती थी. लेकिन 90 के बाद हॉकी की नर्सरी मुरझा गयी थी और यहां के खिलाड़ी बस झारखंड तक ही सीमित रह जाते थे. लेकिन ओलिंपियन निक्की प्रधान के रियो ओलिंपिक में और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम के साथ खेलने के बाद अब फिर से पुराने दिन लौट रहे हैं. वो 80 का दशक एक बार फिर से दस्तक दे रहा है और यहां की कई खिलाड़ियों ने भारतीय महिला हॉकी टीम में दस्तक दी है और अपने प्रतिभा का लोहा भी मनवाया है.

निक्की के बाद अन्य के लिए खुल गया भारतीय टीम का रास्ता

झारखंड से निक्की प्रधान पहली ओलिंपियन हैं, जिसने भारतीय महिला हॉकी टीम के साथ ओलिंपिक खेला है. झारखंड के लिए और यहां के हॉकी के लिए ये पहली उपलब्धि पिछले कुछ सालों में है. इनके भारतीय टीम में शामिल होने के बाद देश के हॉकी प्रशासकों को लगने लगा कि यहां के हॉकी खिलाड़ियों में भी दम-खम है और वो भारतीय टीम में शामिल होकर देश को पदक जीता सकती है. इसके बाद संगीता कुमारी को एशिया कप में भारतीय टीम की तरफ से अपना परफॉरमेंस दिखाने का मौका मिला.

सलीमा टेट जिन्होंने एशियन यूथ ओलिंपिक क्वालिफाइंग खेला. अलका डुंगडुंग भी भारतीय टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया टूर पर गयी. अल्फा केरकेट्टा ने एशिया कप अंडर-18 भारतीय महिला हॉकी टीम के साथ खेला. दीपिका सोरेंग को भारतीय महिला हॉकी कैंप में जगह मिली और इसके बाद सुप्रिया मुंडू भारतीय हॉकी टीम के कैंप तक पहुंची.

जूनियर खिलाड़ियों के लिए खुला रास्ता

इन सभी खिलाड़ियों को भारतीय टीम में जाने के बाद जूनियर खिलाड़ियों के लिए रास्ते खुल गये हैं. सिमडेगा के करगागुड़ी की रहनेवाली संगीता कुमार हॉकी की स्ट्राकर हैं. आवासीय सेंटर सिमडेगा से प्रशिक्षण लेने वाली संगीता ने अभी तक झारखंड टीम की तरफ से आठ सब जूनियर और नेशनल प्रतियोगिता में खेल चुकी है.

वहीं 2018 में इनका चयन भारतीय महिला हॉकी टीम अंडर-18 के लिए हुआ था और ये भारतीय टीम की तरफ से सर्वाधिक गोल कर चुकी हैं. इससे पहले भी संगीता 2016 में जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हो चुकी हैं. सिमडेगा की ही रहने वाली सलीमा टेटे ने अपने गांव से ही हॉकी खेलना शुरु किया. इसके बाद राज्यस्तरीय और फिर सब जूनियर हॉकी में झारखंड टीम की ओर से खेलने का मौका मिला.

संवरने लगी हॉकी की नर्सरी

रांची के बरियातू स्थित आवासीय हॉकी सेंटर को हॉकी की नर्सरी के नाम से जाना जाता था. इस सेंटर से दर्जनों की संख्या में अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों ने पूरी दुनिया में झारखंड का नाम रोशन किया है. इसमें सावित्री पूर्ति, असुंता लकड़ा, सुमराय टेटे, अलमा गुड़िया, दयामणि सोय, सलोमी भेंगरा, एसमणि सांगा सहित कई खिलाड़ी शामिल हैं. 90 के बाद इस सेंटर से प्रतिभावान खिलाड़ियों की संख्या नहीं के बराबर रह गयी. लेकिन अब ये नर्सरी संवरने लगी है. यहां के खिलाड़ी भी अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना जलवा दिखा रहीं हैं.

Post by : Pritish Sahay

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