National Teacher Award: संकल्प शक्ति से विद्यालय के विकास को दिखायी नयी राह, बनाया बिहार का मॉडल स्कूल
छपरा : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए सारण जिले के गड़खा स्थित मध्य विद्यालय चैनपुर भैंसमार के शिक्षक सह प्रधानाध्यापक अखिलेश्वर पाठक का चयन हुआ है. अखिलेश्वर पाठक को पांच सितंबर के दिन नयी दिल्ली में राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया जायेगा.
छपरा : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए सारण जिले के गड़खा स्थित मध्य विद्यालय चैनपुर भैंसमार के शिक्षक सह प्रधानाध्यापक अखिलेश्वर पाठक का चयन हुआ है. अखिलेश्वर पाठक को पांच सितंबर के दिन नयी दिल्ली में राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया जायेगा.
अखिलेश्वर पाठक बिहार के उन दो शिक्षकों में से एक हैं, जिनका चयन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए हुआ है. उन्हें जब राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा, तो यह सारण के लिए बहुत ही गौरवान्वित करनेवाला क्षण होगा. अखिलेश्वर पाठक का राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन होने पर जिले के शिक्षकों व बुद्धिजीवियों में हर्ष का माहौल है.
अखिलेश्वर पाठक को राष्ट्रीय पुरस्कार ऐसे ही नहीं मिल रहा है. इसके लिए उन्होंने कई सालों से शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की एक नयी परिभाषा गढ़ी है. वह मध्य विद्यालय चैनपुर बांसवाड़ा के साथ-साथ उत्क्रमित उच्च विद्यालय पीरौना गड़खा में भी सेवा दे चुके हैं. अखिलेश्वर पाठक ने बताया कि जब उनकी पोस्टिंग पिरौना में हुई थी, तो स्कूल के लिए जमीन का अभाव था.
ग्रामीणों के साथ उन्होंने बैठक कर एक एकड़ जमीन विद्यालय के लिए दान करायी. यही नहीं गांव वालों से चंदा इकट्ठा करा कर शौचालय और विद्यालय का स्ट्रक्चर तैयार कराया. इसके अलावा उन्होंने स्कूल में उच्चकोटि का लैब भी बनवाया. इसी प्रयास से गांव वाले भी काफी प्रभावित थे. इसके बाद ही ग्रामीणों ने अपनी जमीन दान की.
शिक्षकों और छात्रों का किया उत्साहवर्द्धनसम्मान मिलने की घोषणा के बाद अखिलेश्वर पाठक ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि जब उन्हें विद्यालय की कमान मिली थी, तभी उन्होंने निर्णय कर लिया था कि अपने विद्यालय को एक आदर्श विद्यालय बनायेंगे. सबसे पहले उन्होंने शिक्षकों के साथ लगातार संवाद करना शुरू किया और शिक्षकों को बच्चों के साथ सही ताल-मेल बैठा कर पढ़ाने के लिए उत्साहित किया. गांव में घूम-घूम कर निजी विद्यालयों में पढ़नेवाले बच्चों और उनके अभिभावकों से चर्चा की. उनके द्वारा प्रेरित किये जाने के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ी और स्कूल के उत्तरोत्तर विकास के लिए ग्रामीण भी तत्पर हुए.
मूक बधिरों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ागड़खा के सैयद सराय निवासी अखिलेश्वर पाठक 26 वर्ष से शिक्षण कार्य कर रहे हैं. लगभग 12 वर्षों तक उन्होंने वैसे छात्रों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की, जो अब तक शिक्षा से दूर थे. उन्होंने मूक बधिर बच्चों को शिक्षा के मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया. अखिलेश्वर पाठक की जितनी सराहना की जाये उतनी कम है. आज इन जैसे शिक्षकों की वजह से सारण एक नये मुकाम पर पहुंच गया है.
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय बना बिहार का मॉडल विद्यालयअखिलेश्वर पाठक में बताया कि 2018 में उन्नयन सारण कार्यक्रम की शुरुआत भी उन्हीं के विद्यालय से शुरू हुई थी. फिर उनकी पोस्टिंग भैसमरा मध्य विद्यालय व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में हो गयी. यहां भी वह नहीं रुके और विद्यालय की रूपरेखा ही बदल डाली. उन्होंने बताया कि विद्यालय में पहले जानवर घूमते थे. इसके बाद उन्होंने 11 लाख रुपये सेक्शन कराकर विद्यालय की बाउंड्री करायी और स्ट्रक्चर तैयार कराया. अखिलेश्वर पाठक की पहल से ही कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय को पूरे बिहार का मॉडल विद्यालय घोषित किया गया. इस विद्यालय की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल होती हैं. इसके अलावा उन्होंने छात्रों के लिए विद्यालय में एक बड़ा भोजनालय बनाया, जिसमें पेयजल प्वाइंट है.