मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कद्दावर नेता और लगातार पांच बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु को पछाड़कर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक देश में सबसे लंबे समय तक सीएम के पद पर रहने वाले दूसरे मुख्यमंत्री बन गये हैं. ज्योति बसु 23 साल 137 दिन तक बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे. सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने उनका रिकॉर्ड तोड़ा और आज भी वह सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले व्यक्ति हैं.
नवीन पटनायक ने ज्योति बसु का रिकॉर्ड तोड़ा
पवन चामलिंग के बाद नवीन पटनायक दूसरे शख्स हैं, जो सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री हैं. एक साल 28 दिन और सत्ता में बने रहे, तो नवीन पटनायक सिक्किम के पूर्व सीएम पवन चामलिंग का रिकॉर्ड तोड़ देंगे. पवन चामलिंग 24 साल 166 दिन तक सिक्किम के मुख्यमंत्री रहे थे. उन्होंने इतने लंबे अरसे तक सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) की सरकार का नेतृत्व किया.
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नवीन पटनायक ओडिशा के आस्का लोकसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़े और जीते
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1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में स्टील एवं खदान मंत्री बनाये गये
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2000 में नवीन पटनायक ओडिशा की राजनीति में लौटे और विधानसभा चुनाव लड़े
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नवीन पटनायक के सीएम बनने के बाद आज तक कोई चुनाव नहीं हारी बीजेडी
…तो इतिहास रच देंगे ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक
बीजू जनता दल अगर अगले साल जून में होने वाले ओडिशा विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करता है और नवीन पटनायक फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं, तो वह पवन चामलिंग का रिकॉर्ड तोड़कर सबसे लंबे समय तक सीएम रहने का इतिहास रच देंगे. पार्टी के उपाध्यक्ष प्रसन्ना आचार्य को पूरा भरोसा है कि नवीन पटनायक यह इतिहास जरूर रचेंगे.
51 साल की आयु तक राजनीति से दूर थे बीजेडी सुप्रीमो
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 51 वर्ष की आयु तक नवीन पटनायक का राजनीतिक से दूर-दूर तक वास्ता नहीं था. हालांकि, उनके पिता बीजू पटनायक ओडिशा के बड़े नेता और मुख्यमंत्री थे. बावजूद इसके, नवीन राजनीति से दूर थे. राजीव गांधी की तरह उनका भी अचानक राजनीति में आना हुआ था.
देश में सबसे लंबे समय तक सीएम रहने का रिकॉर्ड
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सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग : 24 वर्ष एवं 166 दिन (12 दिसंबर, 1994 से 27 मई, 2019 तक)
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ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक : 23 वर्ष एवं 139 दिन (5 मार्च 2000 से ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं)
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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु : 23 वर्ष एवं 137 दिन (21 जून, 1977 से पांच नवंबर, 2000 तक)
हमें खुशी है कि हमारे मुख्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मैं आश्वस्त हूं कि नवीन पटनायक अतीत के सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे और सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले नेता बन जायेंगे.
प्रसन्ना आचार्य, उपाध्यक्ष, बीजू जनता दल
बीजू पटनायक के निधन के बाद राजनीति में आये
तत्कालीन मुख्यमंत्री बीजू पटनायक का 17 अप्रैल 1997 को निधन हुआ, तो ओडिशा की राजनीति में शून्य आ गया. जनता दल के नेता आपस में झगड़ पड़े. मुख्यमंत्री के लिए एक कुशल नेतृत्व की तलाश नहीं कर पा रहे थे. तब नवीन पटनायक को बुलाया गया. उनके पिता के नाम पर बीजू जनता दल (बीजेडी) का गठन हुआ और नवीन पटनायक को उसका नेतृत्व करने के लिए कहा गया.
2004 में एनडीए हारा, बीजेडी नहीं
बीजेपी के साथ मिलकर नवीन पटनायक ने वर्ष 2000 में गठबंधन का नेतृत्व किया. 5 मार्च 2000 को उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा थे. एनडीए बुरी तरह पराजित हुई और कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार बनी.
इतिहास ये याद नहीं रखेगा कि कौन कितने लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रहा, बल्कि यह याद किया जायेगा कि किसने कितनी कम अवधि में इतिहास रचा.
सुरेश पुजारी, वरिष्ठ नेता, बीजेपी
2009 में बीजेडी ने बीजेपी से नाता तोड़ा
वर्ष 2004 के आम चुनाव में ओडिशा में बीजू जनता दल के प्रदर्शन पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा. कंधमाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद नवीन पटनायक ने वर्ष 2009 में बीजेपी से दूरी बना ली. इसके बाद लगा कि नवीन पटनायक ओडिशा में कमजोर पड़ जायेंगे, लेकिन अपने सलाहकार और पूर्व ब्यूरोक्रैट प्यारी मोहन महापात्रा की मदद से उन्होंने स्थितयों को संभाल लिया.
बीजेडी को टूटने और सरकार को गिरने से बचाया
एक वक्त ऐसा भी आया, जब लगा कि प्यारी मोहन महापात्रा ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार का तख्तापलट कर देंगे, लेकिन तब भी बीजेडी के इस सबसे बड़े नेता ने चतुराई दिखायी और वर्ष 2012 में अपनी सरकार को गिरने और पार्टी को टूटने से बचा लिया. तमाम चुनौतियों के बावजूद नवीन पटनायक आज भी ओडिशा के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं. यही वजह है कि प्रदेश की 147 में से 100 से अधिक सीटें उनकी पार्टी के खाते में आती हैं.
नवीन पटनायक के नेतृत्व में कोई चुनाव नहीं हारी बेजीडी
नवीन पटनायक सिर्फ चुनाव ही नहीं जीतते. बेहद व्यवहार कुशल भी हैं. सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ उनके संबंध अच्छे हैं. जब से नवीन ने बीजेडी की कमान संभाली है, आज तक उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में कभी नहीं हारी. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा के चुनाव अथवा पंचायत चुनाव, हर चुनाव में उनकी पार्टी ने विरोधियों को धूल चटायी है.
हम नवीन पटनायक को दूसरे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए बधाई देते हैं, लेकिन हमें दुख है कि पटनायक अपने कार्यकाल के दौरान कुछ भी नहीं कर रहे हैं.
एसएस सालुजा, कांग्रेस
नवीन का सिर्फ एक मंत्र – ओडिशा का विकास
नवीन पटनायक का सिर्फ एक मंत्र है- ओडिशा का विकास. इसके लिए वह निरंतर काम कर रहे हैं. कभी विवादों में नहीं पड़ते. सौम्य स्वभाव के नवीन पटनायक ने कभी विवादित बयान नहीं दिया. केंद्र में चाहे जिस किसी गठबंधन की सरकार हो, उन्होंने अपने राज्य के भले के लिए उनसे बेहतर संबंध स्थापित किये. साथ ही उनकी क्षेत्रीय पार्टी ने सभी गठबंधनों से समान दूरी बना रखी है.
मोदी विरोधी गठबंधन में शामिल होने से कर दिया इंकार
हाल ही में जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ सारे दल एकजुट हो रहे थे, तब नवीन पटनायक से भी संपर्क किया गया था. विपक्षी दलों ने बीजेडी सुप्रीमो से अपील की कि वे उनके गठबंधन में शामिल हो जायें, लेकिन नवीन पटनायक ने बेहद शालीनता से इससे इंकार कर दिया.
गरीबों और आदिवासियों के हित में बनायी योजनाएं
दो दशक से अधिक के अपने शासनकाल में उन्होंने गरीबों के लिए कई योजनाएं शुरू की. सस्ती दर पर चावल देने की योजना हो या आदिवासियों किसानों की बेहतरी के लिए कृषक असिस्टेंस फॉर लाइवलीहुड एंड इनकम ऑगमेंटेशन (KALIA) कार्यक्रम. इसे सफलतापूर्वक लागू किया. इसके अलावा आदिवासियों की बेहतरी के लिए मिलेट्स की फसलों को बढ़ावा दिया. आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल्स का निर्माण करवाया.
सरकार को जवाबदेह बनाने की भी की पहल
सरकार और सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के लिए 5T (टीम वर्क, टेक्नोलॉजी, ट्रांसपेरेंसी, ट्रांसफॉर्मेशन और टाइम लिमिट) जैसी पहल की. नवीन पटनायक मंदिरों के विकास पर भी जोर दे रहे हैं. इतना ही नहीं एससीबी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल को एम्स-प्लस इंस्टीट्यूशन में तब्दील करने पर भी काम कर रहे हैं.
1998 में केंद्र में मंत्री बने, 2000 में ओडिशा लौट आये
नवीन पटनायक के राजनीति में आगमन के बाद उन्होंने सबसे पहले अपने गृह जिले गंजाम से 1996 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा का उपचुनाव लड़ा. आस्का लोकसभा सीट पर उन्होंने जीत दर्ज की. वर्ष 1998 में इसी लोकसभा क्षेत्र से बीजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में उन्हें स्टील एंड माइंस मिनिस्टर बनाया गया.
लोकसभा से दे दिया इस्तीफा
वर्ष 2000 में उन्होंने ओडिशा के हिजली विधानसभा सीट से बीजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 5 मार्च 2000 को ओडिशा के सीएम के रूप में शपथ ली. इसके बाद 8 मार्च को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर ओडिशा की राजनीति में सक्रिय हो गये. पांच बार हिजली विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उनके सत्ता में आने के बाद बीजेडी आज तक कोई भी चुनाव नहीं हारी.
नवीन पटनायक की उपलब्धि का नहीं मनेगा जश्न
आमतौर पर जहां सभी राजनीतिक दल अपनी हर उपलब्धि पर सेलिब्रेट करने के लिए तैयार रहते हैं, नवीन पटनायक की इस उपलब्धि का कोई जश्न ओडिशा में बीजेडी की ओर से मनाने का कार्यक्रम नहीं है. इस बारे में पूछे जाने पर पार्टी के प्रवक्ता मानस मंगराज ने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री के लिए लोगों की उम्मीदों पर खड़ा उतरना महत्व रखता है, न कि अपनी किसी उपलब्धि पर जश्न मनाना.
अतीत के सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे हमारे सीएम : बीजेडी
बीजेडी के उपाध्यक्ष प्रसन्ना आचार्य ने अपनी पार्टी के मुखिया और ओडिशा के सीएम की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि हमें खुशी है कि हमारे मुख्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मैं आश्वस्त हूं कि नवीन पटनायक अतीत के सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे और सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले नेता बन जायेंगे.
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अपने कार्यकाल में कुछ नहीं कर रहे पटनायक : कांग्रेस
कांग्रेस नेता एसएस सालुजा ने कहा है कि हम नवीन पटनायक को दूसरे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए बधाई देते हैं, लेकिन हमें दुख है कि पटनायक अपने कार्यकाल के दौरान कुछ भी नहीं कर रहे हैं.
बीजेपी ने दी ऐसी प्रतिक्रिया
वरिष्ठ बीजेपी लीडर सुरेश पुजारी इस अवसर पर कहते हैं कि इतिहास ये याद नहीं रखेगा कि कौन कितने लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रहा, बल्कि यह याद किया जायेगा कि किसने कितनी कम अवधि में इतिहास रचा.