Loading election data...

Navratri Grah Shanti Mantra: नवरात्रि में ग्रह शांति पूजा की ये है विधि, परेशानियों से मुक्ति के लिए करें पाठ

Navratri 2021 Grah Shanti Mantra: नवरात्रि के आरम्भ तिथि पर माता "शैलपुत्री" की पूजन विधि निर्द्दिष्ट है. इस पावन अवसर पर जन्म- कुंडली में चलित, तात्कालिक अशुभप्रद दशा- अंतर्दशा की शांति के लिए शास्त्र- विहित पुजानुष्ठान करने की पुरानी परंपरा भी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2021 8:46 AM

आदिशक्ति के अंशीभूता दुर्गतिनाशिनी माता दुर्गा की नौ महादेवी रूपों को दुर्गोत्सव की नवरात्र में पूजन की जाती है. नवरात्रि के आरम्भ तिथि पर माता “शैलपुत्री”, दूसरे तिथि पर माता “ब्रह्मचारिणी”, तीसरे तिथि में माता “चंद्रघंटा”, चौथे तिथि पर माता “कुष्मांडा”, पांचवें तिथि में “स्कंदमाता”, छठे तिथि पर “कात्यायनी”, सातवें में माता “कालरात्रि”, आठवें में माता “महागौरी”, नवें तिथि में माता “महागौरी” एवं अंतिम दशवीं तिथि में दुर्गतिनाशिनी माता “दुर्गा” की पूजन विधि निर्द्दिष्ट है.

इस पावन अवसर पर जन्म- कुंडली में चलित, तात्कालिक अशुभप्रद दशा- अंतर्दशा की शांति के लिए शास्त्र- विहित पुजानुष्ठान करने की पुरानी परंपरा भी है. इसका कारण ये है कि– कुंडली के नवग्रहों के साथ अलग- अलग नौ “इष्ट” रूप में एक- एक “महाविद्या” भी जुड़े हैं. अतः उनके तिथि- हिसाब से कुंडली के अशुभ ग्रहों की शांति विधि करणीय. यह शांति- अनुष्ठान आरम्भ करने से पहले प्रतिपदा को दश महाविद्याओं के लिए शास्त्र- विहित कलश स्थापना आदि आनुषंगिक शास्त्रीय विधि सम्पर्ण होना चाहिए. कोई चाहे तो कुंडली में शुभ हो या अशुभ, नवग्रहों के शांति- अनुष्ठान भी आरम्भ तिथि से नवें तिथि तक करने के बाद, दशमी तिथि में शांति- पूजा के अंतिम विधि स्वरूप पूजित “नवग्रह यंत्र” को माता दुर्गा के श्रीचरण में यथाविधि अर्पण कर ग्रह- शांति- अनुष्ठान को समापन कर सकता है.

नवग्रहों से जुड़े महाविद्यायें

  • रवि से जुड़े महाविद्या– शैलपुत्री।।

  • चन्द्र से जुड़े महाविद्या– चन्द्रघण्टा।।

  • मंगल से जुड़े महाविद्या– स्कंदमाता।।

  • बुध से जुड़े महाविद्या– कात्यायनी।।

  • गुरु से जुड़े महाविद्या– महागौरी।।

  • शुक्र से जुड़े महाविद्या– सिद्धिदात्री।।

  • शनि से जुड़े महाविद्या– कालरात्रि।।

  • राहु से जुड़े महाविद्या– ब्रह्मचारिणी।।

  • केतु से जुड़े महाविद्या– कुष्मांडा।।

नवग्रह शांति पूजा यंत्र

नवरात्रि में नवग्रहों की शांति के लिये माता दुर्गा के सामने सर्वप्रथम ‘कलश’ स्थापना कर यथाविधि पूजा के पश्चात् लाल रंग के वस्त्र पर “नवग्रह- यंत्र” का निर्माण करना चाहिये. इसके लिये वर्गाकार रूप में 3- 3- 3 कुल 9 खानें बनाकर, ऊपर के तीन खानों में बुध, शुक्र व चंद्रमा, मध्य के तीन खानों में गुरु, सूर्य व मंगल और नीचे के तीन खानों में केतु, शनि व राहू को स्थापित करें. इस प्रकार नवग्रह- यंत्र का निर्माण कर, एक के बाद एक कुल नौ तिथियां से जुड़े महादेवीयों के सम्बन्धित ग्रहों की शांति- पूजा के लिए आवश्यक संकल्प करें.

नवग्रहों के बीजमन्त्र

  • सूर्य– “ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।”

  • चन्द्र– ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।

  • मंगल– “ॐ क्रां क्रीम् क्रौं सः भौमाय नमः।।”

  • बुध– “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।”

  • गुरु– “ॐ ज्र्रे ज्रीं ज्रौं सः गुरुवे नमः।।”

  • शुक्र– “ॐ द्राम द्रुम द्रौम सः शुक्राय नमः।।”

  • शनि– “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नम:।।”

  • राहु– “ॐ भ्राम भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।”

  • केतु– “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः केतवे नमः।।”

पूजा क्रम :

नवरात्र की आरम्भ रात्र प्रतिपदा तिथि से जुड़े अभीष्ट ग्रह की शांति- पूजा पहले करना चाहिए. 108 बार बीजमंत्र जाप के लिए पंचमुखी रूद्राक्ष या फिर मूंगा या लाल हकीक की माला ठीक रहेगा। 108 बार बीजमन्त्र जप के पश्चात् ग्रह से सम्बंधित ‘कवच’ स्तोत्र को एक बार एवं ‘अष्टोत्तरशतनाम’ स्तोत्र को एक बार पाठ करना चाहिये. ये दोनों स्तोत्र नवग्रहों के लिए उद्दिष्ट धर्म शास्त्र में लिखा गया है.

इसी प्रकार जिस ग्रह की शांति के लिये पूजा की जा रही है, यह पूजा उससे जुड़े महाविद्या की तिथि पर ही होना चाहिए. ऐसे ही नौ तिथियों में एक के बाद एक ग्रह के लिए उपरोक्त नियम अनुसार शांति- पूजा- अनुष्ठान करणीय. नवरात्रि के पश्चात् दशमी के दिन दुर्गा माता के सामने उस ”नवग्रह- यंत्र” की यथाविधि से पूजा करना है.

पूजा के बाद दुर्गा माता को अर्पित कर, इसे नियमित पूजा के लिए वही पूजा स्थल में स्थापित करनी चाहिये. यह पूजा किसी मंडप या सार्वजनीन स्थल में किया है तो, दशमी की पूजा के बाद अनुष्ठानकारी अपने घर को लेकर देवस्थान में स्थापित कर नियमित पूजा करें. नवरात्र के अवसर पर ग्रहों की शांति के लिए यह विशेष पूजा किसी विद्वान पुरोधा- ब्राह्मण से ही सदक्षिणा करवानी चाहिये.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

Next Article

Exit mobile version