लातेहार के दुर्गाबाड़ी में 1946 से हो रही है मां की आराधना, श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर का है भव्य स्वरूप
लातेहार के दुर्गाबाड़ी में श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर का स्वरूप है. वर्ष 1946 से यहां मां दुर्गा की आराधना होती है. भक्तों के लिए श्रद्धा, भक्ति व विश्वास का प्रतीक है श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर. यहां दूर-दूर से लोग माता का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं.
Navratri 2021 (आशीष टैगोर, लातेहार) : लातेहार जिला मुख्यालय के थाना चौक इलाके स्थित दुर्गाबाड़ी में देश की आजादी के पूर्व से ही दुर्गापूजा की जा रही है. आज दुर्गाबाड़ी ने श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर का स्वरूप ले लिया है. कहना गलत नहीं होगा कि यह मंदिर न सिर्फ लातेहार, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए श्रद्धा, भक्ति व विश्वास का प्रतीक बन गया है. दूर-दराज से लोग यहां आकर माता की चरणों में मत्था टेक सुख व शांति की कामना करते हैं. हर साल शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धा से पूजा-अर्चना की जाती है.
दुर्गाबाड़ी के इतिहास के बारे में स्थानीय व्यवसायी व रंगकर्मी अशोक कुमार महलका ने बताया कि वर्ष 1946 से दुर्गाबाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा- अर्चना शुरू की गयी थी. आजादी के पूर्व यहां एक तालाब हुआ करता था. स्थानीय लोगों ने इस तालाब को भरकर एक खपरैल दुर्गाबाड़ी का निर्माण कर दुर्गापूजा का शुभारंभ किया था.
श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर समिति के अध्यक्ष अभिनंदन प्रसाद ने बताया कि दुर्गाबाड़ी खपरैल व छोटा होने के कारण यहां दुर्गापूजा का आयोजन करने में लोगों को परेशानी होती थी. उन्होंने बताया कि वर्ष 1992 में स्थानीय लोगों की एक बैठक में दुर्गाबाड़ी को भव्य मंदिर का स्वरूप देने का निर्णय लिया. आपसी सहयोग से तकरीबन दो वर्षों में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ. जयपुर से माता वैष्णव की प्रतिमा लाकर स्थापित की गयी.
लोगों का कहना है कि मां की प्रतिमा अद्वितीय है. लोगों की मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां से मन्नत करता है, उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है. हर साल माघ त्रयोदशी की शुक्ल पक्ष को मंदिर का स्थापना दिवस व शारदीय नवरात्र में दुर्गापूजा धूमधाम से मनाया जाता है.
वर्ष 2003 में तत्कालीन विधायक बैद्यनाथ राम के विधायक कोटे से मंदिर परिसर में एक विशाल विवाह मंडप बनाया गया. इसके बाद विधायक श्री राम के ही दूसरे कार्यकाल में मंदिर के ऊपरी तल्ले पर एक हॉल व 7 कमरों का निर्माण कराया गया है. मंदिर में हर साल दर्जनों शादियां होती हैं.
श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर की दुर्गापूजा अपनी विशिष्ट प्रतिमा के अलावा आकर्षक विद्युत व फूल सज्जा के लिए जाना जाता है. विगत वर्ष से कोरोना संक्रमण के कारण विद्युत व अन्य साज-सज्जा में काफी कटौती की गयी है. मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री प्रसाद ने बताया कि इस वर्ष भी कोरोना गाइडलाइन के तहत पूजा कराने का निर्णय लिया गया है.
Posted By : Samir Ranjan.