Navratri 2022 Day 3, Maa Chandraghanta Puja: आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कड़े पहने जाते हैं. मंदिर को साफ-सफाई करने के बाद विधि-विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना की जाती है. ये एक बाघ की सवारी करती हैं. इनके माथे पर अर्धचंद्र है. जानें नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त, रंग, भोग व अन्य खास बातें…
मां चंद्रघंटा का रूप अलौकिक है.सिंह पर सवार देवी चंद्रघंटा के 10 भुजाएं हैं जिसमें त्रिशूल, तलवार, धनुष, गदा आदि अस्त्र-शस्त्र लिए हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है. देवी के माथे पर घंटे का आकार का अर्द्धचंद्र स्थापित है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता. माता ने दैत्य और असुरों का वध करने के लिए अवतार लिया था.
अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि आरंभ- 28 सितंबर 2022, सुबह 02:28
अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त – 29 सितंबर 2022, सुबह 01:27
मां चंद्रघंटा की पूजा का सुबह मुहूर्त – 04.42 AM – 05.30 AM
शाम का मुहूर्त – 06.05 PM – 06.29 PM
रात का मुहूर्त – 09.12 PM – 10.47 PM
नवरात्रि के शुभ दिनों में तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कड़े पहने जाते हैं. मंदिर को साफ-सफाई करने के बाद विधि-विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना की जाती है. माना जाता है कि मां की अराधना ऊॅं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है. मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें और इस दिन दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाने से मां जल्दी प्रसन्न होती है.
ऐसी मान्यता है कि देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने से कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होते है. आपको बता दें कि शुक्र ग्रह को सुख-सुविधाओं का ग्रह माना गया है.
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्ति: शुभपराम्.अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघंटा प्रणमाभ्यम्.चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरुपणीम्.धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्.नानारुपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्. सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्.
बीज मंत्र – ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रार्थना मंत्र – पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
पूजा मंत्र – या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।