Navratri 2022: शक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की साधना करते हैं. अखंड ज्योति अर्थात ऐसी ज्योति जो खंडित न हो. अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक अखंड रहनी चाहिए यानी जलती रहनी चाहिए. अखंड ज्योति का मतलब ऐसी ज्योति जो खंडित न हो. अखंड ज्योत निरंतर जलती रहनी चाहिए. नवरात्रि में अखंड ज्योति का बहुत अधिक महत्त्व होता है. नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत का बुझना अशुभ माना जाता है. जहां भी यह ज्योति जलाई जाती है वहां इसके समक्ष हर वक्त किसी न किसी व्यक्ति का उपस्थित होना जरूरी होता है.
नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, क्योंकि ज्योतिष के अनुसार ये घर की सुख समृद्धि का कारक होती है. अखंड ज्योति शरीर के सभी रोगों का नाश करती है और कष्टों को दूर करती है.
इसकी लौ हमें अंधकार से रोशनी की तरफ जाने के लिए प्रेरित करती है. ऐसी मान्यता है कि अखंड ज्योति की अग्नि सभी पापों का नाश करती है और खुशहाली का प्रतीक है. ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान बिना खंडित हुए यदि 9 दिनों तक ज्योति प्रज्वलित रहती है तो ये सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती है.
हर पूजा में दीपक का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि पूजा में यह भक्त की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक होता है. इसलिए दीपक के के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती. नवरात्रि नौ दिनों की होती है इसलिए जब भी नवरात्रि का संकल्प लेकर अखंड दीपक जलाएं तो इसके नियमों का पालन अवश्य करें . अखंड ज्योति सिर्फ पीतल के दीप पात्र में ही जलाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है. पीतल को शुद्ध माना जाता है, इसलिए पूजा में इससे बने पात्रों को प्रयोग किया जाता है. अगर पीतल का दीया नहीं जला सकते, तो मिट्टी का दीप-पात्र ले सकते हैं.
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इस बात का खास ख्याल रखें कि अखंड ज्योति जमीन की बजाय किसी लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़े बिछाकर रखकर जलाएं.
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ज्योति को रखने से पहले इसके नीचे अष्टदल बनाना ना भूलें.
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अखंड ज्योति को गंदे हाथों से भूलकर भी ना छूएं.
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अखंड ज्योति को कभी अकेले या पीठ दिखाकर नहीं जायें.
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अखंड ज्योति जलाने के लिए शुद्ध देसी घी का प्रयोग करें. आप चाहें तो तिल का तेल या
फिर सरसों का तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
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अगर आप घर में अखंड ज्योति की देखभाल नहीं कर सकते हैं तो आप किसी मंदिर में देसी घी अखंड ज्योति के लिए दान करें.
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अखंड ज्योति के लिए रूई की जगह कलावे का इस्तेमाल करें. कलावे की लंबाई इतनी हो कि ज्योति नौ दिनों तक बिना बुझे जलती रहे.
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अखंड ज्योति जलाते समय मां दुर्गा, शिव और गणेश को ध्यान में रखें और ‘ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।’ का जप करें.
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अखंड ज्योति को मां दुर्गा के दाईं ओर रखा जाना चाहिए. अगर दीपक में सरसों का तेल है तो देवी के बाईं ओर रखें.
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ख्याल रखें कि नवरात्रि समाप्त होने पर इसे स्वंय ही समाप्त होने दें कभी भी बुझाने का प्रयास ना करें.
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नवरात्रि का पहला दिन : 26 सितम्बर 2022, सोमवार – प्रतिपदा (मां शैलपुत्री)
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नवरात्रि का दूसरा दिन : 27 सितम्बर 2022, मंगलवार – द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी)
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नवरात्रि का तीसरा दिन : 28 सितम्बर 2022, बुधवार – तृतीया (मां चंद्रघंटा)
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नवरात्रि का चौथा दिन : 29 सितम्बर 2022, गुरुवार – चतुर्थी (मां कुष्मांडा)
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नवरात्रि का पांचवा दिन : 30 सितम्बर 2022, शुक्रवार – पंचमी (मां स्कंदमाता)
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नवरात्रि का छठवां दिन : 01 अक्टूबर 2022, शनिवार – षष्ठी (मां कात्यायनी)
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नवरात्रि का सातवां दिन : 02 अक्टूबर 2022, रविवार – सप्तमी (मां कालरात्रि)
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नवरात्रि का आठवां दिन : 03 अक्टूबर 2022, सोमवार – अष्टमी (मां महागौरी)
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नवरात्रि का नौवां दिन : 04 अक्टूबर 2022, मंगलवार – नवमी (मां सिद्धिदात्री)
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दुर्गा विर्सजन का दिन : 05 अक्टूबर 2022, बुधवार – दशमी (मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन)