Navratri 2022, Maa Kushmanda Puja LIVE: चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा, देवी को प्रिय है कुम्हड़े

Navratri 2022 Day 4, Maa Kushmanda Puja LIVE Updates: नवरात्रि के चौथे दिन आज 29 सितंबर 2022 को मां कूष्मांडा की पूजा की जा रही है. मां कूष्मांडा नौ देवियों में से चौथा अवतार माना जाता है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होती है. जानें मां मां कूष्मांडा का स्वरूप, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग व मंत्र-

By Shaurya Punj | September 29, 2022 12:24 PM

मुख्य बातें

Navratri 2022 Day 4, Maa Kushmanda Puja LIVE Updates: नवरात्रि के चौथे दिन आज 29 सितंबर 2022 को मां कूष्मांडा की पूजा की जा रही है. मां कूष्मांडा नौ देवियों में से चौथा अवतार माना जाता है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होती है. जानें मां मां कूष्मांडा का स्वरूप, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग व मंत्र-

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बिहार के बक्सर में स्थित रहस्यमयी मंदिर

बिहार के बक्सर जिले में एक ऐसा मंदिर है. जो खुद में कई अनसुलझे रहस्यों को समेटे हुए है. यह मंदिर वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक पहेली है. हम बात कर रहे है. डुमरांव शहर में स्थित 250 साल पुरानी दक्षिणेश्वरी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर की. यह मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी की दूरी पर है. स्थानीय जानाकारों की मानें तो प्रत्येक आमावस्या, पूर्णिमा, और नवरात्रि के दिनों में मंदिर का कपाट बंद होने के बाद देवी की मुर्तियां आपस में बात करती है.

29 सितंबर 2022 का पंचांग, शुभ और अशुभ मुर्हूत

विक्रम संवत – 2079, राक्षस

शक सम्वत – 1944, शुभकृत्

पूर्णिमांत – आश्विन

अमांत – आश्विन

वार – गुरुवार

त्यौहार और व्रत – वरद चतुर्थी

सूर्योदय – 6:21 am

सूर्यास्त – 6:12 pm

चन्द्रोदय – 9:20 am

चन्द्रास्त – 8:38 pm

अयन – दक्षिणायन

द्रिक ऋतु – शरद

मां कूष्मांडा की उपासना से सिद्धियों में निधियों की प्राप्ति

मां कूष्मांडा की उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है. प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य श्लोक सरल और स्पष्ट है. माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।'

बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला की करें पूजन

नवरात्रि के चौथे दिन संभव हो तो बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला का पूजन करना शुभ होता है. उन्हें भोजन में दही, हलवा खिलाना श्रेयस्कर है. इसके बाद फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान भेंट करें. जिससे मां दुर्ग अति प्रसन्न होती हैं और मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है.

देवी को कुम्हड़े यानी कद्दू अति प्रिय है

मां कूष्मांडा को कुम्हड़े यानी कद्दू अति प्रिय है. माना जाता है कि इस देवी को कद्दू की बलि देने से प्रसन्न होती है और साधक की मनोकामनाएं पूरी होती है.

मां कूष्‍मांडा ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामर्थे, चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा, कूष्‍मांडा यशस्वनीम्॥

भास्वर भानु निभां, अनाहत स्थितां

चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्। कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश,

चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥ पटाम्बर परिधानां

कमनीयां मृदुहास्या, नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू, चिबुकां कांत

कपोलां तुंग कुचाम्। कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि

निम्ननाभि नितम्बनीम्..

माता कूष्मांडा का स्वरुप

सूर्य को भी अपने नियंत्रण में रखने वाली माता कूष्मांडा मुख्य रूप से आठ भुजाओं वाली देवी है.देवी माँ के मुख पर सूर्य सी तेज है और उनेक विभिन्न हाथों में कमंडल, बाण, धनुष, कमल का फूल, अमृत कलश, गदा, माला और चक्र है.कहते हैं की सूर्य देव को अपने नियंत्रण में रखने की वजह से ही ये संसार इतना प्रकाशमय है.ऐसी मान्यता है कि, माता के इस स्वरुप की वजह से ही सूर्य देव को भी ऊर्जा मिलती है.

मां कूष्मांडा के मंत्र

ऐं ह्री देव्यै नम: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडा नम:

या देवी सर्वभूतेषु

मां कूष्मांडा रूपेण प्रतिष्ठितता।

नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै:

नमस्तस्यै नमो नम:..

ये है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से निरोगी और सुंदर काया का आशीर्वाद मिलता है। माता के इस स्वरुप के पूजन से समस्त रोग दोष मिट जाते हैं और मन प्रसन्न रहता है। मां के ध्यान और पूजन मात्र से किसी भी बड़ी समस्या का हल सामने आ जाता है और पाप दूर होते हैं।

मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व

ऐसी मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से निरोगी और सुंदर काया का आशीर्वाद मिलता है। माता के इस स्वरुप के पूजन से समस्त रोग दोष मिट जाते हैं और मन प्रसन्न रहता है. मां के ध्यान और पूजन मात्र से किसी भी बड़ी समस्या का हल सामने आ जाता है और पाप दूर होते हैं.

मां कूष्मांडा पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन ब्रम्ह मुहर्त में उठकर नित्य कर्म से मुक्त होकर स्नान करें.

इसके बाद विधि-विधान से कलश की पूजा करने के साथ मां दुर्गा और उनके इस स्वरूप की पूजा करें.

मां कूष्मांडा को सिंदूर, पुष्प, माला, अक्षत आदि चढ़ाएं.

इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर माता के मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें.

विधिवत दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करें.

माता का इस विधि से किया गया पूजन सभी समस्याओं का हल निकालने में मदद करता है.

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं।

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा के आठ हाथ होते हैं इसलिए इनको अष्टभुजा भी कहा जता है. इनके एक हाथ में कमण्डल, 6 हाथों में शस्त्र और एक में जप माला होती है. मां कुष्मांडा को कुम्हड़े यानी कद्दू अति प्रिय होता है.

मां कूष्मांडा पूजा मंत्र

मां कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए या देवी सर्वभू‍तेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जाप करना चाहिए.

मां का प्रिय भोग

मां कूष्मांडा को मालपुआ बेहद ही पसंद होता है. इसलिए इनको मालपुआ का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से मां अपना आशीर्वाद भक्तों पर बनाए रखती हैं.

मां कुष्मांडा को ये पुष्प करें अर्पित

नवरात्रि के चौथा दिन नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है. मां कूष्मांडा को पीले रंग का पुष्प जैसे पीला कमल, गेंदा अर्पित प्रिय होता है. इसलिए मां कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का फूल अर्पित करें. ऐसा करने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होकर भक्तों को बेहतर स्वास्थ का वरदान देती है.

कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप?

मां कूष्मांडा नौ देवियों में से चौथा अवतार माना जाता है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होती है. . इसी कारण उन्हें अष्ठभुजा के नाम से जाना जाता है. बता दें कि मां के एक हाथ में जपमाला होता है. इसके साथ ही अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा शामिल है.

मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त

नवमी तिथि आरंभ- 29 सितंबर को तड़के 1 बजकर 27 मिनट से शुरू

नवमी तिथि समाप्त- 30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट तक

विशाखा नक्षत्र- 29 सितंबर सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 30 सितंबर सुबह 5 बजकर 13 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक

मां कूष्मांडा मंत्र- Maa Kushmanda Mantra

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

ऐसे करें मां कूष्‍मांडा पूजा विधि- Maa Kushmanda Puja Vishi

माना जाता है कि मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. मान्यता है जो भक्त मां के इस रूप की आराधना करते हैं, उनपर कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता. नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें. फिर मां कूष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें. पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें. और क्षमा याचना करें, कि जो भी आपसे पूजा में भूल हुई हो मां उसे माफ करे.

मां कुष्मांडा पूजा विधि

  • नवरात्रि के चौथे दिन ब्रम्ह मुहर्त में उठकर नित्य कर्म से मुक्त होकर स्नान करें.

  • इसके बाद विधि-विधान से कलश की पूजा करने के साथ मां दुर्गा और उनके इस स्वरूप की पूजा करें.

  • मां कूष्मांडा को सिंदूर, पुष्प, माला, अक्षत आदि चढ़ाएं.

  • इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर माता के मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें.

  • विधिवत दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करें.

  • माता का इस विधि से किया गया पूजन सभी समस्याओं का हल निकालने में मदद करता है.

कुंद के पुष्प देवी को प्रिय

कूष्मांडा देवी की आराधना करते वक्त किन बातों का ख्याल रखना चाहिए और पूजा विधि किस तरह से करनी चाहिए और पूजा में किस तरह की सामग्री का उपयोग करना चाहिए इसको लेकर पंडित राजेंद्र किराडू ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वैसे तो देवी की पूजा अर्चना शुद्ध मन से की गई हो तो सभी प्रकार के अर्पण स्वीकार्य हैं. लेकिन पूजन विधि में कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए. देवी कूष्मांडा को कुंद के पुष्प अति प्रिय हैं. कूष्मांडा देवी को कुंद का पुष्प आर्पित कर आराधना करनी चाहिए और लक्षार्चन करना चाहिए. देवी कूष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए.

मनोकामना सिद्धि

पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व है और इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. वे कहते हैं कि मां कुष्मांडा मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी है षोडशोपचार के साथ मां की आराधना साधक करता है तो उसकी मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि सभी देवियों का स्वरूप उग्र हो ऐसा जरूरी नहीं है और हमारे शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है. साथ ही उन्होंने कहा कि मां कूष्मांडा का स्वरूप शांत है.

नवरात्रि के चौथे दिन का शुभ रंग

नवरात्रि के चौथे दिन हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है.

मां कूष्मांडा का भोग

मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं.

मां कूष्मांडा महामंत्र (Ma Kushmanda Mahamantra)

वन्दे वाछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्.

सिंहरूढा अष्टभुजा कूष्माण्डायशस्वीनाम्..

या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..

ओम देवी कूष्मांडायै नम:.

सूरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च.

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे..

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