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Navratri 2022, Maa Bharamacharini Puja LIVE: आज नवरात्रि के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

Navratri 2022 Day 2, Maa Bharamacharini Puja LIVE: नवरात्रि के दूसरे दिन आज मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराज्ञ्य की देवी माना जाता है. मां दुर्गा के इस स्वरूप में उनके एक हाथ में जप की माता और दूसरे हाथ में कमण्डल है.आइए जानते हैं इस नवरात्रि दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग.

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मां दुर्गा की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-अर्चन किया जाता है. इनका यह स्वरुप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है. बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. दस भुजाओं वाली देवी के हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र विभूषित है.

हर छह महीने के अंतराल पर आती है नवरात्रि

हर साल 6 महीने के अंतराल पर नवरात्रि आती हैं. पहेल दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा चौथे दिन मां कुष्मांडा, 5वे दिन स्कंद माता, 6ठे दिन मां कात्यायनी, 7वें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नवें दिन मां सिद्धिदात्री के रूप की पूजा की जाती है. मां के हर रूप का महत्व है और हर रूप की अलग खासियत है. 4 अप्रैल को नवरात्रि का तीसरा दिन है और आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जा रही है.

इसलिए पड़ा मां चंद्रघंटा नाम

देवी मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है. इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है. मां के 10 हाथ हैं. इनके हाथों में खड्ग, अस्त्र-शस्त्र और कमंडल विराजमान है.

मां चंद्रघंटा का भोग और प्रिय रंग

मां चंद्रघंटा की पूजा के समय सफेद, भूरा या स्वर्ण रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. इसके साथ भक्त इस दिन दूध से बने मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं. मान्यता है कि माता को शहद भी प्रिय है.

मां चंद्रघंटा पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें. फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें. अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें.

मां ब्रह्मचारिणी संध्या आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता

ब्रह्मा जी के मन भाती हो

ज्ञान सभी को सिखलाती हो

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा

जिसको जपे सकल संसारा

जय गायत्री वेद की माता,

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता,

कमी कोई रहने न पाए,

कोई भी दुख सहने न पाए,

उसकी विरति रहे ठिकाने,

जो ​तेरी महिमा को जाने,

रुद्राक्ष की माला ले कर,

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर,

आलस छोड़ करे गुणगाना,

मां तुम उसको सुख पहुंचाना,

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम,

पूर्ण करो सब मेरे काम,

भक्त तेरे चरणों का पुजारी,

रखना लाज मेरी महतारी.

मां ब्रह्मचारिणी का ऐसा है स्वरूप

शास्त्रों में मां ब्रह्माचारिणी को ज्ञान और तप की देवी माना जाता है. कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करते हैं, उन्हें धैर्य के साथ और ज्ञान की प्राप्ति होती है. ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, तो वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली. इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली. मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

नवरात्रि में घर लाएं मोर पंख

मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मोर पंख को घर में लाना शुभ माना गया है. बताया गया कि नवरात्रि के दौरान घर में मोर पंख लाने से वास्तु दोष दूर होता है और उसकी पूजा करने के बाद अगर बच्चों के कमरे में रखा जाए तो उनका पढ़ाई में मन लगा रहेगा.

सुपारी अर्पित करने से विवाह का वरदान मिलता है

नवरात्रि पूजा में देवी को सुपारी अर्पित करने से विवाह का वरदान प्राप्त होता है. इसके लिए एक संपर्ण सुपारी लें, सुपारी जितनी बड़ी हो उतना ही शुभ होगा. इसके चारों ओर सिंदूर लगाएं. इसके बाद सुपारी को पीले कपड़े में लपेट कर देवी को अर्पित कर दें. इसके बाद देवी से विवाह की प्रार्थना करें. ये उपाय करने से शीघ्र विवाह का आशीर्वाद मिलता है.नवरात्रि के बाद कपड़े के साथ सुपारी को अपने शयनकक्ष में रख लें.

लौंग के प्रयोग से मनोकमना पूर्ण होगी

देवी की पूजा में लौंग का प्रयोग ज्यादा होता है. इसका उपयोग करने से मनोकामनाएं पूरी होती है.उपाय करने के लिए आपको अपनी उम्र के बराबर लौंग लेना है, जिसे काले धागे में बांधकर माला बना लें. नवरात्रि में किसी भी जो आपको ठीक लगे उस दिन देवी को लौंग की माला अर्पित करें. इसके बाद अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें. मनोकामना पूर्ण हो जाने के बाद माला को जल में प्रवाहित कर दें. बता दें कि नवरात्रि में देवी को चांदी के लौंग चढ़ाने से तंत्र मंत्र की बाधा कट जाती है.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में करे ये उपाय

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों के साथ चंद्रमा के मंत्रों का जाप करना उचित माना जाता है. इस दिन माता को चांदी की वस्तु अर्पित की जाती हैं. साथ ही शिक्षा या ज्ञान के लिए आप मां सरस्वती की भी पूजा कर सकते हैं. भोग लगाने के बाद घर के सभी सदस्यों को प्रसाद दें. ऐसा करने से घर के सभी सदस्यों की लंबी आयु का वरदान मिलता है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाना चाहिए.

आज किन बातों का रखना है खास ख्याल

पूजा दूसरे दिन भी आपको सारे नियम का पालन करना जरूरी है. 9 दिनों तक मां को प्रसन्न करने के लिए घटस्थापना, अखंड ज्योति, आरती, भजन किए जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं में मां दुर्गा की पूजा में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है. नवरात्रि में यदि आप ने घर में कलश की स्थापना या माता रानी की चौकी या अखंड ज्योति लगाई है तो घर खाली ना छोड़े. साथ ही कलश और अखंड ज्योति बुझाने न दे. इस बात का खास ध्यान रखें

मां ब्रह्माचारिणी आरती (Maa Brahmacharini Aarti)

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता

ब्रह्मा जी के मन भाती हो

ज्ञान सभी को सिखलाती हो

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा

जिसको जपे सकल संसारा

जय गायत्री वेद की माता,

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता,

कमी कोई रहने न पाए,

कोई भी दुख सहने न पाए,

उसकी विरति रहे ठिकाने,

जो ​तेरी महिमा को जाने,

रुद्राक्ष की माला ले कर,

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर,

आलस छोड़ करे गुणगाना,

मां तुम उसको सुख पहुंचाना,

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम,

पूर्ण करो सब मेरे काम,

भक्त तेरे चरणों का पुजारी,

रखना लाज मेरी महतारी.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से लाभ (Maa Brahmacharini Puja benefit)

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से जातक की शक्ति, संयम, त्याग भावना और वैराग्य में बढ़ोत्तरी होती है.

संकट में देवी भक्त को संबल देती है. तप के जरिए देवी ने असीम शक्ति प्रप्ता की थी, इसी शक्ति से मां राक्षसों का संहार किया था. माता के आशीर्वाद से भक्त को अद्भुत बल मिलता है जो शत्रु का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है.

आत्मविश्वास और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है. देवी के प्रभाव से जातक का मन भटकता नहीं.

मां ब्रह्मचारिणी प्रिय फूल (Maa Brahmacharini Favourite Flower)

देवी को बरगद (वट) वृक्ष का फूल पसंद है.इसका रंग लाला होता है.

कैसा है मां ब्रह्माचारिणी स्वरूप ?

शास्त्रों में मां ब्रह्माचारिणी को ज्ञान और तप की देवी माना जाता है. कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करते हैं, उन्हें धैर्य के साथ और ज्ञान की प्राप्ति होती है. ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, तो वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली. इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली. मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है.

शारदीय नवरात्रि द्वितीया तिथि

नवरात्रि के दूसरे मां ब्रह्माचारिणी की पूजा का विधान है. द्वितीया तिथि की शुरुआत 27 सितंबर को 03:09 AM से ही रही है, जो कि अगले दिन 28 सितंबर को 02:28 AM तक है.

मां ब्रह्मचारिणी का भोग - रंग (Maa Brahmacharini Puja Color)

देवी ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग अति प्रिय है. देवी को इसका भोग लगाने से दीर्धायु का आशीष मिलता है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की लाल रंग शुभ माना गया है.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र (Maa Brahmacharini Puja Mantra)

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र (Maa Brahmacharini Beej Mantra)

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

मां ब्रह्मचारिण प्रार्थना मंत्र (Maa Brahmacharini Prayer Mantra)

दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja vidhi)

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में लाल रंग का ज्यादातर उपयोग करें. स्नान के बाद लाल वस्त्र पहने.

जहां कलश स्थापना की है या फिर पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, अक्षत, हल्दी अर्पित करें.

देवी को पूजा में लाल रंग के फूल चढ़ाएं. माता की चीनी और पंचामतृ का भोग लगाएं. फल में सेब जरूर रखें. अगरबत्ती लगाएं और देवी के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें

नवरात्रि में प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने बहुत शुभ माना गया है. अंत में देवी ब्रह्मचारिणी की कपूर से आरती करें.

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

मां ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी मतलब आचरण करने वाली यानी कि तप का आचरण करने वाली शक्ति. देवी के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है. भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तप किया था जिससे ये मां ब्रह्मचारिणी कहलाईं.

शारदीय नवरात्रि 2022 शुभ योग (Navratri 2022 Maa Brahmacharini Puja Shubh yoga)

शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन तीन योग ब्रह्म, इंद्र और द्विपुष्कर योग का संयोग बन रहा है. इसमें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सर्व कार्य सिद्धि का वरदान प्राप्त होगा.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा 2022 मुहूर्त (Maa Brahmacharini Puja muhurat 2022)

अश्विन शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू - 27 सितंबर 2022, सुबह 03.08

अश्विन शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त - 28 सितंबर 2022, सुबर 02.28

ब्रह्म मुहूर्त - सबुह 04:42 - सुबह 05:29

अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:54 - दोपहर 12:42 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:06 - शाम 06:30

इस प्रसाद से दूर होगा विषाद

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का शीघ्र आशीर्वाद पाने के लिए माता को नैवेद्य में केसर की खीर, हलवा या फिर चीनी का विशेष रूप से भोग लगाएं. इसके साथ किसी जरूरतमंद व्यक्ति को प्रसाद स्वरूप चीनी भी प्रदान करें. ध्यान रहे कि ऐसा करते समय आपके मन में जरा भी अभिमान न आए, इसीलिए दान की बजाय प्रसाद के रूप में उस व्यक्ति की मदद करें. मान्यता है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के इस उपाय को करने पर साधक का जीवन सुखमय हो जाता है और उसे जीवन में कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है.

इन शुभ मुहूर्त में करें पूजा

ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 am से 05:24 am

अभिजित मुहूर्त- 11:48 am से 12:36 pm

विजय मुहूर्त- 02:12 pm से 03:00 pm

गोधूलि मुहूर्त- 06:00 pm से 06:24 pm

अमृत काल- 11:51 pm से 01:27 am, 28 सितम्बर

निशिता मुहूर्त- 11:48 pm से 12:36 am, 28 सितम्बर

द्विपुष्कर योग- 06:16 am से 02:28 am, 28 सितम्बर

मां ब्रह्मचारिणी की साधना का महामंत्र

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय वस्तु

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प प्रिय हैं। ऐसे में नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प अर्पित करें.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

वहीं इस दिन की पूजा विधि की बात करें तो सर्वप्रथम देवी को पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद इन्हें पुष्प, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर वगैराह अर्पित करें. देवी ब्रह्मचारिणी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए. इन्हें मिश्री या सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं. उसके बाद ही मां की आरती करें.

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में लिया था. तब देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी. इस दुष्कर तपस्या के चलते इन्हें तपस्चारिणी यानी कि ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया (chaitra navratri 2nd day) गया. कथा के अनुसार एक हजार वर्ष उन्होंने केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था. कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे

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