Navratri Day 6 Maa Katyayani Bhog: नवरात्रि का छठा दिन है मां कात्यायनी को समर्पित, लगाएं इन चीजों का भोग

Navratri Day 6 Maa Katyayani Puja Bhog In Hindi: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है. मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था. जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है.

By Shaurya Punj | October 1, 2024 4:00 PM

Navratri Day 6 Maa Katyayani Puja Bhog katha In Hindi: 3 अक्टूबर को नवरात्र का छठा दिन है। इस दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता की विधिवत पूजा करने से भक्तों की सारी मुराद पूरी होती है. मां कात्यायनी का भोग लगाने के लिए इन चीजों का प्रयोग जरूर करना चाहिए.

मां कात्यायनी की पूजा से मिलता है ये लाभ

मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इनकी कृपा से योग्य वर और विवाह की सभी अड़चनें दूर हो जाती है। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. मां कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं। भगवान कृष्ण को पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी।

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व जानें

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है. मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था. जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है.

कुछ ऐसा है मां कात्यायनी का रूप

मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरुप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है. इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है. शेर पर सवार माँ की चार भुजाएं हैं,इनके बायें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है. भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी. ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में स्थित होता है.

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मां कात्यायनी की पौराणिक कथा

मां दुर्गा के इस स्वरूप की प्राचीन कथा इस प्रकार है कि एक प्रसिद्ध महर्षि जिनका नाम कात्यायन था, ने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए उनकी कठिन तपस्या की. कई हजार वर्ष कठिन तपस्या के पश्चात् महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलायीं. ये बहुत ही गुणवंती थीं. इनका प्रमुख गुण खोज करना था. इसीलिए वैज्ञानिक युग में देवी कात्यायनी का सर्वाधिक महत्व है.मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है. योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. इस दिन जातक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने के कारण मां कात्यायनी के सहज रूप से दर्शन प्राप्त होते हैं. साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है.

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मां कात्यायनी का भोग

माता को शहद का भोग बहुत प्रिय है.

प्रिय रंग – पीला

प्रिय भोग – शहद (Honey)

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।

जय जगमाता जग की महारानी ।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा ।।

कई नाम हैं कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

झूठे मोह से छुड़ानेवाली।

अपना नाम जपानेवाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी ।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

मां कात्यायनी के उपाय (Maa Katyayni Upay)

शीघ्र विवाह या प्रेम संबंधी मामलों के लिए चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन शाम के समय मां कात्यायनी को हल्दी की 3 गांठ चढ़ाएं अब सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पीले फूल चढ़ाते हुए ‘ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।’ मंत्र का 108 बार जाप करें. हर मंत्र के बाद एक पीला फूल माता को चढ़ाए. गोबर के उपले जलाकर उस पर लौंग व कपूर की आहुति दें. मान्यता है विवाह और वैवाहिक जीवन संबंधी हर समस्या का निवारण होता है.

नवरात्रि के छठे दिन इन मंत्रों का करें जाप

मां कात्यायनी का बीज मंत्र- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

मां कात्यायनी का पूजा मंत्र- मां देवी कात्यायन्यै नमः

मां कात्यायनी का स्तुति मंत्र- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

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