Navratri 2024 Day 4: मां कुष्मांडा पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग और आरती

Maa Kushmanda Puja Vidhi: मां कूष्मांडा सिंह पर सवार हैं. मां कूष्मांडा की उपासना से सिद्धियों, निधियों की प्राप्ति के साथ समस्त रोग- शोक दूर होते हैं और आयु व यश में वृद्धि होती है. नवरात्रि पर्व पर इनके मंदिर में मेला लगता है.

By Radheshyam Kushwaha | October 1, 2024 5:04 PM

Maa Kushmanda Puja Vidhi: नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, वे इनमें धनुष, बाण, कमल, अमृत, चक्र, गदा और कमण्डल धारण करती हैं. मां के आंठवे हाथ में माला सुशोभित रहती है. सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी जाना जाता है. मां कूष्मांडा सिंह पर सवार हैं. मां कूष्मांडा की उपासना से सिद्धियों, निधियों की प्राप्ति के साथ समस्त रोग- शोक दूर होते हैं और आयु व यश में वृद्धि होती है. नवरात्रि पर्व पर इनके मंदिर में मेला लगता है. चतुर्थी तिथि पर हजारों भक्त माता के दर्शन करने आते हैं. मनोकामना पूरी होने पर मैया को चुनरी, ध्वजा, नारियल और घंटा चढ़ाने के साथ ही भीगे चने अर्पण करते हैं.


भोग और प्रसाद

मां कुष्मांडा को मालपुआ पसंद है. मां को शुद्ध देसी घी में बने मालपुए का भोग लगाएं और पूजा के बाद इसे प्रसाद के तौर पर किसी ब्राह्मण को दान कर दें. खुद भी खाएं और घरवालों को भी खिलाएं. प्रसन्न होकर मां घर और परिवार जनों की बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करती है. खासकर विद्यार्थियों को इस है. दिन पूजा से बहुत बड़ा फल मिलता हैं.

पूजा विधि

देवी को पूरी श्रद्धा से फल, फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं. पूजन के पश्चात मां कुष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाएं. पूजा के बाद प्रसाद वितरित विकास करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें.

  • 5 शुभ योग में होगी मां कूष्मांडा की पूजा
  • रवि योग: सुबह 06 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 01 मिनट तक

  • रवि योग: सुबह 06 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 01 मिनट तक

  • आयुष्मान योग: प्रात:काल से लेकर सुबह 08 बजकर 19 मिनट तक

  • सर्वार्थ सिद्धि योग: 06 बजकर 23 मिनट से 09 बजकर 01 मिनट तक

  • सौभाग्य योग: सुबह 08 बजकर 19 मिनट से देर रात तक

  • अमृत सिद्धि योग: सुबह 06 मिनट 23 मिनट से रात 09 बजकर 01 मिनट तक

  • शारदीय नवरात्रि 2023 मां कूष्मांडा पूजा मुहूर्त
    • आश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: आज, 01 बजकर 26 मिनट पर

मां कूष्मांडा का पूजा मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है. वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं. इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है. मां का यह स्वरूप आद्यशक्ति से भरपूर है. माता का निवास सूर्यलोक में बताया गया है. वहां निवास करने की क्षमता एवं शक्ति केवल मां में ही है.

Also Read: Aaj ka Panchang 18 अक्टूबर 2023: आज है आश्विन शुक्ल पक्ष चतुर्थी उपरांत पंचमी तिथि, जानें शुभ-अशुभ समय

मां के स्वरूप में भी हमें वही चमक, कांति और तेज देदीप्यमान होता है. मां का यह स्वरूप ध्येय की पूर्णता को भी बताता है. मां को प्राणशक्ति और बुद्धि की प्रदाता भी कहा गया है. यह सृष्टि परमात्मा की शक्ति से ही चलायमान है. बीज से ही वृक्ष बनता है और अंडे से ही जीव जन्म लेता है. सृष्टि के मूल में ही समस्त ऊ जी विद्यमान है, जो उस परम शक्ति का सूक्ष्म रूप दिखाई देता है.

आराधना से ऊर्जावान बनती है प्राणशक्ति

मां की आराधना हमारी प्राणशक्ति को ऊर्जावान बनाती है. नवरात्रि के प्रथम दिवस हमें दृढ़ता, द्वितीय दिवस सचरित्रता, तृतीय दिवस मन की एकाग्रता एवं चतुर्थ दिवस असीमित जीप्रवाह और तेज प्राप्त होता है. मां कूष्मांडा तो आदिस्वरूपा और जगतजननी है. सच्चे मन से मां के इस अलौकिक और तेजस्वी रूप की आराधना करें. मां की अतुलनीय कृपा हमें अवश्य प्राप्त होगी.

Also Read: Kushmanda Devi ki Aarti: चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की ऐसे करें पूजा और आरती

Next Article

Exit mobile version