Chaitra Navratri 2021, Ma Kalaratri Puja Benefits, Swaroop, Origin, History: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के दो राक्षसों को मारने के लिए ये हिंसक रूप लिया था. गहरे काले रंग के रूप और गधे की सवारी करने वाली मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व होता है. भक्तों को मां का ये रूप बड़े से बड़े संकट से उबार सकता है. तो आइये जानते हैं मां कालरात्रि के स्वरूप, इतिहास और इनके पूजा के महत्व के बारे में…
दरअसल, माता कालरात्रि को देवी पार्वती का सबसे क्रूर रूप माना गया है. वह जहां भक्तों को अभय और वरदा मुद्रा में वर देती हैं तो दूसरी ओर पाप और पापियों के नरसंहार के लिए अपने दूसरे दोनों हाथ को तैयार रखती हैं.
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा करने की परंपरा होती है. ऐसे में इस चैत्र नवरात्रि में 19 अप्रैल को इनकी पूजा की जाएगी.
ऐसा माना जाता है कि शनि ग्रह को देवी कालरात्रि द्वारा नियंत्रित किए जाते है. विधि विधान से इनकी पूजा करने से शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है. साथ ही साथ मां कालरात्रि भक्तों को बड़े से बड़े संकट से उबार सकती हैं.
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देवी कालरात्रि का रंग गहरा काला होता है
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मां कालरात्रि गधे पर सवार होती है.
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इनकी चार भुजाएं होती हैं
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दाहिने हाथ अभय और वरदा मुद्रा में होते हैं
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जबकि बाएं हाथ में तलवार और घातक लोहे की हुक लगाती है.
Posted By: Sumit Kumar Verma