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Bihar News: जिन नक्सलियों से कांपता रहा पूरा इलाका, अचानक तीनों ने कैसे किया सरेंडर, जानिये पूरी हकीकत

जिन नक्सलियों के नाम से कभी इलाका थर-थर कांपता था, उनमें तीन नक्सलियों ने अचानक सरेंडर कर दिया. ये आत्मसमर्पण इतनी आसानी से नहीं हुआ बल्कि इसके पीछे एक लंबी कहानी है. जानिये पूरा सच...

By Prabhat Khabar News Desk | June 15, 2022 4:56 PM

पूर्वी-बिहार पूर्वोत्तर झारखंड सीमावर्ती इलाके सहित जमुई, मुंगेर और लखीसराय के सीमावर्ती इलाकों में जिन नक्सलियों के नाम से कभी इलाका थर-थर कांपता था, फिर आखिर ऐसी कौन सी वजह हो गई कि उनमें से तीन बड़े नक्सलियों को सरेंडर के लिए मजबूर होना पड़ा या ऐसी कौन सी रणनीति थी जिसे अपनाकर पुलिस ने उन नक्सलियों को सरेंडर करा लिया.

तीनों शीर्ष स्तर के कमांडर

दरअसल बीते सोमवार को जिले के चोरमारा में जिन तीन नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है, वह नक्सल संगठन के शीर्ष स्तर के कमांडर हैं. जिनमें से एक बालेश्वर कोड़ा जोनल कमांडर तो अर्जुन कोड़ा एरिया कमांडर थे. जबकि नागेश्वर कोड़ा भी शीर्ष में शुमार है.

सरेंडर करने के पीछे लंबी कहानी

यह तीनों नक्सल संगठन के पोलित केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रवेश दा के काफी करीबी हैं. इन नक्सलियों को सरेंडर कराना पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता है. पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों इन नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया. दरअसल इन तीनों नक्सलियों को सरेंडर के पीछे एक बड़ी लंबी कहानी है.

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तीनों के परिजनों से संपर्क किया गया

बीते कई महीनों से जिला पुलिस इन नक्सलियों के लिए प्रयासरत थे. ये तीनों एक ही गांव के रहने वाले हैं, ऐसे में पुलिस ने इन तीनों के परिजनों से संपर्क किया और उन्हें सरेंडर के लिए समझाना शुरू कर दिया था. हालांकि इनका आत्मसमर्पण करना इतना आसान नहीं था.

जोनल कमांडर मतलू तूरी को मुठभेड़ में मारा गया

पर बीते दिनों पुलिस के द्वारा जिले के गरही थाना क्षेत्र के गिद्धेश्वर जंगली इलाकों में नक्सल सब जोनल कमांडर मतलू तूरी को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद जिले के सभी जंगली इलाकों में पुलिस के द्वारा अभियान में काफी तेजी लाई गई. जमुई-मुंगेर-लखीसराय पुलिस के द्वारा संयुक्त रुप से अभियान चलाए जाने लगा और अपने ऊपर शिकंजा कसता देख इन नक्सलियों के सामने कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.

क्सलियों के सामने आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति

इसके अलावा नक्सलियों के सामने आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति उत्पन्न हो गई थी. बताते चलें कि नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए इनके परिजनों से लंबे समय से बातचीत हो रही थी ऐसे में नक्सल के शीर्ष संगठन को इसकी भनक लग गई थी. ऐसे में संभव था कि नक्सल संगठन ही इनकी हत्या कर देता.

अपनी हत्या का भी डर

अपने संगठन के हाथों मारे जाने या पुलिस के हाथों मारे जाने की स्थिति उत्पन्न होता देख दिनों नक्सलियों के सामने सरेंडर ही एकमात्र रास्ता बचा था और ऐसा ही इन्होंने किया भी तथा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इनके आत्मसमर्पण के बाद पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है और संभावना है कि नक्सल संगठन के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ पाएगी, जिससे संगठन को कमजोर करने में पुलिस को काफी मदद मिलेगी.

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Posted By: Thakur Shaktilochan

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