इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसर्स के खिलाफ NBW जारी, असिस्टेंट के साथ छेड़खानी का मामला

प्रयागराज सीजेएम कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. अदालत ने प्रोफेसर जावेद अख्तर और प्रह्लाद कुमार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. वहीं एक अन्य प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण के खिलाफ भी वारंट जारी किया गया है.

By Sandeep kumar | May 1, 2023 6:29 PM

Prayagraj : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज सीजेएम कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. अदालत ने प्रोफेसर जावेद अख्तर और प्रह्लाद कुमार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. वहीं एक अन्य प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण के खिलाफ भी वारंट जारी किया गया है. इन तीनों पर विभाग की ही एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने छह साल पहले कर्नलगंज थाने में यौन शोषण और एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करवाइ थी.

महिला प्रोफेसर ने आरोप लगाया था कि प्रो. प्रहलाद कुमार समेत कुछ अन्य वरिष्ठ प्रोफेसर अनुसूचित जाति से होने के कारण उनसे द्वैष भावना रखते हैं और उत्पीड़न करते हैं. तीनों पर यौन शोषण और एससी-एसटी एक्ट के तहत 2016 में केस दर्ज हुआ था.

दरअसल, ये मामला 4 अगस्त 2016 का है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर दीप शिखा सोनकर का आरोप था कि विभाग के ही प्रो. प्रहलाद कुमार और कुछ अन्य वरिष्ठ शिक्षक द्वारा अनुसूचित जाति से होने के कारण शुरू से ही उत्पीड़न किया जा रहा था. इसकी शिकायत विश्वविद्यालय सहित कर्नलगंज थाने, अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग से की थी. इसके बाद 4 अगस्त 2016 को उनको इन तीनों प्रोफेसरों ने विभागाध्यक्ष कार्यालय में बुलाकर डांटना शुरू कर दिया.

शिकायत के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर पर बनाते थे दबाव

यही नहीं जाति सूचक शब्द और अशब्दों का प्रयोग करते हुए एक घंटे तक बंधक बनाए रखा. जब से मैंने अपने उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है तभी से प्रो. प्रहलाद कुमार, प्रो. मनमोहन कृष्ण और जावेद अख्तर उक्त शिकायत को वापस लेने का दबाव बनाते रहते हैं. अनेक असामाजिक तत्वों को मेरे पास भेजते रहते हैं. तरह तरह से मेरा उत्पीड़न करते रहते हैं. इस तहरीर के आधार पर कर्नलगंज पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच की थी. अब इसी मामले में तीनों आरोपियों को सीजेएम कोर्ट ने वारंट जारी किया गया है.

विश्वविद्यालय जांच समिति ने जांच में कुछ नहीं पाया

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी डॉ. जया कपूर ने बताया कि विश्वविद्यालय ने दीपशिखा सोनकर की शिकायत को गंभीरता से लिया था और तत्कालीन कुलपति द्वारा शिकायत तुरंत नियमानुसार गठित समिति (सीकैश) को दे दिया गया था. समिति ने मामले की विस्तृत पड़ताल की थी और दीशिखा की शिकायत पूरी तरह निराधार निकली थी. इस दौरान सोनकर ने समिति द्वारा भेजे गए सवालों के जवाब भी नहीं दिए थे और अपने आरोपों के संबंध में कोई सबूत भी समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किये थे.

समिति को सोनकर के सहकर्मियों ने असहयोगी और अवज्ञापूर्ण बताया था, जबकि तीनो ही आरोपित शिक्षकों के आचरण से किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं सामने आयी थी. उनके असहयोग एवं अपनी बात के पक्ष में साक्ष्य न दे पाने के कारण समिति ने उनकी शिकायत को विभाग एवं उसके वरिष्ठ प्रोफेसरों और विश्वविद्यालय की मानहानि से प्रेरित पाया था.

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