राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश के खिलाफ गूगल की अपील पर 28 नवंबर को सुनवाई करेगा. प्रतिस्पर्धा नियामक ने टेक्नोलॉजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी पर प्ले स्टोर नीतियों के संबंध में अपनी दबदबे की स्थिति के दुरुपयोग को लेकर 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इसके न्यायिक सदस्यों में से एक न्यायमूर्ति राकेश कुमार ने 17 अप्रैल को याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. यह मामला एनसीएलएटी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था. पीठ में चेयरमैन न्यायमूर्ति अशोक भूषण और आलोक श्रीवास्तव शामिल है. पीठ ने सीसीआई सहित संबंधित पक्षों से चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. इसके अलावा पीठ ने गूगल को इसका प्रत्युत्तर दाखिल करने, यदि कोई हो, के लिए दो सप्ताह का समय भी दिया है. अपीलीय न्यायाधिकरण ने मामले को सुनवाई के लिए 28 नवंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.
इस साल 17 अप्रैल को जस्टिस राकेश कुमार और आलोक श्रीवास्तव की एनसीएलएटी पीठ ने गूगल की अपील को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था. सीसीआई ने 25 अक्टूबर, 2022 को प्ले स्टोर नीतियों को लेकर अपनी दबदबे का स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए गूगल पर 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. नियामक ने कंपनी को अनुचित व्यावसायिक व्यवहार से बचने को भी कहा था. इसे गूगल ने एनसीएलएटी के समक्ष चुनौती दी थी.
इस साल 11 जनवरी को, जस्टिस कुमार और श्रीवास्तव की एनसीएलएटी पीठ ने गूगल को इस मामले में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. इसने गूगल को अपनी रजिस्ट्री के पास जुर्माने का 10 प्रतिशत जमा करने का निर्देश दिया था और मामले को 17 अप्रैल, 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था. इसी तरह, 4 जनवरी को इसी पीठ ने अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम की दबदबे की स्थिति के दुरुपयोग के लिए गूगल पर सीसीआई द्वारा लगाए गए 1,337 करोड़ रुपये जुर्माने पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए उसे कुल राशि का 10 प्रतिशत जमा करने के लिए कहा था.
दोनों मामलों को गूगल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 1,337 करोड़ रुपये के जुर्माने का मामला एनसीएलएटी के पास वापस भेज दिया और गूगल की अपील पर 31 मार्च तक फैसला करने को कहा था. चेयरमैन जस्टिस अशोक भूषण और आलोक श्रीवास्तव की एनसीएलएटी की पीठ ने 29 मार्च को पारित आदेश में गूगल पर जुर्माने को उचित ठहराया था. हालांकि, इसने प्ले स्टोर पर तीसरा पक्ष ऐप स्टोर को होस्ट करने की अनुमति जैसी शर्तों को हटा दिया था. बाद में गूगल ने 936.44 करोड़ रुपये के जुर्माने के मामले को एनसीएलएटी में ही आगे बढ़ाने का फैसला किया.