एनडीआरएफ प्रमुख ने राज्यों से कहा, सबसे खराब स्थिति से निबटने की तैयारी करें
एनडीआरएफ प्रमुख एसएन प्रधान ने बंगाल और ओड़िशा से यश चक्रवात से निबटने के लिए जरूरत से अधिक तैयारी करने को कहा है.
कोलकाता : ऐसे में जब पश्चिम बंगाल और ओड़िशा पिछले साल के अम्फान के कहर के बाद एक और गंभीर चक्रवात का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं, एनडीआरएफ प्रमुख एसएन प्रधान ने दोनों राज्यों के अधिकारियों से आसन्न प्राकृतिक आपदा के लिए जरूरत से अधिक तैयारी करने के लिए कहा है. उन्होंने कम जोखिम वाले स्थानों से भी लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आग्रह किया है.
श्री प्रधान ने कहा कि लोगों को जोखिम वाले क्षेत्रों से निकालने के कार्य में लगे लोगों को यह समझना चाहिए. साथ ही लोगों को यह समझाना चाहिए कि चयन अस्थायी असुविधा और मृत्यु के बीच करना है. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) प्रमुख प्रधान ने कहा कि वर्षों के अपने अनुभवों से हमने अब तक जो सीखा है, वह यह है कि यदि आपदा की भविष्यवाणी ‘एक्स’ है, तो आपको 2एक्स की तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि एक प्राकृतिक घटना कुछ ही घंटों में भीषण में तब्दील हो सकती है.
उन्होंने कहा कि इसलिए, यदि पूर्वानुमान 150 किमी प्रति घंटे के एक बहुत गंभीर चक्रवात के लिए है, तो आपको एक अत्यंत गंभीर चक्रवात के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को मेरी सलाह यह है कि कम संवेदनशील स्थानों के रूप में पहचाने गये स्थानों से भी लोगों को निकालने का चयन किया जाये. कृपया याद रखें, समय से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना एक जीवन रक्षक कदम है. मेरा मानना है कि जरुरत से अधिक तैयारी की संस्कृति अब भारत में आनी चाहिए.
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उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में अब तक 12 टीमें तैनात की गयी हैं और टीमें तैयार हैं. प्रत्येक राष्ट्रीय आपदा मोचन बल टीम में 47 कर्मी हैं, जो पेड़ और पोल कटर, संचार उपकरणों, हवा वाली नौकाओं और मूलभूत चिकित्सा सहायता से लैस हैं. उन्होंने कहा कि इसके कई कर्मी हाल ही में गुजरात से लौटे हैं, जो कुछ दिन पहले चक्रवात ताउते से प्रभावित हुआ था.
श्री प्रधान ने कहा कि इन कर्मियों की कोरोना जांच की जा रही है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि चक्रवात यश के 26 मई की शाम तक पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओड़िशा के तटों को पार करने की उम्मीद है, जिस दौरान हवा की गति 155-165 किमी प्रति घंटे रह सकती है. इससे पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओड़िशा के तटीय जिलों में बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है.
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श्री प्रधान ने कहा कि विशेष बल अब बहाली कार्य के लिए बेहतर उपकरणों के साथ अधिक तकनीकी रूप से सुसज्जित है. उन्होंने कहा कि इन दिनों स्वचालित उपकरणों का बहुत चलन है. उदाहरण के लिए, हमारे पास लंबे पेड़ों के लिए बैटरी चालित कटर हैं, जिन्हें दूर से इस्तेमाल करके काटा जा सकता है. प्लाज्मा पोल कटर भी कुछ नया है.
एसएन प्रधान ने हालांकि आपातकालीन स्थितियों के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के कर्मियों के प्रशिक्षण और उपलब्धता पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि या तो वे (एसडीआरएफ) कागज पर हैं या संख्या में बहुत कम थे और पर्याप्त प्रशिक्षित नहीं थे. मुझे लगता है कि इस संदर्भ में ओड़िशा मॉडल प्रशंसनीय है, क्योंकि उनके पास एक प्रतिबद्ध ओडीआरएएफ और दमकल सेवा दल हैं, जो आपदा प्रबंधन कर्मियों के रूप में भी काम करते हैं.
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कोरोना महामारी से भी निबट रहा एनडीआरएफ
यह पूछे जाने पर कि एनडीआरएफ महामारी की स्थिति से कैसे निबट रहा है, महानिदेशक ने कहा कि कर्मियों के बीच आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ाने के लिए कई उपाय किये गये हैं, जिनसे लगभग 98 प्रतिशत का टीकाकरण करना शामिल है. उन्होंने कहा कि सभी जवान एक विशेष गियर पहनते हैं, जो पूरे चेहरे को ढंकता है और छाती तक फैला होता है. हमने अपनी खुद की कोरोना जांच व्यवस्था करने के अलावा हर बटालियन में कम से कम 10 बिस्तरों वाले अस्थायी अस्पताल भी स्थापित किये हैं, जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और बुनियादी दवाओं जैसी सुविधाओं से लैस हैं.
Posted By: Mithilesh Jha