Jharkhand news, Koderma news : कोडरमा बाजार : कोडरमा जिला अंतर्गत डोमचांच अंचल के तराई मौजा में करीब 427 एकड़ जमीन फर्जी तरीके से टाटा स्टील के नाम कर देने के मामले में 6 साल बाद कोडरमा पुलिस ने एक कंपनी के प्रबंधक को जमशेदपुर से गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी नीरज वर्मा पिता बलराम प्रसाद वर्मा निवासी आदित्यपुर जिला सरायकेला- खरसावां को न्यायिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद रविवार को जेल भेज दिया गया. यह कार्रवाई डीएसपी मुख्यालय संजीव कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने की.
नीरज जमशेदपुर में संचालित मस्केट रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का प्रबंधक है. इस फर्जीवाड़े को लेकर कोडरमा थाना में दर्ज कांड संख्या 11/14 में इसी कंपनी के निदेशक रामचंद्र मार्डी को भी आरोपी बनाया गया था. 6 साल बाद भी मार्डी पुलिस पकड़ से बाहर है, जबकि अब जाकर नीरज पुलिस के हत्थे चढ़ा. इससे पहले मामलों का खुलासा होने के बाद दर्ज केस में आरोपी बनाये गये तत्कालीन पदाधिकारी व अन्य आरोपी जेल जा चुके हैं और फिलहाल जमानत पर चल रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2014 में तत्कालीन एसडीओ सुनील कुमार के द्वारा की गयी जांच में डोमचांच अंचल के तराई मौजा में करीब 427 एकड़ वन भूमि को हेराफेरी कर टाटा स्टील के नाम कर देने का खुलासा हुआ था. तत्कालीन उपायुक्त डॉ प्रवीण शंकर के निर्देश पर डीसीएलआर जीतेंद्र कुमार देव ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें निबंधन पदाधिकारी मनोज कुमार रुखियार, प्रधान सहायक असहरउद्दीन सहित 24 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था.
इस संबंध में डीएसपी संजीव सिंह ने बताया कि मस्केट रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक व निदेशक ने इस डील में भूमिका निभायी थी. गुप्ता सूचना के आधार पर प्रबंधक को गिरफ्तार किया गया है. निदेशक की गिरफ्तारी को लेकर प्रयास किया जा रहा है.
एसडीओ की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी थी कि तराई मौजा की 427 एकड़ वन भूमि को फर्जी तरीके से 5 करोड़ में टाटा स्टील कंपनी के नाम कर दी गयी. उक्त जमीन कंपनी ने क्षतिपूरक वन लगाने के लिए खरीदी थी. सवाल उठा था कि जिस भूमि पर पहले से ही वन लगा है, उस पर कैसे वन रोपण होगा. जांच के दौरान यह बात भी सामने आयी कि आरोपियों ने साजिश के तहत प्लॉट नंबर में छेड़छाड़ कर एक को 11, 2 को 12 व 3 को 13 करते हुए कई प्लॉट बेच दिये. इसमें रकवा नंबर एवं थाना नंबर सही था. जांच में यह भी सामने आयी थी कि इस कार्य में तत्कालीन डीएफओ के अलावा डोमचांच के तत्कालीन सीओ, सीआई एवं राजस्व कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध थी.
Posted By : Samir Ranjan.