नीट काउंसलिंग में हो रही देरी के विरोध में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की अपील पर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर जाने से चिकित्सा व्यवस्था चरमराने लगी है. हर वार्ड में एक सीनियर डॉक्टर के ऊपर कई मरीजो का देखने का बोझ बना हुआ है. जूनियर डॉक्टर नीट में काउंसलिंग की मांग पर अड़े जूनियर डॉक्टरों ने फ़िलहाल हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है.
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर जाने पर वार्डो में भर्ती मरीजों की परेशानी बढ़ गई और अनेकों मरीज बिना दिखाए वापस चले गए. वहीं सीनियर डॉक्टरों पर बोझ इस कदर बढ़ गया है. अल्ट्रासाउंड कक्ष में बस एक सीनियर डॉक्टर होने की वजह से गंभीर मरीजो का ही अल्ट्रासाउंड हो पा रहा है. वार्ड में भर्ती सर्जरी वाले मरीजों की ड्रेसिंग के लिए एक से दो घंटे तक का इंतजार मरीजो को करना पड़ रहा है.
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण नेत्र रोग विभाग में गंभीर मरीजो का ऑपरेशन हो पा रहा है। ठंड में आंखों का आपरेशन बहुतायत होता है. लेकिन जूनियर डॉक्टरो के काम न करने से बहुत दिक्कतों का सामना मरीजो को करना पड़ रहा है. इसके साथ साथ ओपीडी में बहुत परेशानी हो रही है. बीएचयू में रोज करीब चार से पांच हजार मरीज वाराणसी के आसपास जिलों से इलाज के लिए दिखाने आते है.
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि IMSBHU के रेजिडेंट डॉक्टरो ने उच्चतम न्यायालय से काफ़ी समय से रुकी जीआर डॉक्टरों की नियुक्ति को जल्दी ही कराने की मांग को लेकर NEET-PG की काउंसिलिंग करने की गुहार लगाई है. पिछले 1 साल बीत जाने के बाद भी NEET-PG परीक्षाओं की कांउसिलिंग -आरक्षण विवाद के चलते नही हो पा रही हैं, जिसकी वजह से रेजिडेंट डॉक्टरों को आगे प्रमोट न किये जाने की वजह से वे प्रशिक्षण नही प्राप्त कर पा रहे हैं.
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इनपुट : विपिन सिंह