नयी किताब : जाने-अनजाने इतिहास से परिचय

भारत का अनकहा इतिहास में राजनीति की खुलती परतें' पुस्तक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत हुई है. पुस्तक के लेखक रघु हरि डालमिया और विवेक मिश्र के विषय में यह कहा जा सकता है कि इस पुस्तक के माध्यम से ऐसा ही परिश्रम और पुरुषार्थ कर जीवन की सार्थकता को निखारने का प्रयास किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 4, 2022 2:46 PM

फिल्म ‘ब्रेवहार्ट’ में एक डायलॉग है- ‘इतिहास उन्होंने ही लिखा है, जिन्होंने नायकों की बलि चढ़ायी है.’ आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में पाश्चात्य विद्वानों ने इतिहास को इतना बदल दिया कि उसका मूल स्वरूप ही खो गया. इसके लिए काफी हद तक कंपनी सरकार का राजनीतिक हित जिम्मेदार रहा, तो वहीं भारतीय इतिहास के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के शुरुआती दौर के पश्चिमी लेखकों की शिक्षा-दीक्षा, रहन-सहन, खान-पान आदि भी भारतीय परिवेश से पूर्णतः भिन्न होना एक प्रमुख कारण रहा. पाश्चात्य विद्वानों का अपनी राजनीतिक रूप से विजयी जाति पर अभिमान, सामाजिक दृष्टि से श्रेष्ठता की सोच, धार्मिक दृष्टि से ईसाई धर्म के सिद्धांतों के समर्थन ने हमें अपने वास्तविक इतिहास से कोसों दूर कर दिया.

‘भारत का अनकहा इतिहास

राजनीति की खुलती परतें’ पुस्तक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत हुई है. वीर सावरकर ने ‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम’ में लिखा था- ‘जो राष्ट्र अपने अतीत की चेतना से रहित है, उसका कोई भविष्य नहीं. साथ ही यह भी सत्य है कि राष्ट्र को अपने अतीत को समझने की ही शक्ति का विस्तार नहीं, भविष्य के लिए उसका उपयोग करने की शक्ति का भी विकास करना चाहिए.’ ऐसा कार्य अतीत के गर्व और गौरव से परिचित कराता है. वह जितना ही स्पष्टता के साथ किसी पाठक के भीतर प्रकट होता जाता है, उतना ही संबंधित लेखक का किया गया परिश्रम और पुरुषार्थ सार्थक हो उठता है.

प्रस्तुत पुस्तक के लेखक रघु हरि डालमिया और विवेक मिश्र के विषय में यह कहा जा सकता है कि उन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से ऐसा ही परिश्रम और पुरुषार्थ कर जीवन की सार्थकता को निखारने का सफल प्रयास किया है. डॉ अमित कुमार कुशवाहा ने इस पुस्तक के संदर्भ में लिखा है कि ‘स्वाधीनता के अमृत महोत्सव में यह पुस्तक भारतीय लोकतंत्र की ऐतिहासिक यात्रा के उन प्रश्नों पर विचार करती है, जिनसे अधिकांश भारतीय अपरिचित हैं. भारतीय स्वाधीनता की अविरल यात्रा के लेखन में यह पुस्तक एक मील का पत्थर साबित होगी.’ तथ्यों और शोधपरक विवरणों से भरपूर यह पुस्तक इतिहास के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और पाठकों के लिए संग्रहणीय एवं पठनीय है.

भारत का अनकहा इतिहास: राजनीति की खुलती परतें / रघु हरि डालमिया एवं विवेक मिश्र / प्रभात पेपरबैक्स

– देवेन्द्रराज सुथार

Next Article

Exit mobile version