16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नया अध्याय

पहली जनवरी अपने जीवन, आचरण और दिनचर्या को नये कलेवर में सजाने का संकल्प लेने का दिन भी है.

नये वर्ष का पहला दिन केवल कैलेंडर बदलने का दिन नहीं होना चाहिए. पहली जनवरी अपने जीवन, आचरण और दिनचर्या को नये कलेवर में सजाने का संकल्प लेने का दिन भी है. मानवता का इतिहास दर्शाता है कि तमाम आपदाओं, दुर्घटनाओं और विपत्तियों के बावजूद मनुष्य ने आशा का दामन नहीं छोड़ा, आकांक्षाओं और सपनों से उसका नाता बना रहा. इसीलिए तो कहते हैं कि उम्मीद एक जिंदा शब्द है. यह सच है कि देश और दुनिया के सामने समस्याओं और संकटों का अंबार लगा हुआ है, पर यह भी सच है कि उनके समाधान के लिए भी सतत प्रयास हो रहे हैं. जलवायु परिवर्तन की चुनौती बड़ी है. बढ़ते तापमान के कारण धरती पर जीवन के अस्तित्व को लेकर आशंका बढ़ती जा रही है. इससे प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में भी तीव्र वृद्धि हो रही है. समाधान के क्रम में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन और उपभोग बढ़ाने तथा उत्सर्जन में कमी लाने की कोशिशें हो रही हैं. हम सभी को इन कोशिशों के साथ जुड़ना चाहिए और अपना योगदान करना चाहिए. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ-साथ हमें वित्तीय स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देनी चाहिए. इस वर्ष भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार का क्रम जारी रहेगा. इस बढ़ोतरी में हम सबकी अधिकाधिक सहभागिता होनी चाहिए, ताकि हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को पूरा कर सकें. यह भी आवश्यक है कि हम अपने देश और अपनी सांस्कृतिक विविधता को अधिक से अधिक जानें.

सुप्रसिद्ध यायावर राहुल सांकृत्यायन कहा करते थे कि हर व्यक्ति को कम से कम अपने निवास के डेढ़ सौ किलोमीटर की परिधि में यात्रा तो करनी ही चाहिए. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आह्वान किया है कि हमें देश भ्रमण करना चाहिए. भारत में तीर्थ स्थलों की बड़ी संख्या तो है ही, हर मौसम के हिसाब से देखने-घूमने लायक पर्यटन के केंद्र भी हैं. इस वर्ष हमारी योजना में यात्राओं के लिए भी जगह होनी चाहिए. सकारात्मक वातावरण में ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव है. इसलिए हमें घर-परिवार और समाज से हिंसा, अपराध और भ्रष्टाचार की मौजूदगी खत्म करने की कोशिश भी करनी चाहिए. बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और वंचितों के लिए सुरक्षित परिवेश बनाना हम सभी का दायित्व होना चाहिए. तकनीक, जीवन शैली और कामकाज के बदलते रूपों के कारण सामुदायिकता और सामूहिकता का जो लोप होता जा रहा है, वह हमारे सभ्यतागत मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप नहीं है. इस पर ध्यान देने को भी हमें अपने संकल्पों में शामिल करना चाहिए. परस्पर सहकार से इस वर्ष हम एक नया अध्याय लिख सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें