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‘धपेल’ का नया संस्करण पाठकों के बीच, पलामू के जीवन संघर्ष को बयां करता उपन्यास

झारखंड स्थित सघन वन पठार क्षेत्र पलामू के कठिन जीवन-संघर्ष पर आधारित श्याम बिहारी श्यामल के बहुचर्चित उपन्यास 'धपेल' का नया संस्करण पाठकों के बीच पेपरबैक के रूप में आया है. चर्चित किताबें कम मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए हिंदी संसार में मशहूर राजकमल पेपरबैक की पाठकों में सर्वाधिक लोकप्रियता है.

रांची/डाल्टनगंज : झारखंड स्थित सघन वन पठार क्षेत्र पलामू के कठिन जीवन-संघर्ष पर आधारित श्याम बिहारी श्यामल के बहुचर्चित उपन्यास ‘धपेल’ का नया संस्करण पाठकों के बीच पेपरबैक के रूप में आया है. चर्चित किताबें कम मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए हिंदी संसार में मशहूर राजकमल पेपरबैक की पाठकों में सर्वाधिक लोकप्रियता है. श्यामल पलामू के ही मूल निवासी हैं जो लंबे समय से वाराणसी में रहकर पत्रकारिता और लेखन-कार्य करते हैं. जयशंकर प्रसाद के जीवन-युग पर आधारित उनका नया उपन्यास ”कंथा” इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में है. पाठकों में इसकी धूम मची है. हिंदी संसार ने इस तरह अंगीकार किया कि राजकमल को एक साल के बाद हाल ही दूसरा संस्करण जारी करना पड़ा. इसे उत्तर प्रदेश का ‘प्रेमचंद पुरस्कार’ और राजस्थान का उत्तर प्रियदर्शी सम्मान प्राप्त हुआ है.

‘धपेल’ श्यामल का पहला उपन्यास

‘धपेल’ श्यामल का पहला उपन्यास है. राजकमल प्रकाशन ने इसे सर्वप्रथम अब से ढाई दशक पहले 1998 में हार्डबाउंड संस्करण में प्रकाशित किया था. यह कृति तभी से हिंदी के पाठकों की पसंद में शामिल है. सस्ते पेपरबैक संस्करण में छप जाने के बाद ‘धपेल’ को प्राप्त करना, पलामू समेत पूरे हिंदी जगत के पाठकों के लिए आसान हो चुका है. इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से भी मंगवाया जा सकता है.

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