‘रोजगार में मददगार साबित होगी नयी शिक्षा नीति’, BBMKU के पैनल डिस्कशन में बोले शिक्षाविद
चरित्र निर्माण के उद्देश्य से प्रेरित भारतीय ज्ञान प्रणाली में नयी शिक्षा नीति के लिए काफी संभावनाएं हैं. नयी शिक्षा नीति के साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली के तालमेल से रोजगारोन्मुखी शिक्षा का आधार तैयार किया जा सकता है. साथ ही चरित्र का निर्माण किया जा सकता है.
धनबाद : चरित्र निर्माण के उद्देश्य से प्रेरित भारतीय ज्ञान प्रणाली में नयी शिक्षा नीति के लिए काफी संभावनाएं हैं. नयी शिक्षा नीति के साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली के तालमेल से रोजगारोन्मुखी शिक्षा का आधार तैयार किया जा सकता है. साथ ही चरित्र का निर्माण किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही लब्बोलुआब था पूर्व व वर्तमान कुलपतियों के विमर्श का. मौका था शनिवार को बीबीएमकेयू के नये परिसर में ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली और नयी शिक्षा नीति’ पर पैनल डिस्कशन का.
प्रबुद्धों का विमर्श
पैनल डिस्कशन में सात वर्तमान व पूर्व कुलपति, निदेशक और प्रति कुलपति ने हिस्सा लिया. अध्यक्षता बीबीएमकेयू के कुलपति प्रो शुकदेव भोइ ने की. इसमें आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो राजीव शेखर, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो एके त्यागी, सिदो कान्हू विवि की कुलपति प्रो सोना झरिया मिंज, बीआइटी सिंदरी के निदेशक प्रो डीके सिंह, बीबीएमकेयू के प्रतिकुलपति प्रो पवन कुमार पोद्दार व पूर्व कुलपति अंजनी श्रीवास्तव ने हिस्सा लिया. संचालन डॉ हिमांशु शेखर चौधरी ने किया. प्रो भोई ने सभी कुलपति और पीजी टीचर्स एसो. के सदस्यों को सम्मानित किया. मौके पर रजिस्ट्रार डॉ सुधिंता सिन्हा, डीएसडब्ल्यू डॉ एसके सिन्हा, फाइनेंस ऑफिसर डॉ मुनमुन शरण, डेवलपमेंट ऑफिसर प्रो आरपी सिंह, रूसा के डिप्टी डायरेक्टर प्रो धनंजय कुमार सिंह, प्रो धर्मेंद्र कुमार सिंह भी मौजूद थे.
रोजगार सृजन में भी सक्षम होंगे विद्यार्थी : प्रो शुकदेव भोइ
भारतीय ज्ञान प्रणाली का लक्ष्य मानव निर्माण और चारित्रिक उत्थान रहा है. हमारी ज्ञान प्रणाली का सार गीता में है. यह हमें निष्काम कर्मयोगी बनने के लिए प्रेरित करती है. इस ज्ञान पद्धति को फिर से अपना कर ही हम विश्वगुरु के पद पर पुन: विराजमान हो सकते हैं. देश की नयी शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान प्रणाली को खासा महत्व दिया गया है. यह छात्रों के संपूर्ण विकास की बात करता है. इससे छात्र रोजगार ही नहीं हासिल करेंगे, बल्कि रोजगार सृजक बनाने में भी सक्षम होंगे.
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नयी शिक्षा नीति से होगा चरित्र का भी निर्माण : प्रो राजीव शेखर
विद्यार्थी आज शिक्षण संस्थानों में स्वयं के मूल्यों की उन्नति के लिए नहीं, बल्कि अच्छे पैकेज के लिए आते हैं. भारतीय शिक्षा पद्धति में योग, आयुर्वेद के साथ गुरुकुल प्रणाली का विशेष स्थान रहता था. यह मनुष्य को सर्वथा सुसंस्कृत और विचारवान बनाने में सक्षम है. इसलिए नयी शिक्षा नीति सिर्फ रोजगार पर ही नहीं, चरित्र निर्माण पर भी बल देता है. देश के विकास में शिक्षा का सबसे अधिक महत्व है. किसी समय अपना देश अपनी ज्ञान पद्धति के दम पर विश्वगुरु था.