गजराज के घर आया नया मेहमान, हाथियों का झुंड गांव से बाहर नहीं निकलने पर परेशान हो रहे ग्रामीण
Jharkhand News (कोडरमा) : कोडरमा जिले के मरकच्चो और जयनगर के विभिन्न गांवों में लगातार हाथियों के रहने की वजह से ये रात के समय भोजन की तलाश में निकलते हैं, वहीं एक-दो दफा आम आदमी के सामने आने पर टकराव की स्थिति बन रही है. लंबे समय तक हाथियों के इलाके में टिके होने और बढ़ रही घटनाओं को देख कर वन विभाग एक बार फिर एक्सपर्ट की टीम को बुलाने पर विचार कर रहा है. अगर जल्द ही हाथी इलाके से दूर नहीं गये, तो एक्सपर्ट टीम को बुलाया जायेगा, ताकि हाथियों के द्वारा पहुंचाये जा रहे नुकसान को कम किया जा सके.
Jharkhand News (कोडरमा), रिपोर्ट- विकास : जंगली हाथियों के झुंड ने इन दिनों कोडरमा जिले के मरकच्चो और जयनगर के विभिन्न गांवों में उत्पात मचा रखा है. हाथी लगातार जहां खेतों में लगी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं इंसानी जिंदगी के लिए भी आफत बन रहे हैं. यह पहली दफा है जब हाथियों का झुंड इतने लंबे समय तक इलाके में टिका हुआ है. हाथियों के झुंड के इतने दिन तक इलाके में टिके होने की मुख्य वजह कुछ अलग ही निकलकर सामने आयी है. वन विभाग की मानें, तो हाथी (गजराज) के झुंड में शामिल एक हथिनी ने हाल में ही एक बच्चे को जन्म दिया है. इस वजह से हाथियों का झुंड ज्यादा दूर तक मूवमेंट नहीं कर इसी इलाके में टिका हुआ है.
कोडरमा जिले के मरकच्चो और जयनगर के विभिन्न गांवों में लगातार हाथियों के रहने की वजह से ये रात के समय भोजन की तलाश में निकलते हैं, वहीं एक-दो दफा आम आदमी के सामने आने पर टकराव की स्थिति बन रही है. लंबे समय तक हाथियों के इलाके में टिके होने और बढ़ रही घटनाओं को देख कर वन विभाग एक बार फिर एक्सपर्ट की टीम को बुलाने पर विचार कर रहा है. अगर जल्द ही हाथी इलाके से दूर नहीं गये, तो एक्सपर्ट टीम को बुलाया जायेगा, ताकि हाथियों के द्वारा पहुंचाये जा रहे नुकसान को कम किया जा सके.
जानकारी के अनुसार, हर वर्ष गेहूं और सरसों की फसल के समय हाथियों का झुंड मरकच्चो के दसारो, जामू और जयनगर के गडगी क्षेत्र में पहुंचता है. हाथी बराकर नदी के किनारे बेरहवा जंगल या नादकरी की ओर से आते हैं और इलाके में लगी गेहूं की फसलों को अपना निवाला बनाते हैं. इस बीच अगर कोई हाथी झुंड से भटक जाता है या फिर कोई इंसान सामने आ जाता है, तो हाथी उग्र भी हो जाते हैं.
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हर वर्ष हाथियों का झुंड औसतन 20 से 30 दिन तक इलाके में रहता था, पर इस वर्ष ये करीब दो माह से इलाके में बने हुए हैं. कोडरमा वन प्रमंडल के डीएफओ सूरज कुमार सिंह की मानें, तो झुंड में करीब 23 हाथी हैं, जिसमें से एक हथिनी ने करीब दो माह पूर्व बच्चे को जन्म दिया है. इसके बाद इनकी संख्या बढ़कर 24 हो गयी है. इस वर्ष 4 फरवरी, 2021 को पहली बार नादकरी जंगल से हाथियों का झुंड पहुंचा था. इससे करीब छह-सात दिन पहले ही हथिनी ने बच्चे को जन्म दिया है. चूंकि झुंड में बच्चा शामिल है. इस वजह से हाथी ज्यादा दूर मूवमेंट नहीं कर कभी कोडरमा, तो कभी हजारीबाग रेंज के इलाके में ही रह रहे हैं. इस वजह से घटनाओं में इजाफा हुआ है.
इस वर्ष एक की जान ले चुके हैं हाथी
विभाग के अनुसार, इस वर्ष हाथियों के झुंड ने जयनगर के गड़गी में एक व्यक्ति को पटक कर मार डाला था. मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा भुगतान किया गया है. अलग-अलग मामले में दो व्यक्ति के घायल होने की सूचना है, पर आवेदन अप्राप्त है. वहीं, फसल और घर को नुकसान पहुंचाने की बात करें, तो पूरे वित्तीय वर्ष 2020-21 में हाथियों ने आंशिक रूप से 15 तो पूर्ण रूप से एक मकान को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बदले में 1,00,500 (एक लाख पांच सौ रुपये) का मुआवजा भुगतान किया गया है.
हाथियों ने करीब 15 क्विंटल अनाज भी नष्ट किया है, जिसके बदले 20,160 रुपये का मुआवजा 7 पीड़ितों के बीच किया गया है. पूरे वित्तीय वर्ष में हाथियों ने करीब 9.95 एकड़ में लगी फसल को बर्बाद किया है. इसको लेकर 45 लोगों ने आवेदन देकर क्लेम किया, तो इनके बीच 79,600 रुपये का मुआवजा भुगतान किया गया है. हाथी द्वारा हमले में इंसान की मौत होने पर चार लाख, तो गंभीर घायल व्यक्ति के इलाज के लिए एक लाख एवं साधारण घायल को इलाज के लिए 15 हजार रुपये का मुआवजा वन विभाग देता है.
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लौट चुकी है बाकुड़ा से आयी एक्सपर्ट टीम
विभागीय अधिकारी के अनुसार, हाथियों का झुंड अमूनन हजारीबाग प्रमंडल के दिगवार, बांका, नरैना से इंट्री करता है और एक निश्चित दिशा में चलते हुए कोडरमा में प्रवेश करता है. जिले में दसारो, जामू एवं गड़गी में ये ज्यादा सक्रिय दिखते हैं. रात के समय भोजन की तलाश में खेतों में पहुंचते हैं और सुबह होते ही जंगल में चले जाते हैं. गत 2 मार्च को गड़गी में एक व्यक्ति को कुचल कर मार डालने की घटना के बाद हाथियों को भगाने के लिए पश्चिम बंगाल के बाकुड़ा से एक्सपर्ट की टीम मंगायी गयी थी. टीम ने हाथियों को काफी दूर तक छोड़ने का प्रयास किया, पर 20 दिन बाद भी पूरी सफलता नहीं मिली. इस बीच होली की वजह से टीम वापस चली गयी. अब दोबारा बढ़ रही घटनाओं को देखते हुए टीम को पुन: बुलाने पर विचार चल रहा है.
मानव दखलअंदाजी ने वन जीवों में लाया बदलाव : सूरज कुमार सिंह
इस संबंध में कोडरमा DFO सूरज कुमार सिंह ने कहा कि वन एवं वन्य जीवों पर बढ़ रहे मानव दखलअंदाजी ने काफी कुछ बदलाव ला दिया है. जंगली इलाके से हाथी हर वर्ष कोडरमा के कुछ गांवों के पास आते थे, पर इस बार स्थिति कुछ अलग है. झुंड में बच्चे के शामिल होने एवं अभी तक गेहूं की फसल नहीं कटने की वजह से हाथी टिके हुए हैं. हम लगातार हाथियों को जंगली क्षेत्र में ही रखने को प्रयासरत हैं.
Posted By : Samir Ranjan.