नये जन औषधि केंद्र
इन केंद्रों पर किफायती दरों पर जेनरिक दवाएं दी जाती हैं जिनकी कीमत मेडिकल स्टोर्स पर बिकने वाली बड़ी कंपनियों की दवा की तुलना में 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक कम होती हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के लिए दवाओं की उपलब्धता को एक बड़ी चिंता बताते हुए कहा है कि उनकी सरकार हर भारतीय को सस्ती स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है. प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के कुछ लाभार्थियों के साथ संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि बीमारियां न केवल परिवारों, खासकर गरीब और मध्य वर्ग के लोगों, के लिए बड़ा वित्तीय बोझ बनती हैं, बल्कि इनसे देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे पर भी असर पड़ता है. प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने पूरे देश में दो हजार जन औषधि केंद्र खोले जाने की घोषणा की.
आम जनों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को और सुगम बनाने के साथ-साथ रोजगार सृजन के हिसाब से ये भी यह एक बड़ा फैसला है. ये जन औषधि केंद्र प्राथमिक कृषि ऋण समितियों में खोले जायेंगे. इससे इन समितियों के आय के स्रोत बढ़ेंगे और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे. मगर सबसे बड़ा लाभ आम जनता को होगा जिन्हेें सस्ती दवाएं मिल सकेंगी. इसी वर्ष अगस्त तक एक हजार तथा दिसंबर तक और एक हजार जन औषधि केंद्र खोले जायेंगे. सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की यह योजना 2008 में शुरू की गयी थी. अभी तक 9,300 से ज्यादा जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं. सबसे ज्यादा 1300 केंद्र उत्तर प्रदेश में है. उसके बाद कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में है. सुबह आठ से रात आठ बजे तक खुले रहने वाले इन केंद्रों पर किफायती दरों पर जेनरिक दवाएं दी जाती हैं जिनकी कीमत मेडिकल स्टोर्स पर बिकने वाली बड़ी कंपनियों की दवा की तुलना में 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक कम होती हैं.
जेनरिक दवाएं भी बड़े ब्रांडों वाली दवाओं के जैसी ही प्रभावी होती हैं. जन औषधि केंद्रों पर अभी 1,759 दवाएं उपलब्ध हैं. देश के चार शहरों – गुरुग्राम, चेन्नई, गुवाहाटी और सूरत – में बड़े भंडार बनाये गये हैं जहां से दूर-दराज के तक दवाओं को पहुंचाने के लिये 36 वितरकों को नियुक्त किया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि दुनिया में इस्तेमाल होनेवाली हर पांचवीं जेनरिक दवा भारत में बनती है. हर दिन, औसतन 12 लाख लोग जन औषधि केंद्रों पर जाकर दवाएं खरीदते हैं. भारत की यह योजना अन्य देशों को भी आकृष्ट कर रही है. स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जी-20 की एक बैठक में नाइजीरिया ने ऐसी ही योजना के लिए भारतीय अधिकारियों से संपर्क किया था.