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बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नई तकनीक से शुरू हुई एंजियोप्लास्टी, जानें खासियत और मरीजों को कैसे मिलेगा लाभ

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अब नई विधि से एंजियोप्लास्टी शुरू हो गई है. इसमें मशीन में हाई रेजुलेशन कैमरे लगे होते हैं, उनकी सहायता से स्क्रीन पर नसों के दबने व स्टंट की पूरी स्थिति देखी जा सकती है. मशीन से पता लगाया जा सकेगा कि रोगी के हृदय में स्टंट डालने की जरूरत है या नहीं.

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में नई विधि से एंजियोप्लास्टी की शुरुआत हो गई है. मेडिकल कॉलेज में चार रोगियों पर ओसीडी मशीन का प्रयोग कर एंजियोप्लास्टी की गई है. मेडिकल कॉलेज में पहले से रखी ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी (ओसीडी) मशीन से अब एंजियोप्लास्टी होने लगी है. पिछले एक सप्ताह में चार रोगियों पर इसका प्रयोग किया गया है. विशेषज्ञों की माने तो इस मशीन से ज्यादा कारगर और सटीक तरीके से एंजियोप्लास्टी किया जा सकेगा.

विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक इस मशीन के द्वारा नैनो मीटर तक सही दिखाई देता है. जिसके चलते मशीन से नस-नस की एक लेयर देखा जा सकता है और उसके बारे में विस्तृत जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है. इस मशीन से एंजियोप्लास्टी में लगभग 35000 रुपए ज्यादा लगते हैं. लेकिन, आगे चलकर कोई दिक्कत नहीं आती है. एंजियोग्राफी में आंख से देखकर स्थिति पता की जाती है कई बार आंखे धोखा खा जाती है. एंजियोप्लास्टी के दौरान स्टंट सही से नहीं लग पाता हैं.

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इसमें मशीन में हाई रेजुलेशन कैमरे लगे होते हैं, उनकी सहायता से स्क्रीन पर नसों के दबने व स्टंट की पूरी स्थिति देखी जा सकती है. ओसीडी मशीन से फ्रेक्शनल फ्लो रिजर्व टेस्ट कर यह पता लगाया जा सकेगा कि रोगी के हृदय में स्टंट डालने की जरूरत है या नहीं. इस टेस्ट का प्रयोग उन लोगों में किया जाता है जिनमें तय नहीं हो पता है कि स्टंट डाला जाए या नहीं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में यह टेस्ट दो रोगियों में किया गया. इसमें मशीन में सेंसर लगा होता है जिसे जहां नस बंद होती हैं, उसके आगे और पीछे जाकर उसका प्रेशर देखा जाता है फिर उसकी वैल्यू निकलते हैं. यदि वैल्यू प्वाइंट 8 से कम आती है तो स्टंट डाला जाता है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुनाल सिंह ने बताया कि चार दिन पहले एक रोगी मेडिकल कॉलेज में आया उसने दो साल पहले एंजियोप्लास्टी करवाई थी. उसने डॉक्टर कुनाल को बताया कि उसे चलने फिरने के बाद सीने में भारीपन होने लगता है. इसके बाद मेडिकल कॉलेज में पहले से रखी ओसीडी मशीन से उसके हृदय में पड़े स्टंट की स्थिति देखी गई तो पता चला की स्टंट ठीक से नहीं लगा है और खून का प्रवाह बाधित हो रहा था. इसी तरह एक अन्य रोगी को पहले हार्ट अटैक होने के बाद स्टंट पड़ा था. लेकिन, अब वह उसे चलने में दिक्कत होने लगी थी.

जब उस मरीज की जांच की गई तो पता चला की स्टंट ठीक लगा है. लेकिन, उसकी वजह से एक नस दब रही है. दोनों रोगों में स्टंट की स्थिति ओसीडी मशीन से देखी गई और उसका उपचार किया गया. डॉक्टर कुनाल सिंह ने बताया कि ओसीडी मशीन मेडिकल कॉलेज में पहले से है. लोगों में इसका प्रयोग अब शुरू कर दिया गया है. इससे हृदय रोगियों में स्टंट डालकर उसकी स्थिति का पता लगाया जा सकेगा. पहले से ज्यादा सटीक और कारगर उपचार इस मशीन के माध्यम से किया जा सकेगा.

वहीं बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर गणेश कुमार ने बताया कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में निरंतर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. पहले जिन रोगियों के उपचार के लिए लोगों को शहर से बाहर जाना पड़ता था अब यही उनका उपचार होने लगा है. इससे लोगों को काफी राहत मिल रही है.

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप,गोरखपुर

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