हेमंत सोरेन सरकार का नये साल पर तोहफा, ढिबरा उद्योग से फिर लौटेगी कोडरमा की रौनक, JSMDC की ये है प्लानिंग

लंबे समय से ढिबरा उद्योग को वैधानिक दर्जा देने की मांग उठ रही है. लोगों की मांग को देखते हुए वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार ने मार्च 2022 में एक अधिसूचना जारी की. झारखंड लघु खनिज समनुदान (संशोधन) नियमावली 2021 के तहत ढिबरा कारोबार को जीवित करने के लिए कई प्रावधान किए गए.

By Guru Swarup Mishra | December 25, 2022 10:26 AM

Mica Industry : आने वाला नया वर्ष 2023 कोडरमा जिलावासियों के लिए सुखद रह सकता है. माइका की चमक को लेकर विश्व पटल पर छाने वाले कोडरमा की पहचान एक बार फिर से लौटाने को लेकर राज्य सरकार गंभीर दिख रही है. माइका/ढिबरा उद्योग को पुनर्जीवित करने को लेकर तेजी से काम चल रहा है. अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने वाले कुछ महीनों में ढिबरा कारोबार को वैध रूप देकर इस उद्योग को गति देने का काम शुरू हो जाएगा. इसके लिए झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड (JSMDC) ने कवायद शुरू कर दी है. निगम विभिन्न जगहों पर स्थित डंप से ढिबरा को लाकर चिन्हित जगहों पर भंडारित कर प्रोसेसिंग सहित अन्य कार्य करेगा. पहले फेज में तिलैया के गांधी स्कूल रोड में पूर्व से स्थित निगम की 27 एकड़ जमीन पर ढिबरा भंडारण व प्रोसेसिंग ईकाई को संचालित किए जाने को लेकर काम शुरू कर दिया गया है. इस कार्य को लेकर जेएसएमडीसी के जीएम ललित कुमार व अन्य ने उक्त स्थल का जायजा लिया है.

खान विभाग से ली जाएगी अनुमति

झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड पहले इस जमीन पर फेंसिंग कराकर अपने अधिकार क्षेत्र में लेगा. इसके बाद यहां ढिबरा भंडारण व प्रोसेसिंग को लेकर डीलर लाइसेंस के लिए खान विभाग से अनुमति ली जाएगी. यह कार्य आने वाले कुछ दिनों में ही पूरा होने की उम्मीद है. इस जगह के अलावा जिले के जिस इलाके में भंडारण व प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की जरूरत महसूस होगी, निगम वहां पर इसे शुरू करेगा. इसको लेकर निगम की टीम आने वाले दिनों में कार्य करेगी. जानकारी के अनुसार कोडरमा व गिरिडीह जिले की लाखों की आबादी माइका उद्योग के पटरी पर से उतरने के बाद माइका स्क्रैप ढिबरा को चुनकर अपना रोजी रोटी चला रही है. यह कार्य पूरी तरह से अवैध रूप से संचालित होने की वजह से आए दिन पुलिस प्रशासन व खनन विभाग के साथ ही वन विभाग की टीम छापामारी करती है. आए दिन ढिबरा लोड वाहनों को जब्त किया जाता है.

ढिबरा उद्योग को वैधानिक दर्जा देने की मांग

लंबे समय से ढिबरा उद्योग को वैधानिक दर्जा देने की मांग उठ रही है. लोगों की मांग को देखते हुए वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार ने मार्च 2022 में एक अधिसूचना जारी की. झारखंड लघु खनिज समनुदान (संशोधन) नियमावली 2021 के तहत ढिबरा कारोबार को जीवित करने के लिए कई प्रावधान किए गए. इस नियमावली में सबसे बड़ी बात यह है कि विभिन्न सहकारी समितियों के जरिए लोगों को सीधे इस कारोबार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है, ताकि लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराया जा सके. नियमावली बनने के बाद अब जेएसएमडीसी ने भंडारण व प्रोसेसिंग यूनिट को संचालित करने को लेकर कार्य शुरू कर दिया है. दूसरी ओर भूतत्व निदेशालय, खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा ढिबरा डंप को चिन्हित कर निगम को उपलब्ध कराने के आदेश के तहत भी काम हो रहा है. भूतत्व विभाग ने इससे पहले 2017-18 में करीब चार दर्जन ढिबरा डंप को चिन्हित किया था. इन डंप के साथ ही अन्य जगहों पर संभावनाओं को तराशा जा रहा है. इसके आधार पर निगम का पहला प्रयास है कि वन क्षेत्र से बाहर स्थित डंप से ढिबरा लाकर उसकी प्रोसेसिंग शुरू कराई जाए. डंप में ढिबरा की क्वालिटी, क्वांटिटी सहित अन्य मूल्यांकन का काम भूतत्व विभाग को करके देना है, जबकि प्रोसेसिंग का काम करने के बाद माइका की ऑनलाइन नीलामी निगम करेगा.

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जिडको करेगा जमीन की फेंसिंग

गांधी स्कूल रोड में स्थित झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड की 27 एकड़ जमीन पर फेंसिंग का काम सरकार स्तर से झारखंड इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जिडको) को दिया गया है. शनिवार को निगम के जीएम ललित कुमार के साथ जिडको के एई एएम प्रसाद, जेई प्रवीण कुमार व अन्य ने इस जगह का जायजा लिया. टीम ने उक्त जमीन का नक्शा निकलवाकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली.

ढिबरा कारोबार होगा पुनर्जीवित

झारखंड खनिज विकास निगम लिमिटेड के जीएम ललित कुमार ने कहा कि कोडरमा व गिरिडीह जिले में आर्थिक मजबूती के लिए ढिबरा कारोबार को पुनर्जीवित करना जरूरी है. निगम को यह जिम्मेवारी मिली है. ढिबरा भंडारण से लेकर प्रोसेसिंग तक का काम जल्द शुरू करने को लेकर निगम काम कर रहा है. जल्द ही यह धरातल पर दिखेगा. सरकार ने लोगों के हित में नियमावली में संशोधन किया है. सहकारी समितियों के जरिए लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन को पत्राचार किया गया है. निगम जरूरत पड़ने पर कोडरमा में अपना कार्य बल भी बढ़ाएगा. इसके लिए सुपरवाइजर, सिक्योरिटी गार्ड एवं क्लास फोर में लोग रखे जाएंगे, ताकि सभी कार्य सुचारू रूप से हो सके.

मार्च 2022 में जारी अधिसूचना में ये है प्रावधान

-राज्य अंतर्गत ढिबरा डंप में पाए जाने वाले अभ्रक खनिज, जिसका व्यवसायिक मूल्य हो, के भंडार/डंप का निष्पादन झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लि. के माध्यम से किया जाए, जिसके बाबत मार्गदर्शक सिद्धातों का निरूपण विभाग द्वारा किया जाएगा.

–किसी भी ढिबरा डंप का डिस्पोजल के पूर्व उसका भूतत्व निदेशालय, खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा पूर्ण मानचित्रण (मैपिंग), भंडारण की मात्रा एवं गुणवत्ता का आकलन विधिमान्य तरीका से किया जाना आवश्यक होगा. इसके बाद किसी ढिबरा डंप का निष्पादन किया जाएगा, ताकि किसी भी स्थिति में डंप के निष्पादन की आड़ में अवैध खनन न हो.

–किसी भी ढिबरा डंप के निष्पादन के पूर्व उक्त डंप का केमिकल एनालेसिस/मिनरलॉजिकल एनालेसिस का रिपोर्ट तैयार कराना आवश्यक होगा, ताकि सकी कम्पोजिशिन/गुणवत्ता स्थापित हो सके.

–वैसे ढिबरा डंप, जो वन क्षेत्र के अंतर्गत स्थित हो, उसके निष्पादन के पूर्व वन अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं अन्य वांछित वैधानिक स्वीकृतियां प्राप्त कर लेना आवश्यक होगा.

–ढिबरा में निहित माइका के निष्पादन के लिए झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लि. झारखण्ड सरकार की एक एजेंसी के रूप में अगले पांच वर्षों तक के लिए कार्य करेगी. निगम को भंडारण, प्रसंस्करण, परिवहन खरीद एवं बिक्री के उद्देश्य से डीलर लाइसेंस लेना होगा.

–झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लि. ढिबरा से अभ्रक को अलग करने के लिए संबंधित सहकारी समितियों की सहायता ले सकती है.

–ढिबरा से प्रसंस्करण के बाद प्राप्त अभ्रख की बिक्री निगम द्वारा की जाएगी.

–ढिबरा से अभ्रख के निष्काषन, प्रसंस्करण एवं अन्य संबंधित कार्यों के लिए सरकारी समितियों से लिए गए मदद के बावत नियमानुकूल मजदूरी/पारिश्रमिक का भुगतान निगम करेगी.

—निगम यह सुनिश्चित करेगी कि ढिबरा से अभ्रख की निकासी, प्रसंस्करण एवं अन्य संबंधित कार्य पर लगाए गए सहकारी समितियों के द्वारा किसी भी स्थिति में बाल श्रमिकों का उपयोग नहीं करेगी.

–निगम ढिबरा से निकाले गए अभ्रख की बिक्री के लिए ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से एजेंसी का चयन करेगी.

–निगम ढिबरा के लिए अलग लेखा-जोखा संधारित करेगा व प्रत्येक तीन माह में मुनाफा का आकलन कर मात्र 05 प्रतिशत कटौती के उपरांत राशि राजकोष में जमा करेगी.

–संपूर्ण कार्य का अंकेक्षण महालेखाकार, झारखंड द्वारा नामित सीए से कराना होगा एवं इसका लेखा-जोखा विभाग को भी उपलब्ध कराना होगा.

रिपोर्ट : विकास, कोडरमा

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