ठंड का मौसम आते ही सात समुंदर पार कर विदेशी पक्षियों का आगमन उधवा झील में होने लगता है. विदेशी पक्षी आते ही पक्षियों की गुनगुनाहट से उधवा झील गूंजायमान हो उठता है. विदेशी पक्षियों को देखने के लिए पर्यटकों का आना-जाना लगा हुआ है. नवंबर महीने से ही धीरे-धीरे विदेशी पक्षियों का आगमन होने लगता है. दिसंबर महीने में धीरे-धीरे मेहमान पक्षियों का और भी ज्यादा आगमन होने लगता है.
साहिबगंज की उधवा झील का पानी फरक्का गंगा से मिला हुआ है. इसके कारण बड़े पैमाने पर मछली भी पायी जाती है. गंगा नदी का पानी झील में आने से इस झील की रौनक और बढ़ जाती है. झारखंड सहित पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल, भूटान सहित अन्य देशों में भी ये झील विख्यात है. पक्षी झील में भ्रमण के साथ-साथ झील के पानी में जलक्रीड़ा करते नजर आते हैं. इसे देखने के लिए पर्यटक ठंड के मौसम का इंतजार करते हैं.
सात समुंदर पार कर आए विदेशी मेहमान पक्षी दिसंबर से लेकर मार्च महीने तक उधवा झील में जलक्रीड़ा करते नजर आते हैं. वन विभाग द्वारा झील में पक्षियों के रहते किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर पूरी तरह से रोक लगी रहती है.
पक्षी अभ्यारण्य केंद्र सह उधवा झील पिकनिक स्टॉक के रूप में भी विख्यात है. एक जनवरी से शुरू होकर पूरे महीने झील के चारों तरफ पिकनिक मनाने का दौर चलता रहता है. पिकनिक मनाने के साथ-साथ लोग पक्षियों का भी दीदार करते हैं.
झारखंड सहित पश्चिम बंगाल ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल, भूटान सहित अन्य देशों में भी ये झील विख्यात है. पक्षी झील में भ्रमण के साथ-साथ जलक्रीड़ा करते नजर आते हैं.
रिपोर्ट: पृथ्वीराज सरकार, उधवा, साहिबगंज