खबर का असर : झारखंड के रामगढ़ में CCL की जमीन पर अतिक्रमण, CMD ने लिया संज्ञान, कार्रवाई का दिया निर्देश

रामगढ़ जिले के डटमा मोड़ कुजू में सीसीएल के विरोध के बावजूद स्थानीय पुलिस की शह पर जमीन पर कई लोगों ने निर्माण कर लिया है. एक-डेढ़ वर्ष के अंदर बिचौलियों के माध्यम से अंचल कार्यालय में जमीन की दाखिल खारिज कर रसीद भी निर्गत कर दी गयी है.

By Guru Swarup Mishra | September 30, 2022 8:27 PM

Jharkhand News: रामगढ़ जिले के डटमा मोड़ कुजू की खाता संख्या 110, प्लॉट संख्या 1699 में 1.41 एकड़ सीसीएल की जमीन है, लेकिन मांडू अंचल कार्यालय की मिलीभगत से ये जमीन अन्य लोगों के नाम हो गयी है. सीसीएल के विरोध के बावजूद स्थानीय पुलिस की शह पर जमीन पर कई लोगों ने निर्माण कर लिया है. एक-डेढ़ वर्ष के अंदर बिचौलियों के माध्यम से अंचल कार्यालय में जमीन की दाखिल खारिज कर रसीद भी निर्गत कर दी गयी है. हैरत की बात यह है कि मांडू अंचल के पूर्व के अंचल अधिकारी ने इस जमीन की दाखिल खारिज नहीं की थी, लेकिन जमीन की दाखिल खारिज कैसे हुई, इसे लेकर मांडू अंचल कार्यालय जांच के दायरे में आ गया है. सीसीएल सीएमडी ने 28 सितंबर को प्रभात खबर में खबर छपने के बाद इस मामले में फिर से संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई के लिए कुजू ओपी को पत्र लिखा है.

गैर मजरुआ जमीन की भी लूट

सीसीएल के सीएमडी ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में है तथा इस मामले में उनके अधिवक्ता ने सुनवाई के लिए 13 अक्तूबर का समय लिया है. कुजू डटमा मोड़ में पुराना जीएम कार्यालय है. यहां अब भी सीसीएल के कार्यों का निष्पादन होता है. इसी कार्यालय के क्षेत्र में सीसीएल की जमीन है. यहां पर जमीन का कुल रकबा 2.7 एकड़ है. इसमें सीसीएल की 1.41 एकड़ जमीन सीसीएल की है, बाकी 66 डिसमिल जमीन सीसीएल की नहीं है, लेकिन कुल रकबा से अधिक लगभग ढाई एकड़ जमीन 39 लोगों ने अपने नाम करवा ली है. आश्चर्यजनक यह है कि बची 43 डिसमिल जमीन कहां से आई. यह बताने को कोई तैयार नहीं है, लेकिन यह बात सामने आ रही है कि गैर मजरुआ जमीन की भी लूट हुई है.

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नियमों को ताक पर रखकर की गयी दाखिल खारिज

जमीन खरीद बिक्री करने वालों में एक दल के जिलाध्यक्ष समेत कई रसूखदार शामिल हैं. इस जमीन पर पूर्ण रूप से कब्जा कर मॉल बनाने की तैयारी की जा रही है. इस पर सीसीएल अधिकारियों का कहना है कि उनकी अधिग्रहित जमीन भारत सरकार की है, जिसे ना तो खरीदा जा सकता है, ना ही बेचा जा सकता है. इस पर कोई निर्माण भी नहीं हो सकता है, लेकिन यहां जमीन की खरीद-बिक्री हुई तथा निर्माण कार्य भी हो गया है. इस जमीन पर लोगों की नजरें पिछले कई वर्षों से है. अधिकतर लोगों ने 8-10 वर्षों के भीतर जमीन की रजिस्ट्री करवाई है. इस जमीन को हासिल करने के लिए लोगों ने कई तिकड़मों का इस्तेमाल किया है. पूर्व के अंचल अधिकारियों द्वारा दाखिल खारिज नहीं की गयी है, मनमाफिक अधिकारी के आने के बाद जमीन की दाखिल खारिज बिना किसी रोक-टोक के नियमों को धत्ता बताते हुये की गयी है.

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रिपोर्ट : नीरज अमिताभ/अजय कुमार, रामगढ़

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