बरेली : देश के साथ-साथ बरेली की भी आबादी बढ़ रही है. यहां लड़कियों (बेटियों) की संख्या घट रही है. यह काफी चिंतनीय है. नेशनल फैमिली हेल्थ (एनएफएचएस)-5 सर्वे के मुताबिक जिले में 1000 बेटों के जन्म पर बेटियों की संख्या घटकर सिर्फ 965 रह गई है. हालांकि यह वर्ष 2015-2016 में 1000 बेटों पर 979 थी. वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या हर वर्ष घट रही है. इससे आने वाले कुछ वर्षों में लड़कों की शादी होना काफी मुश्किल हो जाएगा. देश में मंगलवार को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया था.
स्वास्थ्य विभाग से लेकर सामाजिक संगठनों ने जनसंख्या पर काबू पाने, और बेटियों की घटती संख्या पर तमाम कार्यक्रम आयोजित किए थे. इसके बाद बेटियों की घटती संख्या के कार्यक्रम सरकारी कागजों तक सीमित रह जाएंगे. इसके लिए अशिक्षा, और गर्भपात को मुख्य कारण माना जा रहा है.लिंग परीक्षण करने वाले अल्ट्रासाउंड पर कार्रवाई के निर्देश हैं.मगर, इस पर बरेली में कठोरता से अमल नहीं हो रहा है. इसलिए भी बेटियों की संख्या में कमी आ रही है. अल्ट्रासाउंड सेंटर पर कागजी खानापूर्ति को छापे मारे जाते हैं.यह मामले कुछ ही दिन में दब जाते हैं.
सभी धर्मों में बेटियों (लड़कियों) को शुभ (बेहतर) माना गया है. हिंदू धर्म में बेटी को लक्ष्मी कहा गया है. वह पूज्यनीय है, जबकि मुस्लिम धर्म में बेटियों को अल्लाह की रहमत माना गया है.बताया जाता है कि अल्लाह (ईश्वर) जब खुश होता है, तो जमीन (दुनिया) पर बेटियां भेजता है.पैगंबर ए इस्लाम हज़रत मुहम्मद साहब का सिलसिला दुनिया में बेटी से चला था.
भ्रूण लिंग की जांच न हो. इसके लिए पीएनडीटी एक्ट लागू किया गया था.मगर, इस पर कड़ाई से पालन नहीं किया गया.इस कारण भी बरेली में लिंगानुपात गिर रहा है.अगर, इसको रोकने के लिए नियमों का सख्ती से पालन किया जाए, तो गर्भ में लड़कियों की पहचान नहीं हो पाएगी.सरकार को अभियान चलाना चाहिए.जिससे लोगों को लड़कियां पैदा होने पर गर्व हो.
बेटियों की घटती संख्या के लिए शिक्षा की कमी भी मुख्य कारण है.मगर, अधिकांश लोग बेटियों की शादी में लाखों रुपये के दहेज खर्च के कारण भी बेटी से बचते हैं.
केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक लड़के-लड़कियों के बीच के घटते अनुपात को लेकर फिक्रमंद है. इसके लिए बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं अभियान चल रहा है. बेटियों की शिक्षा के लिए ‘सुकन्या समृद्धि खाता’ योजना भी चल रही है.
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लड़कियों की जनसंख्या बढ़ाने के लिए दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जाता है. इसमें महिलाओं की तरक्की और उनकी जागरूकता के लिए तमाम कार्यक्रम होते हैं. सामाजिक और सरकारी नौकरी में बेहतर काम करने वाली महिलाएं सम्मानित की जाती हैं. पुरुष और महिलाओं के बीच भेदभाव को खत्म करने की भी कोशिश की जाती है.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली