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झारखंड: एनजीटी की रोक के बावजूद खुलेआम हो रही नदियों से बालू की तस्करी, मनमानी रेट वसूल रहे माफिया

बालू माफियाओं द्वारा नदियों से बालू का उठाव बदस्तूर जारी है. अवैध रूप से बालू के उठाव के खिलाफ जिला टास्क फोर्स की टीम द्वारा लगातार कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन जैसे ही यह कार्रवाई धीमी हो जाती है बालू माफिया इसका फायदा उठाने लगते हैं.

गिरिडीह, मृणाल कुमार: गिरिडीह जिले में बालू तस्करी का खेल खुलेआम चल रहा है. शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के भी बालू घाटों से दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे में बालू माफियाओं द्वारा बालू का उठाव किया जा रहा है. बता दें कि अभी बालू घाटों से बालू उठाव पर एनजीटी की रोक है. बावजूद विभिन्न बालू घाटों से बालू का उठाव बड़े पैमाने पर हो रहा है. जिले के एकमात्र उसरी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए एक ओर जहां जिला प्रशासन व विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है.

रोक के बाद भी उठाव जारी

बालू माफियाओं द्वारा नदियों से बालू का उठाव बदस्तूर जारी है. अवैध रूप से बालू के उठाव के खिलाफ जिला टास्क फोर्स की टीम द्वारा लगातार कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन जैसे ही यह कार्रवाई धीमी हो जाती है बालू माफिया इसका फायदा उठाने लगते हैं. बालू माफिया नदी से अवैध तरीके से बालू का उत्खनन कर ट्रक और ट्रैक्टर पर लोडिंग कर देते हैं और सुबह होते ही बिक्री के लिए भेज देते हैं. रोक का बहाना बनाकर बालू व्यवसायी से जुड़े लोग बाजार में इन दिनों महंगी कीमत पर बालू की बिक्री कर रहे हैं. मजबूरी में लोग बालू खरीद भी रहे हैं. शहरी क्षेत्र के विभिन्न बालू घाटों के अलावा जिले के तमाम बालू घाटों से प्रत्येक दिन बालू का उठाव खुलेआम हो रहा है. शहरी क्षेत्र के विभिन्न बालू घाटों में वर्तमान में प्रति ट्रैक्टर 1000 से 1200 रुपये में आम लोगों के बीच इसकी बिक्री की जा रही है. बालू का रेट बढ़ जाने के कारण लोगों में भी काफी आक्रोश है. लोगों का कहना है कि जब बालू का उठाव पर रोक है तो फिर गिरिडीह में इस पर क्यों नहीं रोक लगायी जा रही है. बालू माफिया खुलेआम मनमाने कीमत में बालू बेच रहे हैं. प्रशासन इस पर क्यों नहीं रोक लगाती है?

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सुबह होते ही इन घाटों पर शुरू हो जाता है बालू उठाव का खेल

मुफस्सिल थाना क्षेत्र के झरियागादी बालू घाट, गरहाटांड़, उदनाबाद उसरी नदी बालू घाट, बराकर नदी, अरगाघाट, शास्त्रीनगर घाट, भंडारीडीह, सिहोडीह घाट, रानीखावा बालू घाट, बनखंजो बालू घाट, मोतीलेदा बालू घाट के अलावा कई बालू घाटों से प्रतिदिन ट्रैक्टर व ट्रक से अवैध रूप से बालू का उठाव जारी है. रात-दिन रेत की खुदाई कर नदी के घाट पर बालू पहले डंप किया जाता है फिर उसे डिमांड के अनुरूप ट्रैक्टर व ट्रक के माध्यम से गंतव्य तक पहुंचाया जाता है. मुफस्सिल थाना इलाके के गरहाटांड़ में तो बालू माफियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर खुले मैदान में बालू को डंप कर रखा गया है. जब प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाती है तो डंप किये गये बालू की ही आपूर्ति ट्रैक्टर के माध्यम से की जाती है. हर जगह चलता है सेटिंग का खेल : जानकारी के अनुसार बालू तस्करी का यह पूरा खेल कुछ पुलिस पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में चल रहा है. एक ट्रैक्टर चालक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि टीम जब भी कार्रवाई के लिए निकलती है तो इसके पहले ही इसकी सूचना उनलोगों तक मिल जाती है. इस खेल में कुछ पुलिस पदाधिकारी भी शामिल है.

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पुलिस के संरक्षण में हो रहा बालू का उठाव

सिहोडीह के रहने वाले एक युवक ने बताया कि सिहोडीह में मुफस्सिल थाना के एक पुलिस पदाधिकारी के संरक्षण में नदियों से बालू का उठाव किया जा रहा है. इसके एवज में उन्हें मोटी रकम दी जाती है. जिस गाड़ी से पैसा नहीं मिलता है उस गाड़ी को पकड़ लिया जाता है और फिर उस गाड़ी को थाना ले जाने के बजाय किसी सुरक्षित स्थान में खड़ा कर दिया जाता है. इसके बाद सेंटिंग कर गाड़ी को बाहर से ही छोड़ दिया जाता है. गाड़ी छोड़ने के एवज में 15 हजार रुपये दिया गया था. इसके अलावा पचंबा थाना की पेट्रोलिंग टीम को 500 रुपये, मुफस्सिल थाना की पेट्रोलिंग टीम को 500 रुपये, नगर थाना की पेट्रोलिंग टीम को 600 रुपये प्रति ट्रैक्टर हर दिन मिलता है. इसके अलावा पैंथर के जवान को हर दिन 100 रुपये प्रति ट्रैक्टर देना पड़ता है. सुबह 6 बजे से 11 बजे तक पैंथर के जवान मौजूद रहते हैं. इसके बाद अगर जब टीम छापेमारी कर ट्रैक्टर को जब्त करती है तो अलग से जुर्माना के साथ चढ़ावा देना पड़ता है.

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