Tokyo Olympics में इतिहास रच झारखंड लौटीं निक्की प्रधान और सलीमा टेटे का भव्य स्वागत, पढ़ें Exclusive बातचीत
Nikki Pradhan, Salima Tete, Tokyo Olympics 2020, women's hockey team खूंटी की रहने वाली निक्की प्रधान और सिमडेगा की सलीमा टेटे का प्रभात खबर कार्यालय में भी स्वागत किया गया. इस दौरान उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला टीम के प्रदर्शन और अपने अनुभव को साझा किया.
टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचकर लौटीं महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी निक्की प्रधान और सलीमा टेटे का रांची पहुंचने पर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया. दोनों के रांची पहुंचने से पहले बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर हजारों की संख्या में फैन्स ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत के लिए तैयार थे.
खूंटी की रहने वाली निक्की प्रधान और सिमडेगा की सलीमा टेटे का प्रभात खबर कार्यालय में भी स्वागत किया गया. इस दौरान उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला टीम के प्रदर्शन और अपने अनुभव को साझा किया.
निक्की प्रधान और सलीमा ने कहा, हम चूके नहीं, बल्कि टोक्यो में बड़ी लकीर खींच कर आये हैं. टोक्यो जाने से पहले ही हमलोगों ने सोच लिया था, इतिहास रच कर ही लौटेंगे. हमलोग जो लक्ष्य लेकर टोक्यो के लिए रवाना हुए थे, उससे कहीं ज्यादा हासिल किया. हालांकि कांस्य पदक नहीं जीत पाने का मलाल हमें हमेशा रहेगा.
झारखंड की बेटियों ने कहा, हम 2024 ओलंपिक में पदक लेकर आयेंगे और देश को फिर से खुश होने का मौका देंगे. सलीमा ने कहा, हमलोग कांस्य पदक के लिए पूरी अपनी पूरी जान लगा दिये थे. लेकिन कहीं न कहीं हमारी किस्मत ने भी हमें धोखा दे दिया.
टोक्यो में मेडल नहीं जीत पाने के बावजूद भी देश और अपने राज्य में जिस तरह से प्यार और सम्मान मिला है, काफी अच्छा लग रहा है. इससे आगे और अच्छा करने की प्रेरणा भी मिल रही है. दुनिया की सबसे अच्छी टीमों ने भी हमारे खेल को काफी पसंद किया और भारतीय महिला टीम की सराहना की.
निक्की और सलीमा ने बताया, कोरोना संकट के बाद भी उन्होंने अपना खेल जारी रखा. खुद को फिट रखने के लिए हमलोगों ने रूम में ही वर्कआउट किया. तैयारी में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) से काफी मदद मिली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हार के बाद हमलोगों को फोन किया और काफी हौसला बढ़ाया. सेमीफाइनल में जब हार गये और पूरी तरह से टूट चुके थे, तब मोदी जी ने फोन कर हमें हौसला दिया और आगे की जीत के लिए शुभकामनाएं दीं.
कांस्य पदक हारने के बाद हम काफी हताश हो गये थे, हमलोग उस दिन खूब रोये और पूरे देश को भी रुलाया. मैच के बाद मोदी जी ने फोन किया और कहा, हमारी महिला टीम ने शानदार खेल दिखाया. हमने दिखा दिया कि हम किसी से भी कम नहीं हैं. मेडल भले ही हार गये, लेकिन लोगों का दिल आप लोगों ने जीत लिया. हम आगे मेडल लेकर आयेंगे.
निक्की और सलीमा ने कहा, टोक्यो में हमलोग पहला तीन मैच लगातार हारे. लगातार तीन हार के बाद हम पूरी तरह से टूट चूके थे, लेकिन आयरलैंड के खिलाफ हमलोगों ने प्लान किया कि खुल कर खेलेंगे और जो होगा देखा जाएगा. अगर इस मुकाबले को जीत लेते हैं, तो दक्षिण अफ्रीका को जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंच सकते हैं. हमारी योजना सफल रही और हम सेमीफाइनल तक पहुंचे. आखिरी समय तक हमलोगों ने लड़ा.
घरवालों का साथ मिला तभी यहां तक पहुंच पाये
दोनों ने कहा, हॉकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने में घर वालों का बड़ा सहयोग रहा. हालांकि शुरुआत में घर वाले कहते थे कि खेल से कुछ नहीं मिलेगा, खेत में काम करो. खेत में काम करने के साथ-साथ हमलोगों ने अपना खेल जारी रखा. समय निकालकर खेलना शुरू किया, फिर स्टेट खेले और फिर नेश्नल खेलने का मौका मिला. बाद में घरवालों का काफी सपोर्ट मिला.