Nirjala Ekadashi Vrat 2023: ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि के दिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत रखा जाता है. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई 2023, बुधवार को पड़ रहा है. यह व्रत निर्जला किया जाता है यानी जल ग्रहण नहीं किया जाता, इसलिए इसे अन्य व्रतों की अपेक्षा कठिन माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
इस साल देशभर में निर्जला एकादशी 31 मई को मनाई जाएगी. द्रिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 30 मई को शाम 05:37 बजे शुरू होगी और 31 मई 2023 को शाम 06:15 बजे समाप्त होगी.
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1 जून को पारण का समय – 06:51 AM से 08:52 AM तक
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पारण के दिन द्वादशी समाप्ति मुहूर्त – 06:09 PM
मान्यता है कि जो लोग साल की किसी एकादशी (Ekadashi) का व्रत नहीं कर सकते, वो इस निर्जला एकादशी का व्रत रखकर अन्य शेष 23 एकादशी व्रत का पुण्य भी प्राप्त कर सकते हैं. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) व्रत करने के कुछ नियम हैं साथ ही इस दिन कुछ खास बात का ध्यान रखने के सलाह दी जाती है.
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मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन दांत साफ करने के लिए दातून का प्रयोग नहीं करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पेड़ की टहनियों को तोड़ने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं. साथ ही व्रत भंग हो जाता है.
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निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi vrat) के दिन तामसिक भोजन, मांस-मदीरा या किसी अन्य प्रकार की नशीली वस्तुओं का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
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निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat) के दिन भगवान की पूजा में चावल (अक्षत) का इस्तेमाल करने की मनाही है. भगवान विष्णु की पूजा में तिल का प्रयोग करना अच्छा माना गया है. इसके अलावा इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए
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एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) कर रहे हैं तो किसी को भी अपशब्द नहीं कहना चाहिए. माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने पर व्रत करने का कोई लाभ नहीं मिलता है. हर तरह के कलह-द्वेष से बचने की सलाह दी जाती है.
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निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन आलस्य करना निषेध है. ऐसे में इस दिन आलस्य का त्याग कर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का ध्यान करें.
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निर्जला एकादशी के दिन बिस्तर पर सोने की मनाही है. कहा जाता है कि ऐसा करने पर व्रत का फल नहीं मिलता है. व्रती को चाहिए कि इस दिन फर्श पर अपना बिस्तर लगा कर सोना चाहिए.
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें और अपने ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें. पवित्र मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें. भगवान विष्णु को फूल, फल, अक्षत, चंदन और दूर्वा घास अर्पित करें. ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ का जाप करें. निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़ें और आरती करें. लड्डू, गुझिया जैसी मिठाई का भोग लगाएं और देवता को भोग लगाने के बाद इसे गरीबों और जरूरतमंदों में बांट दें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.)