झारखंड : गढ़वा के 107 हाई- प्लस 2 स्कूलों में नहीं हैं DDO, शिक्षकों को वेतन व छुट्टी लेने में हो रही परेशानी

गढ़वा जिले के 107 हाई और प्लस टू स्कूलों में निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी यानी डीडीओ नहीं है. इसके कारण शिक्षक और शिक्षकेत्तर को समय पर वेतन निकासी करने एवं अवकाश लेने में परेशानी हो रही है. वहीं, मध्य एवं प्राथमिक विद्यालयों में 20 में मात्र पांच डीडीओ ही हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2023 10:36 PM

गढ़वा, पीयूष तिवारी : गढ़वा जिले के उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय एवं प्राथमिक विद्यालयों में निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी (Drawing and Disbursing Officer-DDO) के नहीं रहने से शिक्षकों के वेतन निकासी एवं अवकाश लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी हाई स्कूल और प्लस टू के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को झेलनी पड़ रही है. हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक ही निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी होते हैं. लेकिन, अभी जिले के एक भी हाई स्कूल या प्लस टू विद्यालय में प्रधानाध्यापक नहीं है. सभी स्कूल प्रभारी प्रधानाध्यापक की बदौलत संचालित की जा रही है.

डीडीओ के नहीं रहने से शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों को हो रही परेशानी

वर्तमान व्यवस्था में प्रधानाध्यापक नहीं होने की वजह से डीईओ (जिला शिक्षा पदाधिकारी) को ही इसका अधिकार दे दिया गया है, लेकिन हास्यास्पद स्थिति यह है कि गढ़वा में डीईओ स्वयं भी प्रभार में हैं. गढ़वा के डीईओ अनिता पूर्ति बोकारो में क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी के पद पर सेवारत है. प्रभारी होने की वजह से वे पूरा समय नहीं दे पाती है. ऐसे में शिक्षकों को अपने छोटे-छोटे कार्य जो डीडीओ के रहने पर स्कूल में ही पूरे किये जा सकते थे, उसके लिए स्कूल को छोड़कर डीईओ कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. मालूम हो कि गढ़वा जिले में 107 हाई स्कूल और प्लस टू स्कूलों में करीब 700 से ज्यादा शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी सेवारत हैं. इन सभी को वेतन निकासी एवं अवकाश के लिए डीईओ कार्यालय पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

मध्य एवं प्राथमिक विद्यालयों में 20 में मात्र पांच डीडीओ

जिले के मध्य एवं प्राथमिक विद्यालयों में भी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी नहीं हैं. जिले में इस तरह के करीब 1500 विद्यालय हैं. नियमानुसार जिले के सभी 20 प्रखंडों में एक-एक निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी का रहना जरूरी है, लेकिन पांच ही प्रधानाध्यापक ऐसे हैं जो निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की योग्यता रखते हैं. इसलिये शेष 15 प्रखंडों में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को ही डीडीओ की शक्तियां दे दी गयी है. वहीं, जिले के सभी प्रखंडों में बीईईओ भी नहीं है. एक-एक बीईओ को कई-कई प्रखंडों का प्रभार दिया गया है. ऐसे में शिक्षकों को उनसे संपर्क कर अपने संबंधित कार्य संपादित कराने में परेशानी उठानी पड़ती है. वर्तमान समय में डंडा प्रखंड में डंडा मवि के प्रधानाध्यापक विजय कुमार तिवारी, रमना में सिलिदाग मवि के प्रधानाध्यापक फुलेंद्र राम, खरौंधी में खरौंधी मवि के प्रधानाध्यापक राजनंदन राम, रमकंडा में मवि के प्रधानाध्यापक सीता राम एवं चिनियां में चिनियां मवि के प्रधानाध्यापक अरुण कुमार मेहता डीडीओ के दायित्व में हैं. जबकि शेष प्रखंडों में बीईईओ प्रभार में हैं.

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20-25 सालों से बहाली ही नहीं हुई है : सुशील कुमार

इस संबंध में झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार ने बताया कि करीब 20-25 सालों से प्रधानाध्यापक पद के लिए बहाली ही नहीं ली गयी है. इस वजह से जिले के उच्च विद्यालयों में एक भी डीडीओ नहीं हैं. उन्होंने कहा कि छुट्टी लेने के लिए भी आवेदन लेकर डीईओ कार्यालय में जाना पड़ रहा है. शिक्षकों के वेतन की निकासी समय पर नहीं हो रही है. इसके अलावे कई अन्य कार्य भी हैं, जो विद्यालय स्तर से हो सकते थे, लेकिन उसके लिए डीईओ कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. यह शिक्षकों का दोहन है.

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