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2000 फीट ऊंचे पहाड़ पर बसे लांजी गांव में पीने का पानी नहीं, चुआं से प्यास बुझा रहे 40 परिवार

गर्मी में झरना और तालाब सूख जाते हैं. इससे ग्रामीणों को दो किलोमीटर की दूरी तय कर चुंआ खोदकर अपना काम चलाते हैं. सातों टोलों में नहीं है पक्की सड़क. लांजी गांव के लातारडीह, रेंगोली, टुंटाहीह, पाकीला, सरबलडीह, टुपुंगउली व मुंडा टोला में पक्की सड़क नहीं है.

चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), रवि मोहांती : चक्रधरपुर प्रखंड से महज 25 किलोमीटर दूर लांजी गांव के सात टोला के 950 ग्रामीण स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रहे हैं. पेयजल व्यवस्था नहीं रहने के कारण आज भी यहां के लोग चुंआ खोदकर दूषित पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं. लांजी गांव 2000 फीट पहाड़ों पर बसा है. बारिश और ठंड में यहां के लोग झरना के पानी प्यास बुझाते हैं. सबसे अधिक परेशानी गर्मी में होती है. गर्मी में झरना और तालाब सूख जाते हैं. इससे ग्रामीणों को दो किलोमीटर की दूरी तय कर चुंआ खोदकर अपना काम चलाते हैं. सातों टोलों में नहीं है पक्की सड़क. लांजी गांव के लातारडीह, रेंगोली, टुंटाहीह, पाकीला, सरबलडीह, टुपुंगउली व मुंडा टोला में पक्की सड़क नहीं है. सभी टोला की दूरी एक किलोमीटर है. ग्रामीणों को बारिश के दिनों में एक टोला से दूसरे टोला जाने में परेशानी होती है. ग्रामीणों ने बताया कि पक्की सड़क निर्माण के लिए कई बार प्रखंड कार्यालय में आवेदन जमा किया. परंतु आज तक सड़क नहीं बनी. ग्रामीणों ने गांव में पेवर्स ब्लॉक बिछाकर रास्तों को दुरुस्त करने की मांग की है.

स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं है लांजी गांव में

लांजी गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं है. ग्रामीणों को मजबूरन बीमार मरीज या गर्भवती महिलाओं को खटिया या कंधे पर ढोकर पहाड़ी से साढ़े तीन किलोमीटर दूर नीचे होयोहातु पहुंचाना पड़ता है. इसके बाद एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जाता है. अधिकतर ग्रामीण झोलाछाप चिकित्सकों के भरोसे रहते हैं. ग्रामीणों ने गांव में स्वास्थ्य केंद्र व आंगनबाड़ी की व्यवस्था कराने की मांग की.

सात टोलों में रहते हैं एक हजार लोग

गांव में पीएम आवास व शौचालय नहीं. लांजी गांव के सात टोलों में करीब एक हजार लोग रहते हैं. गांव में एक भी प्रधानमंत्री आवास या शौचालय की व्यवस्था नहीं है. इस कारण आज भी ग्रामीण खुले में शौच करने को विवश हैं. लकड़ी का घर बनाकर उसमें रहने को विवश हैं. ग्रामीणों ने पीएम आवास एवं शौचालय निर्माण कराने की मांग की.

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गांव में कैंप लगाकर राशन वितरण किया जाये

लांजी गांव से सोनामारा गांव छह किलोमीटर दूर है. ग्रामीण प्रत्येक माह 6 किलोमीटर दूर पहाड़ी नुमा रास्ता तयकर राशन डीलर मुचिया मुंडारी के पास जाते हैं. इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने मांग करते हुए कहा कि लांजी गांव के नीचे कैंप लगाकर प्रत्येक माह राशन वितरण किया जाए.

दोबारा सड़क निर्माण कराने की मांग

लांजी गांव जाने के लिए 2021 में साढ़े तीन किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ. सड़क में संवेदक द्वारा दो बड़े चढ़ान बना दिये गये हैं. इससे ग्रामीणों को आवाजाही में काफी परेशानी होती है. ग्रामीणों ने मांग करते हुए कहा कि सासंगहासा व सेरसेदा में काफी चढ़ान होने के कारण लोग वाहन लेकर चढ़ नहीं पाते हैं. इस कारण दोनों स्थान पर चढ़ान को दुरुस्त कराया जाये.

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पांचवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं बच्चे

लांजी गांव में प्राथमिक विद्यालय है. प्रत्येक साल 30 से अधिक बच्चे पांचवीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं. मध्य विद्यालय गांव से साढ़े तीन किलोमीटर दूर पहाड़ के नीचे है. बच्चों के भविष्य को देखते हुए ग्रामीण प्राथमिक विद्यालय को मध्य विद्यालय बनाने की मांग वर्षों से कर रहे हैं.

सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक हर घर नल जल योजना पहुंचा रही है. पर आज भी लांजी गांव के ग्रामीण स्वच्छ जल के लिए तरस रहे हैं. गांव में तीन कुआं का निर्माण कराया जाये.

घासीराम भूमिज, ग्रामीण मुंडा

गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है. इसमें गांव के बच्चे पढ़ते हैं. यहां के बच्चे पांचवीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ रहे हैं. बच्चों के भविष्य को देखते हुए प्राथमिक विद्यालय को मध्य विद्यालय का दर्जा दिया जाये.

जगन सिंह हांसदा, ग्रामीण

लांजी गांव जाने के लिए सड़क का निर्माण हुआ, पर गांव में सड़क की सुविधा नहीं है. इस कारण ग्रामीणों को एक टोला से दूसरे टोला जाने में परेशानी होती है. गांव के सभी टोला में पेवर्स ब्लॉक बिछाया जाये.

लखीमुनी भूमिज, ग्रामीण

सड़क बनने के बाद गांव में बिजली पहुंची. पर 24 घंटे में मात्र दो से तीन घंटा बिजली रहती है. इस कारण ग्रामीणों को ढिबरी युग में जीना पड़ रहा है. शाम होते ही गांव में अंधेरा पसर जाता है.

माइकुडी हांसदा, ग्रामीण

स्वच्छ जल नहीं रहने के कारण ग्रामीणों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है. इस कारण गांव में कुआं खोदकर सोलर जलमीनार लगायी जाये. पाइप लाइन से सभी घरों में स्वच्छ पेयजल पहुंचाया जाये.

गोविंद चंद्र हांसदा, ग्रामीण

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