Jharkhand news: खूंटी जिला अंतर्गत रनिया प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले 6 महीने से दवा की घोर कमी हो गयी है. अस्पताल में अपनी जांच और इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को मजबूरी में बाहर से दवाई खरीदनी पड़ रही है. इसके कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है.
इस संंबंध में CHC के कर्मियों ने बताया कि अस्पताल में सिर्फ सामान्य दवा उपलब्ध है. जरूरी और जीवन रक्षक दवाओं का अभाव है. जिसके कारण गंभीर रूप से बीमार मरीज और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को सीधे रेफर कर दिया जाता है. किसी मरीज का इलाज भी करना पड़े ,तो प्रसव कक्ष की दवा को मरीजों को दी जाती है या फिर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से दवा मंगाया जाता है.
अस्पताल पहुंचे करुणा डांग, मालावती देवी सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि रनिया में इलाज के लिए सीएचसी ही एकमात्र सहारा है. दूर-दराज से गरीब ग्रामीण इलाज के लिए पहुंचते हैं. अस्पताल में सिर्फ उनकी जांच हो रही है. दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
मालूम हो कि सीएचसी में दवा की अनुपलब्धता का लेकर सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप मिश्र ने मुख्यमंत्री को और भाजपा प्रखंड सांसद प्रतिनिधि नारायण साहू ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को पत्र लिखा है. अस्पताल में दवा की कमी को लेकर प्रभारी डॉ नागेश्वर मांझी ने कहा कि दवा आपूर्ति विभाग द्वारा दवा कि आपूर्ति नहीं करने के कारण कमी हो गई है. हालांकि, मरीजों को दवा की कोई कमी नहीं होने दी जा रही है. मरीजों को अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र से दवा लाकर दी जा रही है.
रनिया सीएचसी में उपलब्ध करायी गयी एक्स-रे मशीन और अल्ट्रासाउंड का उपयोग नहीं हो रहा है. उनके उपयोग के लिए तकनीशियन ही उपलब्ध नहीं कराये गये हैं. वहीं, अस्पताल में डॉक्टर की भी कमी है. अस्पताल में पदस्थापित तीन डॉक्टर में से एक की तबीयत खराब है और वे इलाजरत हैं. वहीं, अब अस्पताल में सीएचसी प्रभारी डॉ नागेश्वर मांझी, डॉ नरेश वर्मा और डॉ मनीषा कुमारी ही बच गये. इसके अलावा एक आयुष डॉक्टर संजय कुमार सहयोग देते हैं.
सीएचसी प्रभारी डॉ नागेश्वर मांझी तोरपा रेफरल अस्पताल के भी प्रभार में हैं. ऐसे में लगभग 49 हजार की आबादी वाले रनिया प्रखंड के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी इन्हीं डॉक्टरों पर निर्भर है. बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए रनिया सीएचसी के 108 एंबुलेंस को भी खूंटी सदर अस्पताल ले आया गया है.
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रिपोर्ट : भूषण कांसी, रनिया, खूंटी.