पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला में नहीं है स्थायी सब्जी बाजार, सर्कस मैदान में दुकान लगाने को मजबूर हैं दुकानदार
घाटशिला में सब्जी दुकानदारों के लिए कोई स्थायी सब्जी बाजार नहीं है. इसके कारण दाहीगोड़ा सर्कस मैदान में प्लास्टिक लगाकर दुकानदार सब्जियां बेचने को मजबूर हैं. पहले जिला परिषद की जमीन पर बाजार लगता था, लेकिन कोरोना के कारण बंद हो गया था.
घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम), अजय पांडेय : पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला के दाहीगोड़ा सर्कस मैदान में सब्जी विक्रेता आकाश के नीचे दुकान लगाने को विवश हैं. ऐसे में भीषण गर्मी में लोग सब्जी खरीदने के लिए दाहीगोड़ा सर्कस मैदान नहीं जाना चाहते हैं. सब्जी मार्केट के दुकानदारों के लिए स्थायी शेड की व्यवस्था नहीं है. लगभग 150 दुकानें लगती हैं. यह भूमि एचसीएल/आईसीसी की है. दुकानदारों का कहना है कि जिला परिषद की जमीन पर सब्जी मार्केट लगती थी, तो ग्राहक अच्छे-खासे संख्या में आते थे. हालांकि, दाहीगोड़ा में ग्राहकों की संख्या कम हो गयी है. घाटशिला में स्थायी सब्जी मार्केट नहीं होने के कारण सब्जी विक्रेताओं को परेशानी होती है.
पहले जिला परिषद की जमीन पर लगता था सब्जी मार्केट
मालूम हो कि पूर्व में जिला परिषद की जमीन पर सब्जी मार्केट लगता था. कोरोना काल में प्रशासन ने राजस्टेट फुटबॉल मैदान, दाहीगोड़ा सर्कस मैदान और मऊभंडार बारी मैदान में अस्थायी तौर पर सब्जी मार्केट लगाने का आदेश दिया था. पूर्व में जिला परिषद की भूमि पर सब्जी दुकानदारों ने स्थायी शेड निर्माण की मांग की थी. पेयजल समेत अन्य सुविधाओं के लिए जुलूस भी निकाला था.
स्थायी दुकानें बनीं, लेकिन सब्जी दुकानदारों ने नहीं लिया
जिला परिषद की जमीन पर सब्जी दुकानदारों के लिए लगभग 25 स्थायी दुकानों का निर्माण कराया गया था. इन दुकानों को सब्जी बेचने वालों ने नहीं लिया. गैरेज मालिक समेत अन्य लोगों ने दुकानों का इकरारनामा करा लिया. सर्कस मैदान के डेली सब्जी मार्केट में दीघा, चापड़ी, कालचिती, बुरुडीह, गंधनिया समेत अन्य जगहों के सब्जी विक्रेता हरी सब्जियां लेकर पहुंचते हैं. जिनकी सब्जियां नहीं बिकतीं. वह घाटशिला मुख्य सड़क और दाहीगोड़ा सड़क के किनारे बैठ कर सब्जियां बेचते हैं.
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13 करोड़ का मार्केट कॉम्प्लेक्स 10 साल से बेकार पड़ा है
घाटशिला में लगभग 13 करोड़ की लागत से जिला परिषद की भूमि पर मार्केट कॉम्प्लेक्स बना है. यह 10 वर्षों से बाकर पड़ा है. शुरुआत में कुछ दुकानदारों ने इकरारनामा करा कुछ दुकानें ली थी. इसे रद्द कर नये सिरे से दुकानों का टेंडर कराने का आदेश पूर्व उप विकास आयुक्त ने दिया था. मामला अधर में लटका है. कई बार यहां बैंक और एलआइसी कार्यालय शिफ्ट करने पर जोर दिया गया. अभी जहां एलआइसी और बैंक संचालित हैं, वहां पार्किंग की व्यवस्था नहीं है.