कोलकाता: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपने अधिकार क्षेत्र के विस्तार के बारे में जारी भ्रांतियों को दूर करते हुए साफ किया है कि बीएसएफ के पास पुलिस की तरह प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की जांच करने का अधिकार नहीं है.
बुधवार को कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएसएफ के विशेष महानिदेशक (पूर्वी कमान) वाइबी खुरानिया ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक के इस दावे को ‘निराधार’ बताया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीमा सुरक्षा बल के पुरुष जवान महिलाओं की तलाशी लेते समय उनसे छेड़खानी करते हैं.
श्री खुरानिया ने कहा कि चेक पोस्ट पर महिलाओं की तलाशी बीएसएफ की केवल महिलाकर्मी ही लेती हैं. बीएसएफ के जवानों पर चेकिंग के बहाने महिलाओं को अश्लील इरादे से इधर-उधर छूने के आरोप को बीएसएफ अधिकारी ने दुर्भाग्यजनक करार देते हुए कहा कि सीमा पर पर्याप्त संख्या में महिला सुरक्षाकर्मी हैं और सभी एंट्री प्वाइंट पर सीसीटीवी लगे हुए हैं.
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उन्होंने कहा कि बीएसएफ एक अनुशासित बल है. किसी भी तरह की गलत हरकत को हल्के में नहीं लिया जाता है. साबित होने पर कड़ी कार्रवाई की जाती है. ऐसे मामलों में बीएसएफ की नीति कतई बर्दाश्त करने की नहीं रही है.
अधिकारी ने यह भी कहा कि बीएसएफ अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए राज्य की सभी एजेंसियों के साथ समन्वय करती है. बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाये जाने के संबंध में बीएसएफ के अधिकारी श्री खुरानिया ने कहा कि बीएसएफ कोई जांच एजेंसी नहीं है. उसे प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार नहीं है.
सीमावर्ती इलाकों में आपराधिक मामलों में पकड़े गये लोगों को स्थानीय पुलिस या संबंधित एजेंसियों के हवाले ही कर दिया जाता है. बीएसएफ के राज्य पुलिस के साथ अच्छे संबंध हैं. वे राज्य पुलिस के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं. ऑपरेशन को अलग-अलग समय पर संयुक्त रूप से अंजाम दिया जाता है.
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उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना की वजह से बीएसएफ को अतिरिक्त शक्तियां प्राप्त नहीं होंगी. सीमा के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने से कानून-व्यवस्था बनाये रखने में हस्तक्षेप नहीं होगा. उन्होंने आगे कहा कि कुछ वर्गों में यह धारणा पूरी तरह से निराधार है कि क्षेत्र से संबंधित अधिसूचना के जरिये बीएसएफ का राज्य पुलिस के साथ गतिरोध बढ़ेगा. बढ़े हुए क्षेत्राधिकार से बीएसएफ को पुलिस के हाथों को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने संबंधी केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने के एक दिन बाद बीएसएफ के अधिकारी का यह बयान सामने आया है. प्रस्ताव में इस कदम को देश के संघीय ढांचे पर एक ‘हमला’ करार दिया गया और कहा गया कि कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है.
पश्चिम बंगाल ऐसा प्रस्ताव लाने वाला पंजाब के बाद दूसरा राज्य बन गया है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल में बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है, ताकि बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर के बड़े हिस्से में तलाशी और जब्ती करने के लिए अधिकृत किया जा सके.
Posted By: Mithilesh Jha