रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को राज्य सरकार की नियोजन नीति व संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को चुनाैती देनेवाली याचिकाअों पर सुनवाई शुरू हुई. मामले की सुनवाई अधूरी रही. जस्टिस हरीश चंद्र मिश्र, जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस दीपक राैशन की तीन सदस्यीय लार्जर बेंच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई जारी रही. कोर्ट ने सभी पक्षों की सहमति से मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता ललित कुमार सिंह व राजस्थान हाइकोर्ट के अधिवक्ता विज्ञान शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए पीठ को बताया कि इसी तरह के सदृश्य मामले (आंध्र प्रदेश से संबंधित) में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि पांचवीं अनुसूची के तहत आंध्र प्रदेश के राज्यपाल द्वारा अनुसूचित जनजाति के शत प्रतिशत सीट आरक्षित करने संबंधी अधिसूचना को असंवैधानिक बताया है. झारखंड में भी राज्यपाल ने पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित जिलों में स्थानीय के लिए शत प्रतिशत सीट रिजर्व कर दिया है.
जाति, क्षेत्र या स्थान आदि के नाम पर नियुक्ति में शत प्रतिशत सीट आरक्षित नहीं की जा सकती है. राज्यपाल को भी अधिकार नहीं है. यह संविधान के अनुच्छेद, 16(1), 16(2), 16(3) का उल्लंघन है. नियुक्ति का मामला पार्ट-थ्री का है, जिस पर संसद कानून बनाती है. वहीं महाधिवक्ता राजीव रंजन ने प्रार्थियों की दलील का विरोध किया. उन्होंने बताया कि राज्यपाल को पांचवीं अनुसूची के तहत अधिसूचना जारी करने का अधिकार है. उन्होंने सरकार की नियोजन नीति को संवैधानिक बताया. बहस अधूरी रही.
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने बताया कि सरकार की अधियाचना के अनुसार संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया चलायी जा रही है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पलामू निवासी सोनू कुमारी ने याचिका दायर की है. उन्होंने संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन 21/2016 व राज्य सरकार की अधिसूचना 14-01/2015/स्थानीयता नीति-5938, दिनांक 14.7.2016 (नियोजन नीति) व मेमो नंबर 5939/14.7.2016 को चुनौती दी है.
यह है मामला : सरकार की नियोजन नीति के आलोक में हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के प्रकाशित विज्ञापन (21/2016, 28.12.2016) में कहा गया है कि राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिले के अभ्यर्थी 13 अनुसूचित जिलों में नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं. 13 अनुसूचित जिलों के स्थानीय अभ्यर्थी अपने मूल जिले में ही आवेदन कर सकेंगे. जस्टिस एस चंद्रशेखर की एकल पीठ ने 12 दिसंबर 2018 को मामले में संवैधानिक पहलुअों को देखते हुए उसे खंडपीठ में स्थानांतरित कर दिया था.
18 सितंबर को लगायी थी अधिसूचना और नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक : खंडपीठ ने राज्य सरकार की अधिसूचना 5393, दिनांक 14 जुलाई 2016 के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी. संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति की चल रही प्रक्रिया पर भी रोक लगाने का निर्देश दिया. इसके अलावा खंडपीठ ने विस्तृत सुनवाई के लिए मामले को लार्जर बेंच (बड़ी पीठ) में ट्रांसफर कर दिया था.