झारखंड : धनबाद के बलियापुर और निरसा में एक प्रतिशत भी नहीं हुई धनरोपनी, किसान चिंतित

कोयलांचल क्षेत्र के किसान भी कम बारिश से काफी परेशान हैं. धनबाद के बलियापुर और निरसा के एक प्रतिशत खेत में धनरोपनी नहीं हुई है. वहीं, कई क्षेत्र के किसान आज भी मानसून पर निर्भर है. किसानों की इस परेशानी को देखते हुए कृषि विभाग अब वैकल्पिक खेती की तैयारी में जुटा है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 1, 2023 7:22 AM

Jharkhand News: जुलाई माह बीत गया. बारिश के अभाव में धनबाद जिला अंतर्गत बलियापुर प्रखंड में एक प्रतिशत भी धनरोपनी नहीं हो पायी है. इससे किसान चिंतित हैं. इस संबंध में केवीके के वैज्ञानिकों ने सरकार को रिपोर्ट भेजी है, जिसमें जीरो प्रतिशत धनरोपनी की बात कही गयी है. बारिश के अभाव में बिचड़े खेतों में ही मुरझा रहे हैं. अधिकतर किसानों ने पानी के अभाव में खेतों में बीज भी नहीं डाल पाये हैं. वर्ष 2022 में बलियापुर सूखे की चपेट में था. बलियापुर में 9291 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमें 80 प्रतिशत भूमि पर धान की खेती होती है. लेकिन, इस बार बारिश के अभाव में रोपनी नहीं शुरू हो पायी है.

क्या कहते हैं किसान

इस संबंध में पहाड़पुर के किसान प्रदीप कुमार महतो का कहना है कि बारिश के अभाव में अभी तक धान की रोपनी शुरू नहीं कर पाये हैं. खेती का समय बीत रहा है. वहीं, पलानी के बासुदेव महतो ने कहा कि बारिश नहीं होने से खेतों में बीज तक नहीं डाल पाये हैं. कुसमाटांड़ के गोपाल महतो का कहना है कि तालाब सूखने से परेशान हैं. धान की तो बात छोड़िये, सब्जी की खेती भी नहीं कर पा रहे हैं.

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निरसा में धनरोपनी शून्य, किसान चिंतित

इस साल कम बारिश होने के कारण निरसा विधानसभा क्षेत्र में धनरोपनी शून्य है. धनरोपनी के लिए 435 एमएम बारिश होनी चाहिए, जो अब तक नहीं हुई. निरसा में लगभग 3800 हेक्टेयर भूमि पर धान रोपनी का लक्ष्य था, लेकिन बारिश के अभाव में अब तक रोपनी नहीं शुरू हो पायी है. निरसा का दक्षिण क्षेत्र यानी केलियासोल प्रखंड कृषि पर ही आश्रित है. भालखोरिया निवासी किसान निताई गोराई का कहना है कि हर साल 90 हजार रुपये का धान पैक्स में बेचते हैं. इस साल सूखे के कारण खेतों में बीज तक नहीं डाल पाये हैं.

वैकल्पिक खेती की तैयारी में विभाग

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 15 अगस्त तक बारिश नहीं होती है, तो वैकल्पिक खेती के रूप में मूंग, मूंगफली, उरद, कुरथी व मक्के की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जायेगा. अगर राज्य सूखा घोषित होता है तो 31 अगस्त से 30 सितंबर तक फसल राहत योजना का फॉर्म किसानों से भराया जायेगा.

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पूर्वी टुंडी : किसानों को अब भी अच्छी बारिश की उम्मीद

इस साल मानसून के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण क्षेत्र में बमुश्किल 10 प्रतिशत ही धान की खेती हो पायी है. इससे किसान चिंतित हैं. किसानों ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है. किसानों को अपने खाने के लायक अनाज होने के साथ-साथ जानवरों के पुआल आदि की भी चिंता सताने लगी है. जुलाई के अंतिम समय तक जहां आदिवासी बहुल रूपन पंचायत के अलावा क्षेत्र के लटानी, बामनबाद, रंजीतपुर, सिंगराईडीह, रघुनाथपुर, असुरबांध, भोजपुर, दुमा, मैरानवाटांड़, उकमा, शहरपुरा, सुंदरपहाड़ी, लुकैया, सोहनाद आदि क्षेत्रों में धनरोपनी लगभग 90 फीसदी तक हो चुकी होती थी, वहीं इस साल किसान बेबस नजर आ रहे हैं. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि इस साल धान की खेती काफी पिछड़ गयी है. अब अगर अच्छी बारिश होती भी है, तो उस उमंग से किसान खेतों की ओर रुख नहीं करेंगे तथा धान की फसल भी अच्छी नहीं होगी.

टुंडी : मानसून पर निर्भर हैं किसान

टुंडी प्रखंड में भी अब तक धनरोपनी शुरू नहीं हो पायी है. किसान मानसून पर निर्भर हैं. खेतों में बिचड़े सूख रहे हैं. बारिश नहीं होने के कारण किसान खेतों की जुताई तक नहीं कर पा रहे हैं. प्रखंड कृषि पदाधिकारी बबलेश साह ने बताया कि टुंडी में 4600 हेक्टेयर भूमि पर खेती का लक्ष्य है, लेकिन अब तक रोपनी की शुरुआत नहीं हो पायी है. राज्य सरकार को जीरो प्रतिशत रोपनी की रिपोर्ट भेज दी गयी है. उन्होंने बताया कि वैकल्पिक खेती के लिए रिपोर्ट तैयार कर भेजी जा रही है. मनियाडीह के किसान मनोज मंडल का कहना है कि 10 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं लेकिन इस बार रोपनी शुरू नहीं कर पाये हैं. बारिश का इंतजार है.

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तोपचांची : बारिश के इंतजार में हैं किसान

तोपचांची में भी धनरोपनी की शुरुआत नहीं हो पायी है. किसानों को अब भी बारिश होने की उम्मीद है. गोरमारा गांव के किसान वासुदेव महतो का कहना है कि रोहणी के दूसरे दिन खेतों में बीज डाला था, लेकिन बारिश के अभाव में बिचड़े तैयार नहीं हो पाये. अब हाईब्रीड बीज आने के बाद पंद्रह दिनों में पौधा तैयार हो जाता है. पिछले साल 17 अगस्त के बाद बारिश हुई थी. प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुरेश दास ने बताया कि प्रखंड में अब तक बुआई शुरू नहीं हो पायी है. खेतों की जुताई कर किसान बारिश के इंतजार में हैं.

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