इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भी जर्मन, फ्रेंच और रशियन भाषा में कराएगी Ph.d, शिक्षकों की 2022 में हो गई थी भर्ती

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन विदेशी भाषाओं में पीएचडी का रास्ता साफ हो गया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा प्रोबेशन अवधि के दौरान भी पीएचडी कराने की अनुमति मिलने के बाद अब फ्रेंच रशियन और जर्मन तीन भाषाओं में पीएचडी कराने की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है.

By Sandeep kumar | July 7, 2023 7:14 PM
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Allahabad University : इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन विदेशी भाषाओं में पीएचडी का रास्ता साफ हो गया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा प्रोबेशन अवधि के दौरान भी पीएचडी कराने की अनुमति मिलने के बाद अब फ्रेंच, रशियन और जर्मन तीन भाषाओं में पीएचडी कराने की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है.

मामले की जानकारी रखने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय अधिकारियों का कहना है कि क्रेट-2023 में इन तीन विदेशी भाषाओं को पीएचडी के विषयों की सूची में शामिल किया जा सकता है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अप्रैल 2022 में ही इन तीनों विदेशी भाषाओं फ्रेंच में डा. कंचन चक्रवर्ती, जर्मन में डा. प्रशांत कुमार पांडेय और रशियन में डा. मोना अग्निहोत्री की नियुक्ति हुई थी.

एक वर्ष की प्रोबेशन अवधि पूरी नहीं होने की वजह से क्रेट-2022 किसी भी असिस्टेंट प्रोफेसर को पीएचडी की अनुमति नहीं मिली थी. हालांकि, इसके बाद यूजीसी ने प्रोबेशन अवधि के दौरान भी शिक्षकों की सशर्त पीएचडी कराने की अनुमति दे दी थी.

इन तीन भाषाओं में भी कर सकते हैं पीएचडी

ऐसे में अब फ्रेंच, जर्मन और रशियन तीनों भाषाओं में क्रेट-2023 में शामिल किया जा सकता है. ऐसे में अब छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी-फारसी, संस्कृत जैसे विषयों के तरह तीन विदेशी भाषाओं में भी पीएचडी कर सकेंगे.

पीएचडी साक्षात्कार की तैयारी में जुटा प्रवेश भवन क्रेट-2022 का परिणाम 15 जून को जारी हुआ था. इसमें 43 विषयों की 734 सीटों पर 1889 उम्मीदवार योग्य पाए गए थे. प्रथम चरण के बाद अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वितीय चरण की परीक्षा यानी साक्षात्कार की तैयारी शुरू कर रहा है.

कब शुरू होगी प्रक्रिया

पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रवेश भवन के पास खाली सीटों की डाटा पहुंचेगा और इसके बाद क्रेट-2023 के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी. खास बात यह है कि इस वर्ष असिस्टेंट प्रोफेसरों की सीटों को शामिल करने की वजह से पीएचडी की सीटें बढ़ जाएंगी.

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