अब बिना टिकट ट्रेन में यात्रा कर सकती हैं महिलाएं? जरूर जानें अपना अधिकार

Indian Railways: अक्सर देखा जाता है कि जल्दबाजी या अन्य किसी कारण से कोई महिला या कोई नाबालिक बच्चा बिना टिकट ट्रेन में सवार हो जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा कानून है जो ट्रेनों में अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं और नाबालिक बच्चे की सुरक्षा करता है.

By Shweta Pandey | September 13, 2023 2:34 PM

Indian Railways: अक्सर देखा जाता है कि जल्दबाजी या अन्य किसी कारण से कोई महिला या कोई नाबालिक बच्चा बिना टिकट ट्रेन में सवार हो जाते हैं. ऐसे में उनकी परेशानियों में सहयोग करने के लिए रेलवे ने यात्री फ्रेंडली नियम बनाए हैं. क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा कानून है जो ट्रेनों में अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं और नाबालिक बच्चे की सुरक्षा करता है? आइए इस पर कुछ प्रकाश डालें. 1989 में, भारतीय रेलवे ने एक कानून बनाया जो अकेली यात्रा कर रही महिला की सुरक्षा प्रदान करता है.

भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 139 के अनुसार, अगर कोई अकेली महिला या अकेला बच्चा रात के समय ट्रेन में बिना टिकट यात्रा कर रहा है तो टीटीई उसे ट्रेन से नहीं उतार सकता. ऐसा करने पर संबंधित महिला रेलवे अथॉरिटी से उस टीटी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है. अकेली महिला यात्री को टिकट नहीं होने पर केवल जिला मुख्यालय के स्टेशन पर ही उतरा जा सकता है ताकि उसको दूसरी ट्रेन आसानी से मिल सके. ऐसा करने से पहले टीटीई रेलवे के कंट्रोल रूम को सूचित करेगा. इसके बाद कंट्रोल रूम महिला को उतरने के लिए जीआरपी या आरपीएफ महिला कांस्टेबल का बंदोबस्त करता है ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो सके.

कंफर्म टिकट न होने पर टीटीई दूसरे डिब्बे में जाने का करेगा अनुरोध

इसके आलावा अगर अकेली महिला यात्री का आरक्षित कोच में प्रतीक्षा सूची में नाम यानी वेटिंग टिकट है तो भी उनको उतरा नहीं जा सकता है. अगर महिला यात्री स्लीपर के टिकट पर ऐसी डिब्बे में सफर कर रही तो टीटीई केवल स्लीपर में जाने की अनुरोध कर सकता है. वही भी किसी महिला को तभी जाने के लिए कहा जा सकता है जब टीटीई के साथ कोई महिला कांस्टेबल हो.

महिलाओं के लिए आरक्षित कोच में कौन कर सकता है एंट्री

भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 311 के अनुसार, यदि भारतीय सेना का कर्मी भी ट्रेन में महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में एंट्री करता है, तो उन्हें विनम्रतापूर्वक ऐसे प्रवेश करने से रोका जाना चाहिए. उन्हें सामान्य डिब्बे में यात्रा करने की सुझाव दी जानी चाहिए. भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 162 के अनुसार, महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में केवल उस लड़के को यात्रा करने की अनुमति दी जा सकती है, जिसकी उम्र 12 वर्ष से कम है. महिला कोच में प्रवेश करने वाले पुरुष यात्रियों पर कानून द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है. इनके के अलावा, महिलाओं को 24*7 सुरक्षा प्रदान करने के लिए सीसीटीवी से निगरानी के लिए मॉनिटरिंग रूम स्थापित किए जा रहे हैं.

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इन स्टेशनों पर सिर्फ महिला कर्मचारी हैं तैनात

इसके अलावा, रेलवे ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, जयपुर के गांधी नगर रेलवे स्टेशन का पूरी तरह से संचालन महिला कर्मचारी करतीं हैं. इस रेलवे स्टेशन का संचालन 28 महिला कर्मचारियों द्वारा किया जाता है. इसी तरह, मुंबई का माटुंगा रेलवे स्टेशन भी पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित है. इस स्टेशन पर 41 महिला कर्मचारी हैं, जो पूरे स्टेशन का संचालन करती हैं. वे टिकट वितरण, ट्रेन संचालन और स्टेशन की सफाई सहित सभी कार्य करती हैं.

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