पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में अपराधिक वारदातों में और भी ज्यादा कमी लाने के लिए कोलकाता पुलिस की तरफ से अब पूरे महानगर में प्रति 100 वर्गमीटर की दूरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे. अपराध कम करने और सड़कों पर निगरानी बढ़ाने के लिए निर्भया फंड के तहत 3500 और सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम चल रहा है. वर्तमान में पूरे महानगर में इसकी संख्या 2500 है. जल्द से जल्द इस मास्टर प्लान को पूरा किया जाने पर काम चल रहा है.
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मुख्य रूप से महिला सुरक्षा में स्कूल, कॉलेज, बस स्टैंड, कैफे या रेस्टोरेंट जैसी जगहों पर नये सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना बनायी जा रही है. इसके अलावा चलती गाड़ी का नंबर प्लेट या वाहन के किसी विशेष चिह्नों की पहचान करने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तरफ से 150 आधुनिक कैमरे लगाने का काम शुरू हो गया है. मौजूदा समय में अभी 25 आधुनिक स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एपीएनआर) कैमरे लगे हैं. पुलिस ने कहा कि इस तरह के कैमरों की संख्या में बढ़ोतरी से कोई भी कार किसी आपराधिक वारदात को अंजाम देने के बाद जिस रास्ते से भागेगी, उस रास्तों की पहचान करना आसान हो जायेगा.
सोमवार को लालबाजार की तरफ से जारी आंकड़ों पर गौर करें, तो आपराधिक वारदातों को अंजाम दिये जानेवाले मामले में देश के अन्य बड़े महानगरों की तुलना में कोलकाता फिर से एक बार सबसे सुरक्षित शहरों में गिना जा रहा है. वर्ष 2021 में डकैती की वारदात में दिल्ली में 2340, मुंबई में 877, चेन्नई में 629 और बेंगलुरु में 541 डकैतियां हुईं, जबकि कोलकाता में इसकी संख्या सिर्फ 23 थी. वर्ष 2022 में डकैती की संख्या घटकर 21 हो गई. 2021 में महिलाओं के खिलाफ बड़े अपराध जैसे रेप, पैसों के लिए दुल्हन की हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों में दिल्ली में 1,446, मुंबई में 433, चेन्नई में 74, बेंगलुरु में 246 तो कोलकाता में 34 ऐसे अपराधिक मामले दर्ज किये गये. वर्ष 2022 में इसकी संख्या 33 थी. हत्या के मामलों में 2021 में दिल्ली में 454, मुंबई में 162, चेन्नई में 161, बेंगलुरु में 155 वारदातें दर्ज की गयी. वहीं कोलकाता में इसकी संख्या 45 थी. वर्ष 2022 में इसकी संख्या घटकर 34 रह गयी. इन आंकड़ों पर गौर करें, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि साइबर क्राइम की वारदातों को छोड़कर कोलकाता में अन्य अपराधिक मामलों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है.
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रिपोर्ट : विकास कुमार गुप्ता कोलकाता