कानपुर. बारिश में जलभराव से अब दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनों को खड़ा नहीं रहना पड़ेगा. रेलवे की सिफारिश और जिला प्रशासन के प्रयास के चलते नगर निगम नई सीवर लाइन डालेगा. जुलाई में बारिश में हुए जलभराव से कानपुर सेंट्रल का परिचालन सिस्टम फेल हो गया था, जिसके कारण दिल्ली-हावड़ा रूट की तीन दर्जन से अधिक ट्रेनें आधे से तीन घंटे तक जहां की तहां खड़ी हो गईं थी. दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनों के घंटों खड़े रहने पर रेलवे बोर्ड तक मामला पहुंचा. इसके बाद मंडलीय अधिकारी सक्रिय हुए. डीएम के तरफ से कमिश्नर से वार्ता की गई. इसके बाद नगर निगम के साथ समन्वय बैठक की गई. नई सीवर लाइन डालने का इस्टीमेट बन गया है.
कानपुर नगर निगम ने विशेष फंड से इस लाइन को डलवाने का फैसला किया. अब तो नगर निगम ने 1.5 करोड़ रुपये का टेंडर जारी भी कर दिया. सब कुछ इसी तरह चला तो इसी वित्तीय वर्ष तक सीवर लाइन पड़ जाएगी. बता दें कि ब्रिटिशकालीन सीवर लाइन झकरकटी पुल के पास से टूट गई थी. अब उसका मेंटीनेंस संभव नहीं था, इस वजह से ट्रैक और स्टेशन का सीवरेज बारिश में ओवरफ्लो होता है तो ट्रैक पर भर जाता है. बारिश अधिक होने से पानी सिग्नल सिस्टम बक्शे में घुस गया था तो संचालन ठप हो गया था.
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सीसामऊ बाजार के पास शनिवार को फिर से झूलेलाल मंदिर वाली सड़क के नीचे का नाला डॉट नाला धंस गया. नगर निगम ने सीवर लाइन चेक करने के लिए गहरी खुदाई की. इस वजह से मार्ग बाधित हो गया. बाजार खुलते ही भीड़ इधर-उधर गलियों से होकर रामबाग और पीरोड को निकलने लगी तो जाम लग गया. हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मैनुअल तरीके से खुदाई कराई जा रही है. क्षतिग्रस्त नाला कब बनेगा, कोई भी समझ सकता है. पार्षद विवेक शर्मा ने बताया कि मैनुअल तरीके से खुदाई हो रही है, इस वजह से दिक्कत आई है. सप्ताहभर में समस्या का समाधान हो जाएगा.
शहर के पी रोड सड़क और अंग्रेजों के जमाने में बना डॉट नाला इसके ठीक नीचे से गुजर रहा.आए दिन यहां यह नाला धंस जाता है और खुदाई शुरू हो जाती है. हकीकत यह है कि 2387 दिनों से इस रोड की खुदाई कभी बंद ही नहीं हुई. जैसे ही रोड बनाई जाती है वैसे ही नाला धंस जाता है. फिर नाले की मरम्मत होती है. बनाने में कम से कम 45 दिन लगते हैं फिर 15 दिन सुखाने में, इसके बाद टेंडर निकलता है. रोड बनाई जाती है और कुछ ही दिन फिर धंस जाती है.
खास बात यह है कि पी रोड के वनखंडेश्वर मंदिर चौराहे से हरसहाय इंटर कॉलेज तक सिर्फ 300 मीटर की दूरी में ही नाला धंसता है. यहीं बनता भी है. एक जगह मरम्मत होती है तो दूसरी जगह धंस जाती है. अभी भी दो जगह खुदाई चल रही है. कभी नाला बनाने के चक्कर में पानी की पाइप लाइन फंट जाती है तो कभी पानी की पाइप लाइन की मरम्मत में नाले की सेहत बिगड़ जाती है. इस चक्कर में नगर निगम और जलकल को मिलाकर 5 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.