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Exclusive: नुसरत भरुचा बोलीं- फिल्म बड़ी होती हैं कलाकार नहीं,शादी को लेकर एक्ट्रेस ने बताया क्या है प्लान

नुसरत भरुचा इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म जनहित में जारी को लेकर चर्चा में है. एक्ट्रेस ने आनेवाली फिल्मों को लेकर बात की. साथ ही उनकी आने वाली मूवीज के बारे में भी बताया.

अभिनेत्री नुसरत भरुचा फ़िल्म दर फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी उपस्थिति को मजबूत करती जा रही हैं. नुसरत की फ़िल्म जनहित में जारी जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली हैं. नुसरत इस फ़िल्म का चेहरा हैं. छोरी के बाद यह दूसरी फिल्म होगी. जो उनके कंधों पर हैं. इस पहलू को नुसरत सशक्तिकरण करार देती हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत.

जनहित में जारी एक महिला प्रधान फ़िल्म है,जिसका चेहरा आप हो क्या रिएक्शन है?

निर्देशक राज शांडिल्य ने जब ड्रीम गर्ल मुझे ऑफर की थी, तो लगा कि चलो कोई तो पिक्चर मेरे ऊपर है. उसमें बाद में मालूम हुआ कि लड़का ही लड़की है मतलब ड्रीम गर्ल है. जब राज सर ने दूसरी फिल्म मतलब ये फ़िल्म ऑफर की, तो मुझे ख़ुशी हुई कि मुझे इस बार फिल्म में सेंट्रल किरदार मिल रहा है. यह बात मुझे एक सशक्तिकरण का भी एहसास दिलवा रही थी कि चलो किसी ने तो किया

आपने अपनी ज़िन्दगी में कंडोम के बारे में कब जाना था ?

मुझे लगता है कि जब मैं स्कूल में थी , तभी इस पर बात हुई थी. हमारे स्कूल में सेक्स एजुकेशन की भी एक क्लास होती थी , फिर बाद मुझे और भी जानकारी मेरे घर पर मिली. मेरे घर का माहौल बहुत ही प्रोग्रेसिव रहा है. मेरे मां, पिताजी ही नहीं , बल्कि मेरी दादी की भी सोच काफी प्रोग्रेसिव है. मेरा पूरा परिवार अगर इन मुद्दों पर नार्मल है, तो इसका पूरा श्रेय मेरी दादी को जाता है. मैंने लाइफ का पहला दारू का ग्लास भी मां, पिताजी और दादी के साथ बैठकर लिया है. मैं उस वक़्त दसवीं क्लास में शायद थी. डैड ने कहा था कि अगर चखना ही है ,तो घर पर हमारे सामने ,बाहर किसी ने पिला दी तो गड़बड़ हो जाएगी. मैंने उस वक़्त पी तो मैंने बोला था क्या ये बकवास है. डैड ने व्हिस्की दी थी शायद वो चाहते थे कि मुझे पसंद ना आए.

तो आप ड्रिंक से दूर रहती हूं ?

ऐसा नहीं है. मुझे मेरे कॉकटेल्स से बहुत प्यार है. चूंकि हम एक्टिंग फील्ड से हैं,तो हमें अपनी फिटनेस का बहुत ख्याल रखना पड़ता है ,इसलिए मुझे इनसे दूरी बनाकर रखनी पड़ती है.

आप एक प्रोग्रेसिव परिवार से आती हैं लेकिन हमारे समाज की ऐसी सोच नहीं है ?

हां मुझे बहुत दुःख होता है. जब मैं लोगों को बोलती हूं कि मुझे इसके बारे में मालूम था , बहुत पहले से ही. अपने स्कूल और फिर अपने घर से तो लोगों के रिएक्शंस देखने लायक होते हैं. मुझे कई बार विश्वास नहीं होता है. जब लोग ऐसी बातें करने से कतराते हैं ,जो सबसे अहम है क्योंकि देश की आधी से अधिक समस्या आबादी की वजह से है.

क्या आपको लगता है कि एक उम्र निर्धारित होनी चाहिए , जब बच्चों को इसके बारे में बताया जाए ?

मैं अपने बच्चों के लिए उम्र तय कर सकती हूँ ,लेकिन मैं शायद किसी और के बच्चों के लिए नहीं बोल सकती हूं. वो उनके माता- पिता का फैसला होगा.

फिल्में बदलाव लाती हैं क्या और किसी फिल्म ने आपकी सोच को कभी बदला है?

बहुत सारी फिल्में हैं. बॉम्बे की फिल्म की बात करूं तो वह लव स्टोरी थी लेकिन दंगों पर उसकी कहानी आधारित थी. हमने उस वक़्त कभी दंगे देखें नहीं थे , हम तो घर पर ही थे. बॉम्बे फिल्म देखने के बाद महसूस हुआ था कि आप सही तरीके से कहानी कहकर लोगों को बहुत कुछ महसूस करवा सकते हैं.

छोरी के बाद जनहित में जारी आपकी दूसरी महिला प्रधान फिल्म है , क्या इंडस्ट्री पूरी तरह से तैयार हो चुकी है आपके कंधे पर फिल्म की जिम्मेदारी देने के लिए ?

ये सवाल और उसका जवाब पहले मेरे जेहन में आता नहीं था ,अब चूंकि इतने लोगों ने बोल दिया है, तो अब ये मेरे दिमाग में आने लगा है. इससे पहले मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं अकेले अपने कन्धों पर किसी फिल्म को लेकर जा रही हूं मुझे लगता है कि फिल्म हर किसी के कंधे पर टिकी होती है. अगर मैंने अच्छा सीन दिया लेकिन डायरेक्टर ने या एडिटर ने वो लिया ही नहीं तो फिर मेरे अच्छे परफॉर्मेंस करने का क्या फायदा है. मैं सिर्फ एक्टिंग कर सकती हूं. उसके पहले और बाद का बहुत प्रोसेस होता है.

क्या जेहन में ये बात चलती है कि आपने अच्छा परफॉरमेंस दिया , उसके बावजूद कहीं डायरेक्टर ने उस सीन को नहीं लिया तो मेहनत बेकार हो जाएगी?

एक एक्टर की अपनी असुरक्षा की भावनाएं होती है. उससे मैं भी अछूती नहीं हूं. मैं हमेशा अपने निर्देशकों से ज़रूर बोल देती हूं कि सर मुझे लगता है कि मैं तीसरे शॉट में अच्छी थी. मुझे लगता है कि ऐसा कहने से निर्देशक एक बार वो थर्ड शार्ट ज़रूर देखते होंगे क्यूंकि आर्टिस्ट ने बोला है कि अलग और अच्छा है,मगर आखिर में फैसला निर्देशक को ही लेना पड़ता है.

आप इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम बना रही है,मौजूदा सफलता को किस तरह से देखती हैं?

ऐसा कुछ नहीं है. कल रात मैं एक शो में गयी थी. मुझे बोलना पड़ा कि मैं नुसरत हूं. मैं शो में गयी थी जिससे मैंने बात की, वो शख्स मुझे पहचान ही नहीं रहा था. मुझे उससे परेशानी भी नहीं है क्यूंकि मुझे ये बात अच्छे से पता है कि अभी मैं उस मुकाम पर नहीं पहुंची हूं जब लोग नुसरत भरुचा की फिल्म देखने के लिए थिएटर आएं.. वो जनहित में जारी देखने आएंगे. सोनू के टीटू की स्वीटी देखने आएंगे. फिल्में मुझसे बड़ी हमेशा से थी और हमेशा रहेंगी. प्यार का पंचनामा दो और आकाशवाणी तक लोग मेरा नाम तक नहीं जानते थे. फोटोग्राफर्स मुझे पंचनामा की लड़की कहकर बुलाते थे. पंचनामा में तीन लड़कियां थी. मेरा नाम नुसरत है,लोगों को ये भी याद करने में समय लगा.

कार्तिक आर्यन की कामयाबी कैसे देखती हैं ?

वो छोड़िये मैं कैसे देख रही हूं. पूरी दुनिया उसकी कामयाबी को देखती है. लव सर के साथ मेरे शुरूआती फिल्में रही हैं तो एक बात मैंने सीखी है कि पिक्चर चलेगी तो सबका भला. नहीं चली तो सबका बुरा ही होना है. कार्तिक की चली और वो भी चल निकला.

लव रंजन की अगली फिल्म कब कर रही हैं ?

सर से पूछना पड़ेगा वैसे सर का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वो एक वक़्त पर एक ही फिल्म करते हैं. अब उस फिल्म को एक साल लगे या दो साल , वो वहीं करेंगे. जब तक वो रिलीज होगी नहीं ,वो दूसरा सोचेंगे नहीं.

एक्टिंग में आने के बाद आप क्या सबसे ज़्यादा मिस करती हूं?

मैं सबसे ज़्यादा मिस करती हूं अपने परिवार को समय देना. अपने दोस्तों के साथ चिल करना. मैं उनके साथ कभी भी जाकर कॉफी नहीं पी सकती हूं. मेरी सहेली है इशिता, एक्टिंग में आने से पहले मैं घंटों उसके साथ मॉल में घूमती थी लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकती हैं. मेरी दादी के दो ऑपेरशन हुए थे हाल ही में लेकिन मैं नहीं थी. इसका मुझे बहुत दुख है.

शादी के लिए क्या प्लानिंग है ?

वक़्त नहीं है. लड़के को मिलने और उसके साथ समय बिताने के लिए समय चाहिए. एक मेन्टल स्पेस चाहिए. १५ मिनट मिलकर मैं शादी का फैसला नहीं ले सकती हूं. इंडस्ट्री के लड़के से शादी मैं नहीं करना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि मेरा पार्टनर अलग इंडस्ट्री से हो तो उसके लिए उसके साथ समय बिताना होगा.

आप सोशल मीडिया पर भी हैं,ट्रॉल्लिंग को किस तरह से डील करती हैं?

मेरे पैर की छोटी ऊंगली में चोट लग गयी है. फ्रैक्चर हो गया है. मैं एक फिल्म के सेट पर पिछले एक महीने से शूट कर रही हूं तो मुझे रिकवर करने का समय ही नहीं मिला है . जो मेरी फिल्म का हीरो है. वो छह फुट तीन इंच का है तो हील्स का साथ मुझे नहीं छोड़ना पड़ा. आप सोच सकते हैं कि जब आपको चोट लग जाए और आपको हील फिर भी पहनना तो पैरों की क्या हालत हो सकती है. उसपर मुझे डांस करना था एक गरबे का शॉट था. उंगली का प्लास्टर भी नहीं हो सकता है तो उनको एक साथ टेप कर दिया गया था, ताकि उस पर और ज़्यादा वजन ना पड़ें. दिन में उतना दर्द मालूम नहीं होता है. रात में थोड़ा दर्द होता है और ये भी समझ नहीं आता कि किस पोजीशन में सोएं ताकि पैरों पर कम वजन पड़े. मैं बताना चाहूंगी कि मैं एक रेडियो शो में अपने इसी चोट और बैंडेज के चली गयी थी तो इस पर लोगों ने मुझे ट्रोल करना शुरू कर दिया था कि ओवरएक्टिंग कर रही हूं अरे यार इसमें एक्टिंग ही क्या होती है जो ओवरएक्टिंग की बात है. मेरा कमिटमेंट था रेडियो स्टेशन के साथ तो मैं पैर में पट्टी बांधकर जाऊं या चलकर. ये मुझ पर है.

आनेवाली फिल्में कौन सी हैं ?

अक्षय कुमार के साथ रामसेतु , सेल्फी और छोरी २ है.

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